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‘घर में पधारो गजानंदजी म्हारे घर में पधारो’

अपार उत्साह से और गाजे बाजे से गणपति बाप्पा का आगमन

* सर्वत्र गणपति बाप्पा मोरया की गूंज
* मंडलों की पारंपारिक शोभायात्रा, चहूंओर उल्लास
* मिट्टी के गणेश स्थापित करने पर शहरवासियों का रुझान
* जमकर उडाया गुलाल, ढोल-ताशे की ताल पर थिरके गणेश भक्त
अमरावती/दि.7 – विघ्नहर्ता गणेशजी का पावन गणेश चतुर्थी के अवसर पर आगमन होने से अंबानगरी सहित जिले के गांव-गांव और घर-घर में अपार उल्लास, उत्साह, उमंग का वातावरण बना. सभी ने रिद्धि-सिद्धि के दाता और बुद्धिप्रदाता की जोरदार, गाजेबाजे से, हर्षोल्लास से गुलाल उडाते हुए अगवानी की. चहूंओर गणपति बाप्पा मोरया का जयघोष सुनाई पड रहा था, तो गृहणियों ने ‘घर में पधारो गजानंदजी म्हारे घर में पधारो’ के आवाहन के साथ विघ्नविनाशक की स्थापना अपार उत्साह से की. विभिन्न मंडलों ने पारंपारिक शोभायात्रा के साथ मंगलमूर्ति का स्वागत किया. संपूर्ण जिले में 1300 से अधिक मंडलों में श्री की स्थापना हो रही है. उत्साह का अलौकीक वातावरण बना है. बच्चों-बूढों का उल्लास देखते ही बना. वहीं ढोल-ताशे की ताल पर थिरककर गणपति बाप्पा के आगमन का हर्ष हजारों, लाखों भक्तों ने व्यक्त किया. हर गली से बाप्पा के जयकारे और अन्य जयघोष की गूंज सुनाई पड रही थी.
* प्रारंभ हुआ 10 दिवसीय उत्सव
अंबानगरी और जिले में शनिवार को मनचाहे मुहूर्त में श्री की स्थापना के साथ 10 दिवसीय गणेशोत्सव प्रारंभ हुआ. बच्चों-बूढों के साथ सभी में अपार उत्साह देखा गया. नगर के अनेक भागों में मिट्टी की मूर्तियों के स्टॉल सजे हैं और वहां खरीददारों की भीड उमडी है. इधर पुलिस प्रशासन ने भी मोर्चा संभाल लिया है. शहर और जिले के हजारों अधिकारी-कर्मियों के साथ-साथ एसआरपी प्लाटून तैनात की जा रही है. सुरक्षा व्यवस्था को सीपी नवीनचंद्र रेड्डी और एसपी ग्रामीण विशाल आनंद सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहे हैं.
* शहर में उल्लास, उमंग
अंबानगरी में विघ्नविनाशक गणपति के आगमन से सर्वत्र उल्लास, उमंग का वातावरण है. गली-गली में पंडाल तो सजे ही है. बालगोपालों ने घरों में गणपति की स्थापना पूरे उत्साह उमंग से की. नाना प्रकार की मूर्तियों से अपनी पसंद की प्रतिमा घर लाकर विधिवत पूजा कर उसकी स्थापना की गई. बच्चों को गणपति के नानाविध रुपों ने लुभाया.
* बाल रुप पर विशेष रुझान
इस बार गणपति की मिट्टी की मूर्तियों में बालरुप को लेकर सभी आयु वर्ग के भक्तों में विशेष रुचि दिखाई देने की बात एक विक्रेता सतीश विश्वकर्मा ने बतायी. उन्होंने बताया कि, कई घरों से बालरुप गणेश के विशेष मुद्रा वाली मूर्तियां स्थापित की गई. उसी प्रकार शिवजी की पूजा करते गणपति के स्वरुप के साथ ही पहली बार शिव रुप में बाल गणेश भी काफी पसंद किये गये. उसी प्रकार गणपति के दगडू सेठ रुप और सिंहासन पर विराजमान मूर्तियां अभी भी पहली पसंद बने हैं. अधिकांश घरों में दगडू सेठ हलवाई के पुणे स्थित गणपति की प्रतिमा को पसंद कर श्रद्धापूर्वक स्थापित किया गया. वहीं कुछ घरों में सिद्धिविनायक स्वरुप की स्थापना की गई.
* नेहरु मैदान में भारी भीड
नेहरु मैदान में मनपा ने मिट्टी के गणपति की स्थापना को बढावा देने के उद्देश्य से मूर्तिकारों को स्टॉल की परमिशन दी है. वहां लगभग 20 स्टॉल इन मिट्टी की मूर्तियों के रहने से सर्वाधिक शहरवासी वहीं सबेरे से मूर्तियां लेने पहुंच गये थे. छोटी मूर्ति 301 रुपए से लेकर 5 हजार रुपए तक रहने की जानकारी मूर्तिकार विश्वकर्मा ने दी. उन्होंने बताया कि, शुद्ध मिट्टी की मूर्तियां बनाना सहज नहीं है. विशेष कर उन्हें रंग देना और उन पर गहनों आदि का साज बडा मुश्किल होता है. किंतु आकर्षक मूर्तियां सभी को लुभा गई.
* ढोल-ताशे पर थिरके, उडाया गुलाल
गणपति के आगमन का जोश इस कदर रहा कि, भक्तों ने माथे और चेहरे पर गुलाल मलकर और ढोल-ताशे की ताल पर थिरककर प्यारे बाप्पा के आगमन का स्वागत किया. जिससे ढोल-ताशे के वादकों का भी जोश देखते बना. माथे पर गणपति बाप्पा मोरया अंकित पट्टी और टोपियां धारण कर सहपरिवार गणपति का स्वागत और स्थापना पर अमरावतीवासियों में उत्साह देखा गया. वहीं मंडलों की शोभायात्रा में पथक शामिल रहे. पदाधिकारियों ने माथे पर फेटे बांधकर शान से बाप्पा मोरया का जयघोष कर शोभायात्रा में सहभाग किया. उसी प्रकार बैंड बाजा और सजाये गये रथों में श्री की भव्य प्रतिमाएं आस्था और हर्षोल्लास से मंडलों में लायी गई. उपरान्त पुरोहितों के मंत्रोच्चार एवं शास्त्रोक्त विधान अनुसार पूजन विधि कर श्री की स्थापना की गई. नारियल बधारे गये. उसी प्रकार कलश स्थापित किये गये. अब घर-घर में गणपति की अगले 10 दिनों तक आवभगत होगी. सभी गृहणियां और भक्त बडे जोश और उतनी ही श्रद्धा से जुटे हैं.

