अमरावतीमहाराष्ट्रमुख्य समाचार

मनपा पर जमकर भडके कांग्रेसी नेता

विधायक लिंगाडे, पूर्व मंत्री डॉ. देशमुख व पूर्व महापौर विलास इंगोले ने दिखाये तीखे तेवर

* साफ-सफाई के अभाव, शिक्षक भर्ती सहित ले-आउट को नियमबाह्य मंजूरी पर दागे सवाल
* आयुक्त कलंत्रे से मांगा स्पष्टीकरण
* आयुक्त ने कडी जांच व कार्रवाई का दिया आश्वासन
अमरावती/दि.23– गत रोज संभाग के शिक्षक विधायक धीरज लिंगाडे, पूर्व मंत्री डॉ. सुनील देशमुख व पूर्व महापौर विलास इंगोले सहित कांग्रेस नेताओं के प्रतिनिधि मंडल ने अकस्मात ही मनपा मुख्यालय पहुंचकर आयुक्त व प्रशासक सचिन कलंत्रे से मुलाकात की और शहर में चल रही अव्यवस्थाओं से संबंधित कई मुद्दों पर आक्रामक भूमिका अपनाते हुए आयुक्त कलंत्रे से इस संदर्भ में जवाब तलब किया. इस समय कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक में उपस्थित मनपा के सभी अधिकारी काफी हद तक सकपकाये हुए दिखाई दिये. जिन्हें कांग्रेस नेताओं ने जमकर आडे हाथ लेते हुए व्यवस्था को तुरंत ही चाक-चौबंद करने हेतु कहा. अन्यथा इसके खिलाफ तीव्र भूमिका अपनाने की चेतावनी भी इस समय संतप्त कांग्रेसियों की सभी बातों को बेहद गंभीरता के साथ ध्यानपूर्वक सुनते हुए मनपा आयुक्त सचिन कलंत्रे ने जल्द ही तमाम मामलों की अपने स्तर पर जांच पर आवश्यक कार्रवाई करने का आश्वासन दिया.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक गत रोज मनपा आयुक्त से मिलने हेतु पहुंचे कांग्रेस नेताओं के प्रतिनिधि मंडल ने शहर में साफ-सफाई की व्यवस्था का अभाव रहने, शहर में निकृष्ठ दर्जे की सडकों का निर्माण होने तथा मनपा की शिक्षक भर्ती का जिम्मा अयोग्य ठेकेदार को दिये जाने के साथ-साथ मनपा के ठेकों में चल रही गडबडियों व मनमानी को लेकर मनपा अधिकारियों को जमकर आडे हाथ लिया. साथ ही साथ मौजे वडद स्थित ले-आउट को मनपा प्रशासन द्वारा दी गई नियमबाह्य मंजूरी को लेकर भी कांग्रेस नेताओं ने बेहद आक्रामक भूमिका अपनाई. इस समय पूर्व मंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने यह कहते हुए अपना आक्रोश व संताप व्यक्त किया कि, यदि ऐसा ही काम करना है, तो मनपा को ठेकेदारों व बिल्डरों के हवाले कर दिया जाना चाहिए. ताकि जनप्रतिनिधियों के दबाव में मनपा अधिकारियों को चोरी-छिपे तरीके से बिल्डरों व ठेकेदारों के साथ मिलीभगत करते हुए काम न करना पडे और मनपा में खुल्लमखुल्ला बिल्डरों व ठेकेदारों की मर्जी चलते रहे. पूर्व मंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने यह आरोप भी लगाया कि, अक्सर मनपा के कामकाज में मनपा पदाधिकारियों के राजनीतिक हस्ताक्षेप का आरोप लगाया जाता रहा. लेकिन विगत दो वर्षों से मनपा के चुनाव ही नहीं हुए है और मनपा में कोई पदाधिकारी भी नहीं है. जिसके चलते राजनीतिक हस्तक्षेप का सवाल भी नहीं उठता. ऐसे समय तो मनपा अधिकारियों ने और भी शानदार तरीके से काम करना चाहिए था, लेकिन हुआ इससे उलट और मनपा अधिकारियों ने प्रशासक राज को अपने लिए शानदार मौका मानते हुए ठेकेदारों व बिल्डरों के साथ मिलकर जबर्दस्त भ्रष्टाचार करना शुरु कर दिया. जिसकी वजह से अमरावती शहर में पूरी व्यवस्था का बंटाढार हो गया है तथा इसका खामियाजा अमरावती शहर के आम नागरिकों को भुगतना पड रहा है.
इस बैठक में स्नातक विधायक धीरज लिंगाडे, पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख व पूर्व महापौर विलास इंगोले सहित कांग्रेस की महिला शहराध्यक्ष जयश्री वानखडे, पूर्व पार्षद बालू भुयार, राजू भेले, डॉ. राजेंद्र तायडे, विजय वानखडे, गजानन जाधव, गजानन राजगुरे, सुनील जावरे, अनिल माधवगढिया, पंकज लुंगीकर, डॉ. अंजलि ठाकरे, साजिद भाई, पप्पू भाई, अ. रफीक उर्फ रफ्फु पत्रकार के साथ ही मनपा आयुक्त सचिन कलंत्रे, अतिरिक्त आयुक्त महेश देशमुख, उपायुक्त माधुरी मडावी, शिक्षाधिकारी प्रकाश मेश्राम, अभियंता इकबाल खान व रवींद्र पवार, उपअभियंता श्रीरंग तायडे, आशीष अवसरे, प्रमोद इंगोले, नितिन बोबडे, लक्ष्मण पावडे व मनपा के पशु शल्यचिकित्सक डॉ. सचिन बोेंद्रे आदि उपस्थित थे. बैंठक में हुए भुचार मंथन के उपरान्त आयुक्त सचिन कलंत्रे ने जल्द ही सभी मामलों की जांच करते हुए आवश्यक कार्रवाई करने का आश्वासन दिया.

