अमरावती

‘झगडे़ से समझौता अच्छा, परिवार के सुख में आनंद सच्चा’

जन-जन तक संदेश पहुंचाने का प्रयास

* लोक अदालत में १६ मामलों पर सुनवाई
* जिला विधि सेवा प्राधिकरण का आयोजन
अमरावती/दि. १-‘झगड़े से समझौता अच्छा,परिवार के सुख में आनंद सच्चा’ इस संदेश को जन-जन पहुंचाने के लिए जिला विधि प्राधिकरण के सहयोग से प्रयास किया गया. पारिवारिक न्यायालय में रविवार ३० अप्रैल को लोकअदालत की कार्रवाई पूर्ण की गई. जिला व सत्र न्यायाधीश एम.आर.देशपांडे के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय लोकअदालत का आयोजन किया गया. पारिवारिक न्यायालय की ओर से लोक अदालत में कुल ५३ मामले दर्ज किए गए. जिन पर हुई सुनवाई के पश्चात १६ मामलों को सुलझाने में अदालत को सफलता मिली है. इनमें से पांच मामलों में पक्षकारों के बीच सूझबूझ और समन्वय बनाकर उनके परिवार को टूटने से बचाया गया है. अदालत में कुल ५३ मामले रखे गए. इनमें से १६ मामलों का निपटारा किया गया.पांच मामलों में पक्षकारों के परिवार को जोडने का प्रयास किया गया और उन्हें एकसाथ सांसारिक जीवन व्यतीत करने का दोबारा मौका दिया गया. इन मामलों में तलाक की अर्जी को टालकर उन्हें दोबारा एक-दूसरे के साथ समय बिताने की अनुमति दी है. अन्य ११ मामलों में आपसी सहमति से समझौता करवाया गया.

इन्होंने किया प्रयास
लोक अदालत में मुख्य न्यायदंडाधिकारी ए.वी.कस्तुरे ने पैनल जज, एड. तृप्ति दुबे ने सदस्य की जिम्मेदारी निभाई. कामकाज का मुआयना मुख्य जिला व सत्र न्यायाधीश एम.आर.देशपांडे, जिला न्यायाधीश-३ आर.वी.ताम्हाणेकर, विधि सेवा प्राधिकरण के सचिव जे.आर.पाटील ने किया. लोक अदालत की कार्रवाई की प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए न्यायाधीश आर.आर.पोंदुकुले के मार्गदर्शन में विवाह समुपदेशक एस.एन.तेलरांधे, न्यायिक व्यवस्थापक ऊषा तिवारी, धनंजय क्षीरसागर, लिपिक अल्का चौबे, स्नेहा इंगोले, एस.आर. वाकडे ने सहयोग किया.

दादा-दादी ने भी गुहार लगाई थी
एक परिवार के दादा-दादी ने भी अदालत से गुहार लगाई थी. रविवार के पारिवारिक न्यायालय में आयोजित लोक अदालत में एक मामला ऐसा भी रहां जहां दादा अपने पोते से मिलने के लिए अदालत की चौखट तक पहुंचे थे. उनके पुत्र की मृत्यु के पश्चत बहु पोते से दादा-दादी को मिलने के लिए मना कर रही थी. अदालत ने सास-ससुर और बहु में संवाद करवाकर दादा-दादी को उनके पोते से मिलने की अनुमति दिलवाई. जिसके कारण कई वर्षों से पोते से दूर हुए बुजुर्ग दादा-दादी ने लोक अदालत के माध्यम से अपने पोते को गले से लगाया. दादा-दादी और पोते का यह मिलाप देखकर अदालत में उपस्थित सदस्य भावविभोर हुए.

 

 

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