अमरावती

येलो मोझेक के लिए सरकारी निधी मांगने को लेकर प्रशासन में संभ्रम

51 हजार हेक्टेअर में सोयाबीन प्रभावित होने की प्राथमिक रिपोर्ट

अमरावती /दि.6– राज्य सरकार के निर्देशानुसार येलो मोझेक नामक विषाणुजन्य बीमारी से बाधित सोयाबीन की फसल का संयुक्त पंचनामा किया गया. इसके तहत 4 तहसीलों में 51 हजार हेक्टेअर क्षेत्र प्रभावित रहने की रिपोर्ट कृषि विभाग द्वारा तय की गई. परंतु प्रभावित किसानों को किस तरह से मदद मिलेगी. यह बात सरकार की ओर से स्पष्ट नहीं की गई है. जिसके चलते प्रशासन में काफी हद तक संभ्रम देखा जा रहा है.

बता दें कि, खरीफ सीजन के शुरुआती दौर में बारिश शुरु होने को लेकर हुए विलंब और इसके बाद बारिश में पडे ठंड के साथ ही सितंबर माह में हुई बारिश और वातावरण में हुए बदलाव जैसी अलग-अलग वजहों के चलते सोयाबीन की फसल पर किडो व बीमारियों का प्रादूर्भाव हुआ. जिसके तहत जिले में सोयाबीन की फसलों पर विषाणुजन्य येलो मोझेक सहित मूलकुज व खोडकुज नामक बुर्शीजन्य रोगों का भी प्रादूर्भाव हुआ था. जिससे किसानों को राहत दिलाने हेतु संयुक्त पंचनामे करने का निर्देश 3 सितंबर को हुई बैठक में जारी किया गया था. परंतु जिला प्रशासन के पास 16 अक्तूबर को प्रत्यक्ष आदेश पहुंचा. जिसके आधार पर निवासी उपजिलाधीश ने 3 नवंबर को सभी तहसीलदारों व बीडीओ के नाम पंचनामे का आदेश जारी किया. परंतु इस दौरान सोयाबीन की कटाई का सीजन शुरु हो गया था और करीब 50 फीसद क्षेत्र में सोयाबीन की कटाई व बिनाई हो चुकी थी. जिसके चलते प्रभावित सोयाबीन का पंचनामा कैसे किया जाए. यह समस्या कृषि विभाग के सामने पैदा हो गई. परंतु अब यह जानकारी सामने आयी है कि, करीब 51 हजार हेक्टेअर क्षेत्र में सोयाबीन की फसल किटकजन्य रोग से बाधित हुई थी. ऐसे में अब निधि की मांग का प्रस्ताव कौन भेजेंगा, यह सवाल उपस्थित हुआ है.
विशेष उल्लेखनीय है कि, अमरावती संभाग के अन्य जिलों से येलो मोझेक प्रभावित सोयाबीन हेतु सहायता राशि का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेज भी दिया गया है. परंतु अमरावती जिले से अब तक सरकारी निधी की मांग हेतु कोई प्रस्ताव पेश नहीं किया गया है, ऐसी जानकारी सामने आयी है.

* अमरावती, चांदूर रेल्वे, धामणगांव रेल्वे व नांदगांव खंडे तहसील में प्रभावित हुई थी फसल
कृषि विभाग द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक अमरावती, चांदूर रेल्वे, धामणगांव रेल्वे व नांदगांव खंडेश्वर तहसील के करीब 51 हजार हेक्टेअर क्षेत्र में सोयाबीन की फसल पर येलो मोझेक सहित मुलकुज व खोडकुज नामक बुरशीजन्य बीमारियों का प्रादूर्भाव हुआ था. परंतु इसे लेकर निधि की मांग का प्रस्ताव अब तक सरकार को भेजा नहीं गया है. इसके साथ ही सरकार की ओर से भी कोई स्पष्टता नहीं की गई है. जिसके चलते प्रभावित किसानों को मिलने वाली सरकारी मदद का मामला फिलहाल अधर में लटका हुआ है.

* एनडीआरएफ की मदद या बीमा लाभ
एक रुपए में फसल बीमा में सहभाग रहने के चलते लगभग सभी किसानों ने इस योजना में सहभाग लिया है. साथ ही बाधित क्षेत्र के बीमा संरक्षित रहने के चलते किसानों को मुआवजा मिले, ऐसी सरकार की भूमिका थी. परंतु फसल बीमा में किटक व रोग से होने वाले नुकसान का समावेश नहीं रहने की जानकारी सामने आयी है. जिसके चलते किसानों को एनडीआरएफ के जरिए मदद दी जाएगी अथवा नहीं इसे लेकर भी सरकार द्वारा जानकारी स्पष्ट नहीं की गई है.

* बाधित सोयाबीन के लिए सरकार से किस शीर्ष अंतर्गत निधि की मांग करनी है, इसे लेकर कोई स्पष्टता नहीं है. जिसके चलते कृषि विभाग के साथ इस बारे में चर्चा करते हुए निधि की मांग का प्रस्ताव सरकार को भेजा जाएगा.
– डॉ. विवेक घोडके,
निवासी उपजिलाधीश,
अमरावती

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