मानव जीवन को सार्थक करने के लिए सामुदायिक प्रार्थना
तुकडोजी महाराज की पुण्यतिथि पर पुष्पा बोंडे के कथन
गुरूकुंज मोझरी/प्रतिनिधि दि.२५ – मानव जीवन लेने के लिए ८४ लाख योनी पार करनी पड़ती है. परमेश्वर का दिया गया इस सुंदर शरीर की कीमत अपन नहीं करते. जब अपन बीमार होते है तभी अपन को इस शरीर की कीमत समझ में आती है. इस दिए गये शरीर का ऋण चुकाने के उद्देश्य से ईश्वर का स्मरण करने के लिए सामुदायिक प्रार्थना प्रत्येक को करनी चाहिए. ऐसा प्रतिपादन राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज की ५३ वीं पुण्यतिथि महोत्सव में सामुदायिक प्रार्थना पर पुष्पा बोंडे ने चिंतन किया है. उन्होंने आगे कहा कि पल-पल में गुरूदेव शक्ति अस्तित्व में है. वह शक्ति अपन को दिखे न भी तो भी वह सब देखती है. मनुष्य को अपने किए गये कार्य का हिसाब ईश्वर को देना पड़ता है. कुछ लोग कुछ न बोलकर परमेश्वर की निष्काम सेवा करते है. ईश्वर को प्राप्त करने के लिए जाति-धर्म की आवश्यकता नहीं होती. दुनिया में रहते हुए यदि मरा-मरा का नाम जप किया फिर भी राम का नाम आता ही है. सामुदायिक प्रार्थना के माध्यम से अंतस्वरूप ईश्वर की याद की जाती है. मनुष्य का जीवन यानी ईश्वर के हिसाब की पुस्तक है. इस पुस्तक में लिखा जाता है . भारत के प्राचीन ग्रंथ में भी तथा उपनिषेद में, रामायण में व महाभारत में भी भक्तिसूत्र लिखकर रखा है. गुरू यही ब्रम्ह है. अपने शरीर का किस जगह उपयोग करना है यह हमारे हाथ में है. सभी धर्म का आत्मा, परमात्मा सामुदायिक प्रार्थना में है. मनुष्य को यदि जीवन के भवसागर से पार होना हो तो संसार को एक तरफ रखकर शरीर को अलग करने की ताकत सामुदायिक प्रार्थना में है. जिससे मनुष्य के जीवन का सार्थक होगा.
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कार्यक्रम
२६ अक्तूबर २०२१ को
सुबह ५.३० से ६.३० सामुदायिक ध्यान व चिंतन : डॉ. उध्दव गाडेकर
सुबह ९ से १० बजे तक युगप्रभात ग्रंथ का विवेचन : हरिभाऊ वेरूलकर.
सुबह १० से १२ बजे तक : गोपाल काला
सायं ६ से ७ बजे तक : सामुदायिक प्रार्थना व चिंतन: लक्ष्मण गमे
रात ७ से ८.३० बजे तक : खंजेरी भजन: प्रकाश कथलेे