अमरावती

नरक की यातना भुगतने को विवश विद्यार्थी

पशु भी न खाए ऐसा निकृष्ट दर्जे का भोजन

धारणी के डॉ. बााबसाहब आंबेडकर छात्रावास में गंदगी ही गंदगी
* बिस्तर-तकीए फट गए, बदबू के मारे रुकना मुश्किल
* विद्यार्थियों ने कई बार लगाई न्याय की गुहार
* खबर प्रकाशित न करने के लिए गृहपाल देता है प्रलोभन
धारणी/दि.4 – धारणी में समाज कल्याण विभाग की ओर से चलाए जाने वाले धारणी के डॉ. बाबासाहब आंबेडकर पिछडा वर्गीय बालकों के छात्रावास में रहने वाले विद्यार्थी नरक की यातनाए भुगत रहे है. उन्हें पशु भी न खाए, ऐसा निहायत निकृष्ट दर्जे का भोजन दिया जाता है. छात्रावास में चारों तरफ गंदगी ही गंदगी फैली हुई है. किसी तरह की उचित व्यवस्था नहीं है. बिस्तर-तकिए तक फट गए है. कपास यहां-वहां गिर रहा है. फिर भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा. विद्यार्थियों को उनके अधिकार का मिलने वाले भत्ते से भी वंचित है. इस बारे में विद्यार्थियों ने कई बार शिकायत की. परंतु कोई फायदा नहीं हुआ. उनकी आवाज दबा दी गई. इस बारे में इस छात्रावास के गृहपाल डीआर धुर्वे से पूछे जाने पर वे खबर नहीं छापने के लिए प्रलोभन देते है. जबकि विद्यार्थियों की आवाज उठाकर उन्हें न्याय दिलाना बेहद जरुरी है. विद्यार्थियों को न्याय दिलाने के लिए कुछ सामाजिक संगठनाएं भी आंदोलन की तैयारी में जुट गई है. गृहपाल धुर्वे को तत्काल वहां से हटाने की मांग की जा रही है.
डॉ. बाबासाहब आंबेडकर पिछडा वर्गीय बालकों के शासकीय छात्रावास में कक्षा 8 वीं से ग्रेज्यूएशन तक पढने वाले 75 बालक रहते है. बच्चों का कहना है कि उन्हें निकृष्ट दर्जेे का भोजन दिया जा रहा है. पिछले 5 दिनों से नाश्ते में मिलनेवाले ड्रायफुड, बिस्किट, अंडे, दूध नहीं दिए जा रहे. परीक्षा होने के कारण उन्हें भूखे पेट ही तीन किलोमीटर पैदल जाना पडता है. पीने के पानी की उचित व्यवस्था भी नहीं है. उन्हें प्रतिमाह मिलनेवाला भत्ता पिछले कुछ दिनों से नहीं मिल पाया है. रसोइए विद्यार्थियों के साथ दुर्व्यहार करते है. यहां के बेडसीट गंदे है, तकिए फट चुके है, इसकी कई बार शिकायत विद्यार्थियों ने की. परंतु अब तक किसी तरह का हल नहीं निकल पाया. मजबूरी में यातनायुक्त जीवन जीने के लिए विवश है. इस पर विद्यार्थियों ने मीडिया के माध्यम से न्याय की गुहार लगाई है. विद्यार्थियों ने यह भी बताया कि, उन्हें प्रतिमाह सरकार की ओर से भत्ते की राशि मिलती है. किंतु पिछले 5 माह से उन्हें एक रुपए भी नहीं मिला. इस बारे में गृहपाल धुर्वे कहते है कि, मंत्रालय में निधि को मंजूरी दी गई है. परंतु अब तक विद्यार्थियों को किसी तरह का लाभ नहीं मिल पाया. दूसरी तरह विद्यार्थी जब भी निकृष्ट भोजन को लेकर शिकायत करते है, तो रसाईए अभद्र व्यवहार करते है. गृहपाल के कान पर जूं तक नहीं रेंगती. इस पर विद्यार्थियों ने न्याय पाने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकारों से न्याय की गुहार लगाई है. पत्रकार द्बारा गृहपाल धुर्वे से इस बारे में पूछने पर उन्हें खबर न छापने के लिए प्रलोभन देने से भी वे बाज नहीं आ रहे. अगर वक्त रहते गृहपाल को इस छात्रावास से नहीं हटाया गया, तो इसके खिलाफ तीव्र आंदोलन छेडने की सामाजिक संगठनाओं ने चेतावनी भी दी है.

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