* झोन निहाय सफाई ठेके ने किया सत्यानाश
इस बैठक में पूर्व मंत्री डॉ. सुनील देशमुख तथा पूर्व महापौर विलास इंगोले ने शहर में व्याप्त साफ-सफाई के अभाव तथा जगह-जगह लगे कचरे व गंदगी के ढेर की ओर मनपा आयुक्त सचिन कलंत्रे का ध्यान दिलाते हुए कहा कि, इससे पहले मनपा में प्रभाग निहाय सफाई ठेका की प्रणालि चला करती थी. जिसमें प्रत्येक ठेकेदार के पास साफ-सफाई के साधन के साथ सफाई कर्मियों की संख्या का निविदा करार में उल्लेख हुआ करता था. परंतु प्रशासक राज के दौरान तत्कालीन आयुक्त ने लगभग मनमानी करते हुए झोन निहाय ठेका प्रणाली को अस्तित्व में लाया. जिसके तहत 5 झोन के ठेके केवल 3 ठेकेदारों को दिये गये. परंतु हैरत और कमाल की बात यह रही कि, निविदा करार में इस बात का उल्लेख ही नहीं है कि, ठेकेदार द्वारा प्रत्येक झोन में साफ-सफाई के कितने साधन और कितने सफाई कर्मचारी लगाये जाएंगे. इस बात का सफाई ठेकेदारों द्वारा भरपूर फायदा उठाते हुए नाममात्र के कर्मचारी लगाकर साफ सफाई की कागजी खानापूर्ति की जा रही है. जिसकी वजह से पूरा शहर गंदगी के ढेर में तब्दील हो रहा है. ऐसे में बेहद जरुरी है कि, मनपा प्रशासन द्वारा झोन निहाय सफाई ठेकेदारों के कामकाज पर नजर व नियंत्रण रखा जाये. साथ ही प्रत्येक ठेकेदार को उसके झोन के प्रत्येक प्रभाग व वार्ड में कर्मचारियों की समूचित नियुक्ति करने हेतु कहा जाये, ताकि शहर में पहले की तरह नियमित तौर पर साफ-सफाई हो सके.