* इन शुभ मुहूर्त में हुई गणेश की स्थापना
पंडित करण महाराज पुरोहित के अनुसार भाद्रपद मासे शुक्ल पक्षे चतुर्थी तिथि शनिवार 7 सितंबर को पूजन का श्रेष्ठ समय मध्यकाल वृश्चिक लग्न का संयोग रहा. उसी प्रकार शुभ बेलाए सबेरे 7.45 से 9.18 तक, अभिजीत मध्यकाल 11.28 से 1.40 बजे तक रही. चंचलबेला दोपहर 12.25 से 1.58 तक, लाभ बेला दोपहर 1.58 से 3.31 तक अमृत बेला दोपहर 3.31 से 5 बजकर 4 मिनट तक और लाभ बेला शाम 6.36 से 8.4 मिनट तक है. अधिकांश अमरावतीवासियों ने इन्हीं बेला में श्री की स्थापना की.

* मखर और लडियों की खूब विक्री
गणेश चतुर्थी के मौके पर सबेरे से ही बाजार खुल गये थे और गणपति की स्थापना हेतु सिंहासन अर्थात मखर और घर की सजावट के साजोसामान, आर्टिफिशियल फूल पत्तियों की लडियों की विक्री खूब होने की जानकारी रामदेव फ्लावर के संचालक अमित गोयल ने दी. शहर के जवाहर गेट के पास सटे मोची गली, रवि नगर, गाडगे नगर, कंवर नगर रुख्मिणी नगर राजापेठ क्षेत्र में दुकानों पर भारी भीड देखी गई.

* अनेक फ्लेवर के मोदक तैयार
गणपति को मोदक अतिप्रिय माना जाता है. अत: शहर के प्रसिद्ध रघुवीर मिठाईयां, रामजी मिठाईयां, धोराजीवाले, गडवाल स्वीट्स, उपाध्याय मिष्ठान्न आदि ने अनेक फ्लेवर के मोदक तैयार किये हैं. भक्त प्रिय बाप्पा को उनके पसंदीदा मोदक का भोग लगाने उत्साहित हैं. सभी मिष्ठान्नों में इस बार मोदक छाये हुए है. रघुवीर मिठाईयां के दिलीपभाई पोपट ने बताया कि, काजू और खोवा से लेकर चॉकलेट, ड्रायफूट, ऑरेंज, आम मोदक बडे पसंद किये जा रहे हैं. दो दिनों में मोदक की विक्री बढी है.

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