अमरावती

रक्षण हक्क कृति समिति का सम्मेलन

पिछडा वर्ग एकजूट होकर रास्ते पर आकर आंदोलन करें- अरूण गाडे

3 अक्तूबर के मोर्चे में हजारो कर्मचारी होंगे शामिल
अमरावती-/ दि. 12  संविधान में प्रावधान के राजनीतिज्ञों ने न्याय देने की नीति नहीं अपनाई है. सरकार किसी की भी हो ओबीसी, एससी, एसटी, व्हीजेएनटी, एसबीसी द्बारा न्याय देने की नीति पर अमल नहीं किया जा रहा है. देश के अनेक राज्यों में पिछडेवर्गीयों से अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता. सामाजिक न्याय नहीं दिया जाता. तब पिछडे वर्ग के समूह ने एकजुट होकर रास्ते पर आकर आंदोलन करना चाहिए ऐसा प्रतिपादन महाराष्ट्र राज्य कास्ट्राइब कर्मचारी कल्याण महासंघ के नागपुर जिलाध्यक्ष तथा आरक्षण हक्क कृति समिति के राज्य निमंत्रक अरूण गाडे ने किया.
विविध पिछडेवर्गीय अधिकारी कर्मचारी संगठन का राज्यव्यापी महासंघ आरक्षण हक्क कृति समिति की ओर से अमरावती विभागीय सम्मेलन रविवार को जिलाधिकारी कार्यालय परिसर के बचत भवन में संपन्न हुआ.
इस सम्मेलन के अध्यक्ष पिछडेवर्गीय अधिकारी, कर्मचारी महासंघ के मार्गदर्शक तथा वर्धा जिले के उपजिलाधिकारी रविन्द्र जोगी थे. प्रमुख मार्गदर्शक के रूप में महाराष्ट्र राज्य कास्ट्राईब कर्मचारी महासंघ के नागपुर जिलाध्यक्ष तथा आरक्षण हक्क कृति समिति के राज्य निमंत्रक अरूण गाडे, महाराष्ट्र विद्यापीठ पिछडेवर्गीय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष तथा आरक्षण हक्क कृति समिति के राज्य निमंत्रण डॉ. नितीन कोली, महाराष्ट्र राज्य पिछडेवर्गीय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष तथा आरक्षण हक्क कृति समिति के राज्य निमंत्रक विजयकुमार चौरपगार उपस्थित थे.
प्रमुख अतिथि के रूप में तहसीलदार अनिल भटकर, महाराष्ट्र विद्यापीठ पिछडेवर्गीय कर्मचारी महासंघ के उपाध्यक्ष निदेश दखणे, राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के इंजीनियर सुषमा भड, डॉ. संतोष बनसोड, पूर्व परीक्षा नियंत्रक डॉ. बी. आर वाघमारे , राष्ट्रीय चर्मकार महासंघ के डॉ. दिनेश रोजतकर उपस्थित थे. प्रमुख उपस्थिति में नागपुर के एम.एस.वानखडे, सिनेट सदस्य डॉ. प्रफुल्ल गवई, आदिवासी कर्मचारी संगठन के महासचिव विठ्ठल मरापे, छाया खोब्रागडे सहित अन्य मान्यवर उपस्थित थे.
सम्मेलन का प्रास्ताविक ऑल इंडिया के आदिवासी कर्मचारी संगठन के राज्य महासचिव विठ्ठल मरापे ने किया. सूत्र संचालन डॉ. देवीलाल आठवले ने तथा अभार डॉ. रत्नशील खोब्रागडे ने माना
सम्मेलन को सफल बनाने के लिए बी.ए. राजगडकर, नामदेव गडलिंग, आशीष नागरे, राजेश चोरपगार, पीएस धुवे्र, आषीष ढवले, ऋतुराज पटोरकर, निलेश रायबोले, प्रा. रविन्द्र परगणे, प्रा. ्रपेम मंडपे, व्ही, यु दंदे, सुधाकर तलवारे, निलेश धाकडे, विनोद जाधव, त्रिशरण मोहोड, कैलाश गुडसुंदरे, अमरदीप चौरपगार, विजय वाघमारे, कुसमेंद्र सोनटक्के, श्रीकांत तायडे, एस. पी. थोरात, भोजराज माहुरे, चेतन जाधव, प्रेमचंद अंभोरे,राजेन्द्र माहुरे, सुरेन्द्र शिरसाट, प्रा. जगदीश गोवर्धन, राजेन्द्र माहुरे, संतोष वलके, अग्निलाल मावसकर,टीना चव्हाण, संजय बोरकर, प्रशांत वानखडे, संदीप पळसपगार, अमोल नवलकर, सुवर्णा बेले आदि पदाधिकारी व सदस्यों ने सहयोग किया.
ओबीसी को ही क्रिमिलियर की शर्त है. यह गलत फहमी है. एससी एसटी को भी क्रिमिलियर लगाया गया है. किंतु इस संबंध में कोई भी बोलने को तैयार नहीं है. पांच वर्ष में आरक्षण खत्म होगा. ऐसा धोखा निर्माण हुआ है. 3 अक्तूबर के मोर्चा में बडी संख्या में शामिल होने का आवाहन महाराष्ट्र विद्यापीठ पिछडेवर्गीय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष डॉ. नितीन कोली ने किया.
पिछडावर्गीय अधिकारी व कर्मचारी पर अन्याय करनेवाला शासन निर्णय यह आरक्षण खत्म करने के आसार है. तीन अक्तूबर को नागपुर में निकलनेवाला मोर्चा अपने परिवार के सदस्यों को साथ में लाए. लाखों की संख्या में पिछडेवर्गीय अधिकारियों को शामिल होने का आवाहन महाराष्ट्र राज्य पिछडेवर्गीय अधिकारी कर्मचारी संगठन के राज्याध्यक्ष विजयकुमार चोरपगार ने किया है.
डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने संविधान नहीं बनाया होता तो गाडी माडी नहीं मिलती. आरक्षण बचेगा तभी पिछडावर्ग बचेगा. 3 अक्तूबर को मोर्चे में संविधान की रक्षा करने के लिए शामिल होने का आवाहन आदिवासी कर्मचारी संगठन के महासचिव विठ्ठल मरापे ने किया.
संविधान की रक्षा केवल जीवित मनुष्य ही कर सकता है. आरक्षण के विरोध में 6 हजार संगठन काम कर रहे है. उनका प्रयास असफल होने के लिए मोर्चे में हजारों की संख्या में शामिल होने का आवाहन राष्ट्रीय चर्मकार महासंघ के डॉ. दिनेश रोजतकर ने किया है.
पदोन्नती के घटनादत्त आरक्षण पिछडावर्गीय अधिकारी व कर्मचारियों पर अन्याय करनेवाला शासन निर्णय रद्द करने के लिए जनता को जनता के साथ संघर्ष करना पडेगा. अधिकारी व कर्मचारी तक ही सीमित न रहकर जन संघर्ष करे. डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के अनुयायियों को संघर्ष करना चाहिए. ऐसा प्रतिपादन पूर्व परीक्षा नियंत्रक डॉ. बी. आर वाघमारे ने किया.

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