* सफाई ठेकेदार है या विधायकों के कार्यकर्ता
इस समय पूर्व मंत्री डॉ. सुनील देशमुख व पूर्व महापौर विलास इंगोले ने यह आरोप भी लगाया कि, इससे पहले वार्ड निहाय व प्रभाग निहाय सफाई ठेका प्रणाली के तहत पूरे शहर की साफ-सफाई हेतु 23 ठेकेदारों की नियुक्ति की गई थी तथा प्रत्येक ठेकेदार के कामकाज की नियमित तौर पर समीक्षा होती थी. इसके बावजूद यह आरोप लगता था कि, तत्कालीन पार्षदों के नजदीकी लोगों को ठेके दिये जाते है. वहीं प्रशासक राज के दौरान अमरावती मनपा क्षेत्र से वास्ता रखने वाले 2 जनप्रतिनिधियों ने मनपा प्रशासन पर दबाव बनाते हुए अपने खासमखास लोगों को झोन निहाय ठेके दिलाये है. इसी तरह मनपा के अलग-अलग कई कामों को आपस में क्लब करते हुए बडे ठेके का रुप दिया गया. ताकि जनप्रतिनिधियों के साथ आपसी सांठगांठ रखने वाले कुछ बडे ठेकेदारों को ही फायदा पहुंचाया जा सके. इस समय साफ तौर पर यह आरोप भी लगाया गया कि, मनपा के ठेकों में सीधे तौर पर 20 प्रतिशत की कमिशनखोरी चलती है. जिसमें नीचे से लेकर उपर तक सभी का हिस्सा होता है. कांग्रेसी नेताओं द्वारा लगाये गये इन आरोपों को सुनकर मनपा आयुक्त सहित बैठक में उपस्थित मनपा के सभी अधिकारी सन्न रह गये और किसी से कोई जवाब भी देते नहीं बना.

* कम पढे-लिखे के हाथ शिक्षक भर्ती का जिम्मा कैसे?
– स्नातक विधायक लिंगाडे ने उठाया आक्षेप
इसके साथ ही संभाग के स्नातक विधायक धीरज लिंगाडे ने खुद को कई शिक्षकों की ओर से मिली शिकायतों का हवाला देते हुए मनपा आयुक्त से जानना चाहा कि, नई पीढी को शिक्षित करने वाले शिक्षकों की भर्ती व नियुक्ति का कार्य ठेके पर कैसे उठाया गया और पूरी की पूरी भर्ती प्रक्रिया ठेकेदार के हवाले कैसे कर दी गई. विधायक लिंगाडे के मुताबिक भले ही मनपा को शिक्षकों की नियुक्ति आउटसोर्सिंग के जरिए करनी थी. लेकिन इसके बावजूद भी अभ्यर्थियों के साक्षात्कार व चयन की प्रक्रिया मनपा के शिक्षा विभाग द्वारा ही की जानी चाहिए थी. जिसके बाद नियुक्त किये जाने वाले अभ्यार्थियों की सूची ठेकेदार को सौंपते हुए ठेका नियुक्त शिक्षकों की वेतन अदायगी का जिम्मा ठेकेदार को सौंपा जा सकता था. परंतु ऐसे करने की बजाय मनपा प्रशासन ने पूरे मामले से अपना पल्ला झाड लिया और आवेदन मंगाने से लेकर साक्षात्कार लेने व भर्ती करने का जिम्मा ठेकेदार पर सौंप दिया गया. जिसके चलते शिक्षक भर्ती में बडे पैमाने पर आर्थिक व्यवहार भी हुए और कई अयोग्य अभ्यर्थियों की भी ठेका नियुक्त शिक्षकों के तौर पर नियुक्ति हुई. जिसकी वजह से मनपा की शालाओं में शैक्षणिक गुणवत्ता का स्तर बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. विधायक लिंगाडे सहित पूर्व मंत्री डॉ. सुनील देशमुख व पूर्व महापौर विलास इंगोले का इस समय यह भी कहना रहा कि, यहां एक ओर मनपा द्वारा संचालित शालाएं अपना अस्तित्व बनाये रखने हेतु जूझ रही है और सरकार द्वारा कम पटसंख्या वाली शालाओं को बंद करने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर मनपा प्रशासन द्वारा मनपा की शालाओं का डिब्बा गोल करने की पूरी तैयारी कर ली गई है. जबकि मनपा की शालाओं में शैक्षणिक सुविधाओं को उपलब्ध कराने हेतु विधायक निधि से भरपूर रकम भी उपलब्ध कराई गई है.

