अमरावती

छात्रों की सुरक्षा को लेकर समिति बिन्धास्त, पालक चिंता में

स्कूल बस-ऑटो का किराया सातवे आसमान पर

* छात्रों के वहन में नियामों की अनदेखी
* शहर मेें 300 स्कूल बस, 500 ऑटो से होता है वहन
* वाहनों की फिटनेस पर नहीं दिया जाता है ध्यान
अमरावती/दि.22 – इस वर्ष का नया शैक्षणिक सत्र शुरु होने में अब चंद दिन ही शेष रह गये है. ऐसे में छात्रों के लिए स्कूल बस-ऑटो की व्यवस्था करने में पालकों की भागदौड हो रही है. छात्रों को स्कूल पहुंचाकर सुरक्षित वापिस घर लाने के लिए सुरक्षित स्कूल बस व ऑटो की तलाश पालक कर रहे है. इन दिनों सडक हादसों की बडी संख्या व गैर प्रकारों में वृद्धि होने से पालकों को अपने बच्चों की सुरक्षा की चिंता है. वहीं स्कूल परिवहन समिति को इसका कोई लेना-देना नहीं दिख रहा. जिससे पालकों का टेंशन बड गया है.
शहर में 300 स्कूल बस है. इनमें से आधी बसों में ही छात्र परिवहन के नियमों का पालन होता है. अधिकांश स्कूल बसों में नियामों का पालन नहीं होता. उसी प्रकार 500 ऑटों के माध्यम से भी छात्रों का परिवहन किया जाता है. लेकिन इन वाहनों की फिटनेस पर कोई ध्यान नहीं देता, जिससे परिवहन विभाग व स्कूल व्यवस्थापन छात्र परिवहन के विषय को गंभीरता से लें, यह मांग पालक वर्ग कर रहा है.

* ठूस-ठूस कर भरे जाते है छात्र
स्कूली छात्रों को घर से स्कूल व स्कूल से घर पहुंचाने के लिए छोटे वाहनों में छात्रों को ठूस-ठूस कर भरा जाता है. क्षमता से अधिक छात्रों के वहन से छात्रों को परेशानियों का सामना करना पडता है, उसी प्रकार हादसे का डर बना रहता है. वैसे तो स्कूल बस की अनुमति देते वक्त प्रादेशिक परिवहन विभाग द्बारा स्कूल बस नियमों का पालन करना अनिवार्य किया गया है. लेकिन कई विना अनुमति वाहनों से छात्रों का परिवहन किया जाता है, इस ओर कोई ध्यान ही नहीं देता. स्कूल बस, वैन में सुरक्षा विषय नियमों का पालन नहीं होता. जिस पर परिवहन विभाग ध्यान दें, यह अपेक्षा छात्रों की सुरक्षा में चिंतित पालकों की है.

* स्कूल बस के लिए नियम
स्कूली छात्रों का परिवहन नियमावली अनुसार सभी स्कूल बसेस को नियमों का पालन करना अनिवार्य है. जिसके तहत तेज रफ्तार से वाहन नहीं चलाना, फिटनेस व अन्य दस्तावेजों की प्रतिपूर्ति, वाहनों में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं करना, खिडकी को जाली बिठाकर सुरक्षित करना, सीसीटीवी कैमेरा लगाकर बस में महिला सहायक की नियुक्ति बंधनकारक है. लेकिन अधिकांश स्कूल वैन में इन नियमों का पालन ही नहीं किया जाता. उसी प्रकार घरेलू गैस पर स्कूल बस दौडने से किसी भी वक्त अनुचित घटना का डर बना रहता है.

* बच्चे घर पहुंचने तक होती है चिंता
बच्चों को रोज स्कूल ले जाना-लाना संभव नहीं रहने से स्कूल बस या ऑटो लगाना पडता है. लेकिन उनमें छात्र परिवहन के नियमों का पालन नहीं होता, जिससे बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता रहती है. जब तक छात्र सुरक्षित घर नहीं पहुंच जाता, तब तक मन बेचैन रहता है, ऐसा पालकों का कहना है.

* अवैध वाहनों का इस्तेमाल न करें
स्कूल शुरु होने से पहले प्रादेशिक परिवहन कार्यालय द्बारा स्कूल बस का स्पेशल इंस्पेक्शन शुरु किया है. बस धारकों ने नियमों का पालन करना अनिवार्य है, उसी प्रकार पालक वर्ग भी स्कूल वैन के अनुमति समेत फिटनेस व अन्य दस्तावेजों की जांच करें, छात्रों को स्कूल भेजने के लिए अवैध वाहनों का इस्तेमाल ना करें.
– राहुल ढोके, उप प्रादेशिक परिवहन अधिकारी

 

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