अमरावतीमहाराष्ट्र

विदर्भ में कांग्रेस को लग सकता है बडा झटका

कई नेता ‘पंजा’ छोडकर अपने हाथ में बांध सकते है ‘घडी’

* अजित पवार गुट वाली राकांपा तेजी से मजबूत कर रही अपना संगठन
अमरावती /दि. 4– इस समय महाराष्ट्र में शिंदे गुट वाली शिवसेना द्वारा चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन टायगर’ की अच्छी-खासी चर्चा चल रही है. वहीं अब अजित पवार गुट वाली राकांपा द्वारा भी अपनी संगठनात्मक मजबूती की ओर ध्यान देते हुए विदर्भ क्षेत्र में कांग्रेस को जोरदार झटका देने की पूरी संभावना है. जिसके तहत पता चला है कि, विदर्भ में कांग्रेस का एक बडा बहुजन चेहरा जल्द ही अजित पवार गुट वाली राकांपा में प्रवेश कर सकता है और यह बडा उलटफेर फिलहाल चल रहे राज्य विधान मंडल के बजट सत्र दौरान ही होने की पूरी उम्मीद है.
उल्लेखनीय है कि, विधानसभा चुनाव में महायुति को मिली सफलता में विदर्भ का योगदान काफी अधिक है. विदर्भ क्षेत्र के मतदाताओं ने महायुति को झोली भरकर वोट दिए. जिसके चलते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कई मजबूत किले पूरी तरह से ढह गए. विदर्भ क्षेत्र के कई कांग्रेसी नेता चुनाव पूर्व काल के समय ही अस्वस्थ दिखाई दे रहे थे. साथ ही चुनाव में पार्टी का सुपडासाफ हो जाने के चलते वे लगभग निराश ही हो गए. वहीं इसके बाद कम से कम कांग्रेस की संगठनात्मक नियुक्ति के समय खुद को राज्यस्तर पर कोई अच्छा पद मिलेगा, ऐसी उम्मीद पर रहनेवाले नेताओं की आशाओं पर उस समय पानी फिर गया, जब पार्टी द्वारा प्रदेशाध्यक्ष पद पर बुलढाणा जिला निवासी हर्षवर्धन सपकाल की नियुक्ति कर दी गई. ऐसे में विदर्भ क्षेत्र कई कांग्रेसी नेता अब अपने नई राजनीतिक जमीन व नई राजनीतिक राह की तलाश कर रहे है.
उधर दूसरी ओर विदर्भ क्षेत्र में अजित पवार गुट वाली राकांपा की कोई विशेष मजबूत स्थिति नहीं है. ऐसे में यदि विदर्भ में पार्टी और संगठन को मजबूत करना है तो ‘विजय’ की आस में रहनेवाले नेता को साधना जरुरी है. विदर्भ क्षेत्र के इस वजनदार नेता को यदि राकांपा द्वारा अपने पाले में कर लिया जाता है, तो पूर्वी विदर्भ क्षेत्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बडी मजबूती के साथ अपने कदम जमा सकती है, ऐसा अनुमान पार्टी नेतृत्व द्वारा लगाया जा रहा है. हालांकि भाजपा के कुछ नेताओं ने इससे पहले कांग्रेस के इस नेता के पाला बदलकर राकांपा में आने का विरोध किया था. परंतु अजित पवार द्वारा अमल में लाई गई कुटनिती के चलते भाजपा नेतृत्व ने भी अपना मन बदल लिया है. जिसके चलते जल्द ही कुछ कांग्रेसी बहुजन नेता का राकांपा में प्रवेश होकर पूर्वी विदर्भ के मंत्री नहीं रहने वाले जिले को अधिकारपूर्ण मंत्रिपद ही मिलेगा. इसके साथ ही छगन भुजबल का मंत्रिमंडल में समावेश नहीं होने से दुखी होनेवाले बहुजन समाज को इस जरिए अपने साथ लाने का प्रयास भी अजित पवार द्वारा किया जाएगा. माना जा रहा है कि, कांग्रेस के इस बहुजन नेता के चले जाने से कांग्रेस को पूर्वी विदर्भ क्षेत्र में काफी बडा नुकसान होने की पूरी संभावना है. साथ ही इस नेता के राकांपा में प्रवेश करते ही पूर्वी विदर्भ क्षेत्र में राजनीतिक समिकरण के पूरी तरह से बदल जाने की भी उम्मीद है.

* विधान परिषद चुनाव से पहले उलटफेर की संभावना
बता दें कि, आगामी 27 मार्च को विधान परिषद की 5 रिक्त सीटों के लिए चुनाव कराया जाना है. ऐसे में फिलहाल विधानसभा का सदस्य रहनेवाले इस नेता ने विधान परिषद चुनाव से पहले अजित पवार गुट वाली राकांपा में प्रवेश करते समय अपने विधायक पद से इस्तीफा देने की तैयारी दर्शायी है. साथ ही इस नेता को राकांपा नेतृत्व द्वारा विश्वास दिलाया गया है कि, उन्हें राकांपा के कोटे से विधान परिषद के चुनाव में ‘विजय’ दिलाई जाएगी. साथ ही मंत्रिमंडल के विस्तार में राकांपा के कोटे से प्रतिनिधित्व देते हुए मंत्रिपद भी दिलाया जाएगा.

Back to top button