* 50 लाख की सडक केवल तीन महिने में कैसे हुई?
– पूर्व महापौर विलास इंगोले ने उठाया सवाल
इस समीक्षा बैठक में स्नातक विधायक धीरज लिंगाडे व पूर्व मंत्री डॉ. सुनील देशमुख के साथ उपस्थित पूर्व महापौर विलास इंगोले ने मनपा के लचर कामकाज पर उंगली रखते हुए बताया कि, शहर के नालसाबपुरा परिसर में महज तीन माह पहले 50 लाख रुपए की लागत से बनाई गई सिमेंट कांक्रिट की सडक उखड गई है. जिसके चलते सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि, उक्त सडक का निर्माण बेहद ही घटिया व निकृष्ठ दर्जे का हुआ है. इस समय पूर्व महापौर विलास इंगोले ने यह भी कहा कि, प्रत्येक निर्माण के साथ संबंधित ठेकेदार की कम से कम तीन साल की जिम्मेदारी जुडी होती है. ऐसे में नालसाबपुरा की उक्त सडक को उसी ठेकेदार के जरिए दोबारा नये सिरे से बनवाकर चूस्त-दुरुस्त किया जाये.

* बिना एनओसी वडद के लेआउट को कैसे दी मंजूरी?
इस समीक्षा बैठक में शहर के मूलभूत सुविधाओं से संबंधित मुद्दों के साथ-साथ वडद स्थित एक लेआउट की मंजूरी को लेकर भी कांग्रेस नेताओं ने मनपा प्रशासन को जमकर आडे हाथ लिया. कांग्रेस नेताओं का कहना रहा कि, शहर के एक बडे बिल्डर ने मौजे वडद स्थित खेत को अकृषक करने के लिए राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण की एनओसी के साथ मनपा प्रशासन के समक्ष प्रस्ताव पेश किया था. लेकिन वेरिफिकेशन हेतु की गई पडताल में पता चला था कि, राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण ने उस जमीन हेतु संबंधित बिल्डर को अपनी कोई एनओसी नहीं दी थी. जिसका सीधा मतलब है कि, संबंधित बिल्डर द्वारा सरकारी प्राधिकरण की फर्जी एनओसी पेश की गई थी. यह सीधे-सीधे चारसौबीसी का मामला है. जिसके लिए संबंधित बिल्डर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. लेकिन हैरत अंगेज तरीके से 6 सितंबर 2023 को लोकशाही दिवस पर उक्त लेआउट हेतु अनुमति रद्द होने के बाद तत्कालीन मनपा आयुक्त ने 15 अक्तूबर को एक माह के भीतर ही बिना आवश्यक दस्तावेजों के उक्त बिल्डर को वडद स्थित लेआउट हेतु अपनी अनुमति दे दी थी. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण, महावितरण, राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण, वनविभाग व भूमि अभिलेख सहित अन्य सरकारी महकमों की अनुमति व एनओसी नहीं रहने के बावजूद उक्त बिल्डर को वडद स्थित भूखंड हेतु अकृषक जमीन व लेआउट के लिए अनुमति क्यों व किस आधार पर दी गई इस समय पूर्व मंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने संबंधित बिल्डर के साथ मनपा अधिकारियों के रिश्तों पर भी जमकर कटाक्ष साधा.

Related Articles

Back to top button