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ओबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया पूर्ण करें

वंचित बहुजन आघाडी की मांग

* ओबीसी आरक्षण समर्पित आयोग से की चर्चा
अमरावती/दि.28– राज्य में सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार ओबीसी प्रवर्ग को आरक्षण देने के लिए कोर्ट के 5 मई 2022 के आदेशानुसार डिलीमिटेशन का काम शुरु रखकर ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूर्ण की जाए, कोर्ट के आदेशानुसार ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया आधारित रिपोर्ट तैयार की जाए, यदि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की रिपोर्ट पर असमाधान व्यक्त किया, तो मध्य प्रदेश की तर्ज पर चुनाव कराये जाए, ओबीसी आरक्षण के बगैर चुनाव नहीं करें, ओबीसी की जाति निहाय जनगणना की जाए, यह भूमिका वंचित बहुजन आघाडी ने ओबीसी आरक्षण समर्पित आयोग के सामने रखी. जिसकी जानकारी वंचित द्बारा आयोजित पत्रवार्ता में देते हुए वंचित की प्रदेशाध्यक्ष रेखा ठाकुर ने ओबीसी आरक्षण को लेकर उपस्थित विभिन्न मुद्दों पर भी प्रकाश डाला.
सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी समाज को आरक्षण देने के लिए एम्पिरिकल डेटा संकलित करने के आदेश दिये है. उसके लिए किसी भी प्रकार की यंत्रणा स्थापित करने के स्थान पर सरकार द्बारा केवल जनता व राजनीतिक-सामाजिक संगठनों से जानकारी संकलित कर रही है. इस जानकारी का इम्पिरिकल डेटा तैयार करने में कोई फायदा नहीं होगा. जिससे सरकार केवल समय मारने का काम कर ओबीसी समाज की दिशाभूल कर रही है. ओबीसी के राजकीय आरक्षण संबंधित राज्य सरकार द्बारा जो डेटा कोर्ट में पेश किया गया था, उसे कोर्ट ने नकार दिया है. इसलिए ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूर्ण करने के निर्देश कोर्ट ने दिये. लेकिन सरकार द्बारा केवल निवेदनों के आधार पर रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया शुरु की गई है. ऐसी रिपोर्ट कोर्ट में नहीं टिकेंगी, इसलिए प्रक्रिया अनुसार इम्पिरिकल डाटा जुटाकर परिपक्व रिपोर्ट तैयार करने की मांग भी की गई है. वंचित द्बारा आयोग को बताया गया कि, महाराष्ट्र में 1967 से लेकर 2004 तक विजयी हुए विधायकों की सामाजिक स्थिति की जांच करें, तो पता चलता है कि, ओबीसी प्रवर्ग के कुणबी, माली, धनगर, लेवा पाटील इस समाज के ही प्रतिनिधि चुनकर आते है. ओबीसी में शामिल कई प्रवर्गों को प्रतिनिधित्व नहीं मिलता. इसलिए स्थानीय निकाय संस्थाओं में ओबीसी आरक्षण को लेकर महत्वपूर्ण प्रयास व सभी वंचितों को लाभ देने का नियोजन होना जरुरी है.

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