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कल राजकमल या जयस्तंभ पर आ जाओ, आमने-सामने होगी चर्चा

राज्यमंत्री बच्चु कडू ने दी सहकार पैनल के नेताओें को चुनौती

* बोले : हमें हर चैलेंज है स्वीकार, अब दम दिखाने की उनकी बारी

अमरावती/दि.1- जिला बैंक का चुनाव लड रहे सहकार पैनल के नेताओें द्वारा परिवर्तन पैनल के नेताओं को खुली चर्चा की चुनौती दी गई है, इस चुनौती को हम स्वीकार करते है और हमने इसके लिए जगह व समय भी तय कर लिया है. अत: कल दोपहर 12 बजे जयस्तंभ चौक अथवा राजकमल चौक पर सहकार पैनल के नेता सभी के सामने आये, जहां पर उनके साथ परिवर्तन पैनल के नेताओं द्वारा आमने-सामने चर्चा करने की पूरी तैयारी है. इस आशय का चुनौतीपूर्ण प्रतिपादन परिवर्तन पैनल के नेता व राज्यमंत्री बच्चु कडू द्वारा किया गया.
बता दें कि, आगामी 4 अक्तूबर को होने जा रहे जिला बैंक के चुनाव को लेकर सहकार एवं परिवर्तन पैनल द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ जमकर आरोप-प्रत्यारोप किये जा रहे है. इसके तहत गुरूवार की सुबह सहकार पैनल द्वारा पत्रकार परिषद बुलाते हुए परिवर्तन पैनल के नेताओं पर जिला बैंक के मतदाताओं में बेवजह की गलतफहमी फैलाने तथा स्तरहीन भाषा का प्रयोग करते हुए बेसिरपैर के आरोप लगाने का आरोप लगाया गया था. साथ ही यह भी कहा गया था कि, खुद परिवर्तन पैनल के नेताओं द्वारा चलाई जानेवाली सहकारी बैंक व पत संस्थाओं में तमाम तरह की गडबडियां है और वे जिले की सबसे बडी सहकारी बैंक रहनेवाली जिला मध्यवर्ती सहकारी बैेंक पर आरोप लगा रहे है. जिसपर जवाब देने हेतु परिवर्तन पैनल की ओर से शुक्रवार की दोपहर एक पत्रकार परिषद बुलाई गई. जिसे संबोधित करते हुए राज्यमंत्री बच्चु कडू ने उपरोक्त चुनौती दी.
इस समय राज्यमंत्री बच्चु कडू ने यह भी कहा कि, जिला बैंक कोई आम सहकारी बैंक नहीं है, बल्कि यह किसानों एवं विविध सहकारी संस्थाओं की अपनी अधिकारपूर्ण बैंक है. किंतु विगत 11 वर्षों से जिले के किसानों और सहकारी संस्थाओं को जिला बैंक से कोई लाभ नहीं मिला. जबकि सहकार पैनल के नेताओं द्वारा इस दौरान भारी-भरकम लाभ कमाने का दावा किया जा रहा है. ऐसे में सवाल यह है कि, अगर जिला बैंक भारी-भरकम लाभ कमा रही थी, तो विगत 11 वर्ष के दौरान किसानों को केवल 150 करोड रूपयों का ही कर्ज क्यों दिया गया और किसानों को कर्ज देने की बजाय म्युच्युअल फंड कंपनी में 700 करोड रूपये का निवेश क्यों किया गया. साथ ही सरकार की ओर से दी गई 350 करोड रूपये की कर्जमाफी का लाभ किसानों को देने की बजाय अपने फायदे के लिए बैंक की रकम को कंपनियों के हवाले क्योें किया गया. इस समय राज्यमंत्री बच्चु कडू ने कहा कि, उनकी पतसंस्था डूबी नहीं है, बल्कि आज भी चल रही है और उनकी पतसंस्था द्वारा आज तक अपने किसी भी खातेदार अथवा किसान को कर्ज देने से मना नहीं किया गया. साथ ही हर किसान को कर्जमाफी का लाभ भी दिया गया.
ऐसे में सहकार पैनल के नेताओं को चाहिए कि, वे हम पर आरोप लगाने की बजाय खुद उन पर सरकारी जांच एजेंसियों व ऑडिटरों द्वारा अधिकृत तरीक से लगाये गये आरोपों का जवाब दें. राज्यमंत्री बच्चु कडू के मुताबिक सहकार पैनल के नेताओं पर परिवर्तन पैनल की ओर से आरोप नहीं लगाये गये, बल्कि जिला विशेष लेखा परीक्षक व नाबार्ड द्वारा सहकार पैनल के तत्कालीन संचालकों व पूर्व अध्यक्षों को आरोपों के कटघरे में खडा किया गया है. जिसका उन्हें जिले की जनता व किसानों को जवाब देना ही पडेगा. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, परिवर्तन पैनल द्वारा केवल बैंक की सत्ता के लिए लडाई नहीं लडी जा रही, बल्कि हम बैंक के अस्तित्व को बचाने की लडाई लड रहे है.
इस समय एक बार फिर सहकार बैंक के नेताओं पर आरोपों की तोप दागते हुए राज्यमंत्री बच्चु कडू ने कहा कि, नाबार्ड के नियमानुसार बैंक के पास केवल 10 प्रतिशत निवेश करने का अधिकार था. किंतु बैंक द्वारा नियमों का उल्लंघन करते हुए 34 फीसद निवेश किया गया, ताकि अधिक से अधिक कमीशन खाया जा सके. उन्होंने दावा किया कि, इस बार सहकार पैनल के उम्मीदवारों का डिपॉझीट तक जप्त हो जायेगा तथा जिला बैंक में निश्चित तौर पर परिवर्तन होगा.
वहीं इस पत्रवार्ता को संबोधित करते हुए परिवर्तन पैनल के संयोजक व राकांपा के प्रदेशाध्यक्ष संजय खोडके ने कहा कि, जिला बैंक के तत्कालीन संचालकोें ने नाबार्ड व जिला विशेष लेखा परीक्षक के साथ किये गये पत्रव्यवहार के तहत भेजे गये सभी पत्र वापिस मांगे है. जिसका साफ मतलब है कि अब वे अपनी हर करतूत छिपाना चाहते है. सहकार पैनल द्वारा शुक्रवार की सुबह बुलाई गई पत्रवार्ता में लगाये गये आरोपों के बारे में संजय खोडके का कहना रहा कि, यहां हम पिछले कई दिनों से उनका पोस्टमार्टम कर रहे है, तो उनका बिलबिलाना स्वाभाविक है. जिसके तहत सहकार पैनल के नेता अब बौखलाहट में आते हुए बेसिरपैर के आरोप लगा रहे है. किंतु लाख प्रयास करने के बावजूद बैंक के तत्कालीन सत्ताधारी संचालक व पूर्व अध्यक्ष अब बच नहीं सकते है. इस समय उन्होंने यह भी कहा कि, वे किसी भी वक्त महिला बैंक व पंजाबराव बैंक के आर्थिक व्यवहार से संबंधित दस्तावेज दिखाने के लिए तैयार है. लेकिन साथ ही यदि जिला बैंक के तत्कालीन संचालकों व सहकार पैनल के नेताओं में दम है, तो वे भी जिला बैंक के आर्थिक व्यवहारों से संबंधित दस्तावेजों को सबके सामने रखे. इसके साथ ही दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा.

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