बाजे कुंडलपुर में बधाई, नगरी में वीर जन्मे…
बड़ा जैन मंदिर में हर्षोल्लास से मनाया महावीर जन्मोत्सव
*प.पू. साध्वी स्मितपूर्णाश्री जी म.सा. का सानिध्य
अमरावती/दि.18- भाजीबाजार रोड स्थित श्री जैन श्वेतांबर बड़ा मंदिर में आचार्य विजयनीति सुरिश्वरजी म.सा. समुदाय के जीरावाला तीर्थ के आचार्य हेमप्रभसुरिश्वजी म.सा. की सुशिष्या साध्वी स्मितपूर्णाश्री जी म.सा. आदिठाणा के पावन सानिध्य में 13 से 20 अगस्त तक तप, आराधना एवं साधना के साथ पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व मनाए जा रहा है. पर्व दौरान भगवान महावीर के जीवन चरित्र को दर्शाने वाले कल्पसूत्र पोथी का पठन किया जाता है. आज इस पोथाजी पठन के दौरान त्रिशलानंदन भगवान महावीर का जन्मोत्सव मनाया गया.
भगवान महावीर के जन्म से पूर्व उनकी माता त्रिशला ने रात्रि के अंतिम प्रहर में 14 शुभ मंगलकारी स्वप्न देखें. वह आषाढ़ शुक्ल षष्ठी का दिन था. सुबह जागने पर रानी ने महाराज सिद्धार्थ से स्वप्न की चर्चा की तथा इन स्वप्नों के बारे में पूछा, तब महारानी ने बताया कि उन्होंने 14 मंगलकारी स्वप्न देखें हैं, वे इस प्रकार श्वेतहाथी, श्वेतऋषभ, सिंह, लक्ष्मी, सुगंधित पुष्पमाला, चंद्रमा, सूर्य, लहराती ध्वजा, स्वर्ण कलश, पद्म सरोवर, स्वर्ण सिंहासन, देह विमान, रत्नों का ढेर और धुआं रहित अग्नि इस तरह के 14 स्वप्न जब भगवान महावीर गर्भ में थे, तब उनकी माता त्रिशला ने यह स्वप्न देखें थे. उन्हीं सपनों की बोलियां आज समाज बंधुओं द्वारा बोली गई. इन बोलियों द्वारा प्राप्त होने वाली राशि से वर्ष भर मंदिर में पूजा कार्य आदि संपन्न होते हैं.
त्रिशलानंदन वीर की जय बोलो महावीर की
पूज्य स्मितपूर्णाश्री जी म.सा. ने महावीर के जन्म का वाचन किया, तब सभी उपस्थित समाज बंधुओं ने एक सुर में त्रिशलानंदन वीर की जय बोलो महावीर की, बाजे कुंडलपुर में बधाई, नगरी में वीर जन्मे, झूलों रे झूलों थे तो त्रिशलारा जाया भगवान महावीर स्वामी की जय आदि जयकारों से मंदिर गूंजायमान हो गया.सभी ने भगवान महावीर का जन्मोत्सव, उनका पालना झूलाकर मनाया. कार्यक्रम में कोमल बोथरा, नवीन चोरड़िया, राजेश जैन, मांगीलाल गोलेच्छा, चंचल गोलेच्छा, विजय बोथरा, मनीष सकलेचा, सिद्धार्थ बोथरा, पदम सामरा, अंकेश चोरड़िया, एड.मोहित जैन, भरत खजांची, अजय भंसाली, कीर्ति बाफना के साथ बड़ी संख्या में समाज बंधु-भगीनी की उपस्थित रही. वहीं वाद्य पर सतीश श्रीवास ने महावीर जन्मोत्सव के बेहतरीन भजनों को गाकर समां बांधा.