अमरावती /दि.26– राज्य के प्रशासकीय कामों में पारदर्शकता आये तथा भ्रष्टाचार पर अंकुश लगे इस हेतु सूचना आयोग की स्थापना की गई थी. परंतु सूचना आयोग के पास प्रलंबित रहने वाली शिकायतों को देखते हुए कहा जा सकता है कि, राज्य में सूचना अधिकार के ही बारह बजे हुए है. सूचना आयोग की खंडपीठों के पास नवंबर माह में प्रलंबित रहने वाली 21,318 शिकायतों में से केवल 183 शिकायतों की सुनवाई होकर उनका निपटारा किया गया. वहीं दिसंबर माह के प्रारंभ में कुल 21,135 शिकायतें प्रलंबित थी. इन प्रलंबित मामलों में सूचना आयोग की मुंबई खंडपीठ का स्थान सबसे आगे है. जहां पर नवंबर माह के दौरान एक भी मामले की सुनवाई नहीं हुई और मुंबई में सूचना आयोग के समक्ष 4711 शिकायतें सुनवाई हेतु प्रलंबित है.
बता दें कि, सर्वसामान्य नागरिकों को सरकारी कार्यालयों से सहज व अधिकृत जानकारी मिले. इस हेतु 11 अगस्त 2003 से महाराष्ट्र मेें सूचना अधिकार अधिनियम को लागू किया गया. जिसके तहत सरकार के प्रत्येक विभाग में नागरिकों को उन्हें वांच्छित जानकारी देने हेतु सूचना अधिकारी उपलब्ध कराया जाता है. परंतु आवेदन करने के बाद ही इच्छित जानकारी नहीं मिलने, आधी-अधूरी जानकारी मिलने, जानकारी देने हेतु सरकारी कार्यालय द्वारा अनाप-शनाप शुल्क मांगने जैसी घटनाएं भी घटित होती है. जनसामान्यों के इस हाल बेहाल को रोकने हेतु सूचना आयोग ने ही सूचना आयुक्त के समक्ष गुहार लगाने की सहूलियत भी दी है.
बता दें कि, महाराष्ट्र मेें सूचना आयुक्त के मुख्यालय सहित अमरावती, नागपुर, नाशिक, छत्रपति संभाजी नगर, पुणे, कोंकण व बृहन्मुंबई ऐसे 8 खंडपीठ है. परंतु इन 8 खंडपीठ में शिकायतों पर सुनवाई करते हुए उन पर फैसला देने हेतु नवंबर माह में केवल 4 सूचना आयुक्त ही उपलब्ध थे. वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की सितंबर व अक्तूबर माह की मासिक सुधार रिपोर्ट के मुताबिक अक्तूबर माह में करीब 7 जिलों में सूचना अधिकार के 100 फीसद आवेदन प्रलंबित थे. यानि कुलमिलाकर राज्य सूचना आयोग में गुहार लगाने वाले नागरिकों के हिस्से में केवल निराशा ही आ रही है.
सूत्रों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक अक्तूबर 2023 तक सभी 8 खंडपीठों के पास 20,744 शिकायतें प्रलंबित थी. जिनमें नवंबर माह के दौरान 643 शिकायते जुड गई. परंतु निपटारा करने हेतु प्रलंबित रहने वाली 21,318 शिकायतों में से केवल 183 शिकायतों की सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुनाया गया. जिसके चलते दिसंबर माह में सुनवाई हेतु 21,135 शिकायतें प्रलंबित थी.
शिकायतों की सुनवाई होने के उपरान्त भी समाधान नहीं होने वाले नागरिक द्वितीय अपील में जाते है. जहां पर शिकायतों का निपटारा कुछ हद तक जलदगति से होता दिखाई देता है. अक्तूबर 2023 के अंत तक राज्य में 90,820 अपील प्रलंबित थी. जिसमें नवंबर माह के दौरान 3,177 शिकायते जुड गई. परंतु अन्य आयुक्तों की ओर हस्तांतरीत किये जाने के बाद प्रलंबित अपीलों की संख्या 93,976 हो गई थी. पश्चात नवंबर माह के दौरान 5,995 अपीलों पर सुनवाई होकर 87,981 अपीले सुनवाई हेतु प्रलंबित थी.
नवंबर दौरान मुंबई में एक भी शिकायत का निपटारा नहीं. नवंबर माह के दौरान शिकायतों की सुनवाई करते हुए फैसला सुनाने के मामले में पुणे व कोंकण खंडपीठ सबसे आगे रहे. पुणे खंडपीठ द्वारा 40 शिकायतों पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया गया. वहीं 1905 बीती अपील पर सुनवाई करते हुए फैसला दिया गया. इसी तरह कोंकण खंडपीठ में 38, पुणे खंडपीठ में 40, नाशिक खंडपीठ में 26, अमरावती खंडपीठ में 34, छत्रपति संभाजी नगर खंडपीठ में 18 व नागपुर खंडपीठ में 27 शिकायतों का निपटारा किया गया. परंतु मुंबई मुख्यालय तथा बृहन्मुंबई खंडपीठ में नवंबर माह के दौरान एक भी खंडपीठ पर सुनवाई नहीं हुई.
* खंडपीठ निहाय प्रलंबित शिकायतों के आंकडे
खंडपीठ नवंबर में प्रलंबित शिकायते शिकायतों का निपटारा
मुंबई (मुख्यालय) 4711 00
मुंबई 2115 00
कोंकण 4281 38
पुणे 2315 40
नाशिक 1242 26
अमरावती 1425 34
छत्रपति संभाजीनगर 4522 18
नागपुर 707 27