अमरावती

उर्दू शालाओं पर घडियाली आंसू बहा रहे कांग्रेसी

शालाओं सहित मुस्लिम इलाकों की बदहाली के लिए कांग्रेस जिम्मेदार

सपा के शहराध्यक्ष इमरान खान ने लगाया आरोप
अमरावती/दि.15 – विगत 2 दिनों से शहर के पूर्व विधायक व कांग्रेस नेता डॉ. सुनील देशमुख अपने कुछ समर्थकों के साथ मुस्लिम बहुल इलाकों का दौरा करने व मनपा की उर्दू शालाओं की बदहाली पर आंसू बहाने का नाटक कर रहे है. जबकि हकीकत यह है कि, मनपा की उर्दू शालाओं सहित मुस्लिम बहुल इलाकों की बदहाली के लिए खुद डॉ. सुनील देशमुख तथा उनकी कांग्रेस पार्टी भी जिम्मेदार है. लेकिन अब आगामी विधानसभा व मनपा चुनाव को ध्यान में रखते हुए डॉ. देशमुख एण्ड कंपनी द्बारा अपनी राजनीतिक रोटीयां सेकने का प्रयास किया जा रहा है. इस आशय का आरोप समाजवादी पार्टी के शहराध्यक्ष इमरान खान द्बारा लगाया गया.
सपा शहराध्यक्ष इमरान खान के मुताबिक डॉ. सुनील देशमुख इससे पहले 2 बार कांग्रेस की टिकट पर और एक बार भाजपा के टिकट पर शहर के विधायक चुने गए तथा राज्य में कांग्रेस राकांपा की सरकार रहते समय वे राज्यमंत्री और जिला पालकमंत्री भी रहे. साथ ही कांग्रेस व भाजपा में रहते समय उनका महानगरपालिका ने भी अच्छा खासा प्रभूत्व रहा. क्योंकि मनपा में उनके समर्थक पार्षदों की संख्या अच्छी खासी थी. साथ ही इस समय अमरावती में सुलभा खोडके ही कांग्रेस की विधायक है और अभी हाल फिलहाल तक कांग्रेस से विधायक रहने वाली यशोमति ठाकुर ही अमरावती जिले की पालकमंत्री थी. यदि इसके बावजूद भी मुस्लिम बहुल क्षेत्रों तथा इन क्षेत्रों में स्थित मनपा की उर्दू शालाओं को बदहाली का सामना करना पड रहा है, तो उसके लिए सीधे तौर पर डॉ. सुनील देशमुख और उनकी कांग्रेस पार्टी ही जिम्मेदार है.
इस बारे में सपा के शहराध्यक्ष इमरान खान का यह भी कहना रहा कि, अमरावती शहर के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों से आज तक हमेशा ही कांग्रेस पार्टी को भरपूर समर्थन मिलता आया है और शहर के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों से हमेशा ही 22 से 24 मुस्लिम पार्षद निर्वाचित होकर मनपा में पहुंचते रहे है. अमरावती मनपा में जिस पार्टी के पास कम से कम 45 नगर सेवकों का समर्थन हो, वह पार्टी अपना महापौर, उपमहापौर व स्थायी समिति सभापति चुन सकती है. ऐसे में डॉ. सुनील देशमुख एण्ड कंपनी ने शहर के मुस्लिमों को सबसे पहले इस बात का जवाब देना चाहिए कि, मुस्लिम समाज के 22 से 24 पार्षद रहने के बावजूद कांग्रेस की सत्ता रहते समय उन्होंने किसी मुस्लिम व्यक्ति को महापौर, उपमहापौर व स्थायी समिति सभापति बनाने का प्रयास क्यों नहीं किया. साथ ही जब डॉ. सुनील देशमुख खुद राज्यमंत्री और पालकमंत्री थे, तब उन्होंने शहर के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों और मनपा की उर्दू शालाओं की बेहतरीन के लिए कौन से प्रयास किए, जो आज वे मुस्लिम बहुल क्षेत्रोें का दौरा करते हुए उर्दू शालाओं की बदहाली पर आंसू बहा रहे है.
अपने इस उपरोक्त कथन के साथ ही सपा शहराध्यक्ष इमरान खान ने मनपा की उर्दू शालाओं में कार्यरत मुख्याध्यापकों व शिक्षकों के साथ ही मनपा के शिक्षा विभाग को भी आडे हाथ लेते हुए कहा कि, लाखों रुपयों का वेतन लेने वाले उर्दू शालाओं के शिक्षकों को अपनी-अपनी शालाओं की बदहाली कैसे दिखाई नहीं देती और उन्हें इस बदहाली में पढने वाले बच्चों को देखकर शर्म कैसे नहीं आती. यह अपने आप में एक बडा सवाल है. इस पर सभी ने विचार करना चाहिए और इस बदहाली को दूर करने के मामले में किसी भी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए.

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