
* आगामी चुनावों के लिए बल
अमरावती/दि.3- अमरावती संभाग स्नातक और नागपुर शिक्षक विधान परिषद निर्वाचन क्षेत्र के बाद पुणे की कसबापेठ विधानसभा के उपचुनाव में कांग्रेस को मिली विजय से पार्टी का आत्मविश्वास काफी बढ गया है. नेताओं की गुटबाजी, पक्षांतर्गत दावपेंच से कमजोर हुए संगठन के बावजूद वोटर्स का पार्टी पर भरोसा कायम रहने की बात इन चुनाव परिणामों से स्पष्ट हुई है.
गत माह विधान परिषद के नागपुर शिक्षक इस भाजपा के दुर्ग में कांग्रेस का उम्मीदवार जीता था. जबकि आखरी क्षणों तक पार्टी में उम्मीदवारी को लेकर दुविधापूर्ण वातावरण था. फिर भी शिक्षक वोटर्स ने भाजपा के दिग्गज नितिन गडकरी, देवेंद्र फडणवीस और चंद्रशेखर बावनकुले के गढ में कांगे्रस को पंसद किया. भाजपा को पराजय कबूल करनी पडी. अमरावती में भी गत 12 वर्षो से भाजपा की पकड थी यहां भी वोटर्स ने भाजपा को पराजय का स्वाद चखा दिया. कांग्रेस ने अनपेक्षित विजय प्राप्त की.
नाशिक स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस में उम्मीदवारी को लेकर गफलत हुई. सत्यजीत तांबे को उम्मीदवारी चाहिए थी, किंतु उनके पिता डॉ. सुधीर तांबे को ही फिर टिकट दी गई. इस गफलत में सत्यजीत तांबे ने निर्दलिय चुनाव लडा. कांग्रेस उन्हें समर्थन देने से बचती रही. कांग्रेस पहले ही गलतफहमी दूर कर लेती और सत्यजीत को प्रत्याशी बनाती तो कांग्रेस के तीन उम्मीदवार चुने जाते.
स्नातक और शिक्षक में कुछ हजार वोटर्स में से कांगे्रस के दो उम्मीदवार विजयी हुए. इस पर भाजपा ने कहा था कि यह जनमत नहीं है. किंतु पुणे कसबापेठ का चुनाव जीतकर कांग्रेस ने बीजेपी को करारा जवाब दिया है. विधानसभा में भी कांग्रेस विजयी हो सकती है यह दिखा दिया.
आगामी मनपा, पालिका और जिला परिषद चुनाव पश्चात लोकसभा और विधानसभा के लिए कांग्रेस का मनोबल कसबापेठ और विधान परिषद की विजय ने बढा दिया है. राज्य में पार्टी प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले और विधानमंडल नेता बालासाहब थोरात के बीच तालमेल नहीं हो रहा है. अन्य नेताओं के मुख भी अलग-अलग दिशाओं में है. पक्षांतर्गत खीचतान के बावजूद भाजपा के विरोध में सामान्य मतदाता जनता के साथ है, यह हाल के परिणामों से स्पष्ट हुआ है.
राहुल गांधी की भारत जोडो यात्रा के बाद राज्य में वातावरण कांग्रेस के अनुकूल होने का दावा पार्टी नेता कर रहे है. पुरानी गलतियां ठीक कर ले तो राज्य में पार्टी को अच्छी सफलता मिल सकती है.