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पश्चिम विदर्भ में कांग्रेस को नवसंजीवनी

भारत जोड़ो यात्रा के प्रतिसाद

* लीडर्स निकले घरों के बाहर तो कार्यकर्ता भी आये
* यशोमति ठाकुर का यशस्वी नियोजन
अमरावती/दि.24- भारत जोड़ो यात्रा पश्चिम विदर्भ से होते हुए आगे बढ़ी और मध्यप्रदेश में प्रवेश कर गई. राहुल गांधी की इस यात्रा से कांग्रेस को आगे क्या और कितना लाभ होगा, यह भले ही भविष्यकाल बतलाएगा. किन्तु इतना जरुर है कि पिछले दो दशकों से राजनीतिक जमीन पर पिछड़ रही कांग्रेस को पश्चिम विदर्भ में यात्रा के कारण नवसंजीवनी मिलने की संभावना जानकार देख रहे हैं. कांग्रेस की बड़ी नेता यशोमति ठाकुर ने अपने मंत्रीकाल के अनुभव को उपयोग में लाते हुए भारत जोड़ो यात्रा का सफल संयोजन किया. उसी प्रकार शेगांव में राहुल की जनसभा को भी अभूतपूर्व कामयाबी केवल और केवल अपने शानदार नियोजन से ही दिलवायी. इस कारण भी जानकार मान रहे हैं कि भारत जोड़ो यात्रा को मिले प्रतिसाद से यहां पार्टी को पुनरुज्जीवन की आशा हो रही है.
* कांग्रेस का गढ़ था विदर्भ
विदर्भ विशेषकर, पश्चिमी क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ था. 1990 तक यहां पार्टी का वर्चस्व था. बोलबाला इस कदर था कि सभी विधायक और सांसद कांग्रेस के ही थे. किन्तु कांग्रेस का बाद में जनाधार खिसकता गया. लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पार्टी पिछड़ती गई. भाजपा ने शिवसेना का साथ लेकर पश्चिम विदर्भ की सभी संसदीय सीटों पर कब्जा कर लिया. विधानसभा में भी बड़ा हिस्सा भाजपा ने हासिल किया. आज भी विदर्भ में बीजेपी नंबर-1 पर है. कांग्रेस के विदर्भ से भले ही 15 विधायक हैं. किन्तु उसे चुनाव में अब गठजोड़ की नौबत आती है. संसदीय चुनाव में पार्टी गठजोड़ के बावजूद नहीं सफल हो सकी.
* पश्चिम विदर्भ में प्रतिसाद
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का मार्ग पश्चिम विदर्भ से रहा. प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले ने नियोजन का जिम्मा यशोमति ठाकुर पर दिया. मराठवाड़ा के नांदेड़ में पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक चव्हाण ने भी़ड़ जुटाई.पश्चिम विदर्भ में बीजेपी का बोलबाला रहने पर भी भारत जोड़ो को अच्छा प्रतिसाद मिला. नेता घरों से निकले.
* अमरावती में सब साथ-साथ
अमरावती संभाग मुख्यालय होने से यहां के नेताओं को भारत जोड़ो के लिये पहल करनी थी. यशोमति ठाकुर ने यात्रा का कार्यक्रम घोषित होते ही दो माह से सभाएं और बैठकें लेनी आरंभ कर दी. उन्हें अमरावती के सभी कांग्रेसजनों का अच्छा साथ मिला. डॉ. सुनील देशमुख, बबलू शेखावत, जिलाध्यक्ष बबलू देशमुख, विलास इंगोले सभी ने सहयोग किया. विशेषकर शेगांव की जनसभा को सफल बनाने में सभी का योगदान रहा. फिर यवतमाल के मोघे हो अथवा ठाकरे. बुलढाणा के पुराने कांग्रेसी नेता सभी ने सहकार्य किया. जिससे कार्यकर्ता भी आगे आये. नये-पुराने कार्यकर्ताओं का प्रतिसाद पार्टी के लिये अच्छे संकेत माने जा रहे हैं. अब यह देखने वाली बात होगी कि संगठन पार्टी से दूर हुए वोटर्स को कितना जोड़ पाता है?
* भाजपा का बोलबाला
देखा जाये तो पश्चिम विदर्भ में भाजपा का आज वर्चस्व है. अकोला के सांसद भाजपा के हैं. बुलढाणा और वाशिम-यवतमाल के सांसद शिंदे गुट के नेता के रुप में बीजेपी से तालमेल कर रहे हैं. अमरावती की सांसद ने भी भाजपा के स्वर में स्वर मिला रखा है. विधायकों की संख्या भी भाजपा की अधिक है. जबकि कभी 33 में से 26 सीटों पर रहने वाली कांग्रेस आज दस सीटों तक सिमट गई है. स्थानीय राजकारण में कांग्रेस ने अपना स्थान अबाधित भले ही रखा, किन्तु उसे चुनौती देने वाले अनेक नये गट का उदय हो गया था. ऐसे में अब भारत जोड़ो यात्रा से मिले संकेतों के कारण पार्टी यहां नवसंजीवनी की आशा कर रही है. जानकार मानते हैं कि गत वैभव प्राप्त करने काफी मेहनत अभी करनी पड़ेगी. विशेषकर गटबाजी को दरकिनार करना होगा. अमरावती विभाग में गटबाजी ने ही कांग्रेस की नैया डुबोने में भूमिका निभाई. कुछ टापू में कांग्रेस के नेता आज भी प्रभाव रखते हैं. वे खेमेबाजी को दूर कर मिले अवसर का कैसा लाभ उठाते हैं, यह देखने लायक होगा.

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