मानकर समाज में आज भी काटेमोडी की प्राचीन परंपरा कायम
मार्गशीर्ष पुर्णिमा के बाद 5 दिनों तक मनाया जाता पर्व
शिरजगांव कस्बा/ दि.24 – मानकर समाज में आज भी पिढीयों से काटेमोडी की परंपरा का निर्वाह कर रहा है. इस परंपरा के दौरान पुरुष अपने नंगे बदन को नुकिले काटों से चुभोते है तथा कांटो को बदन से लपेटकर तोडते है जिसे काटेमोडी कहा जाता है. यह परंपरा आज भी मानकर समाज में कायम है काटेमोडी का यह पर्व हर साल मार्गशीर्ष महीने की पुर्णिमा के बाद पांच दिनों तक मनाया जाता है.
शिरगांव कस्बा स्थित मानकर समाज व्दारा इस पर्व को पांच दिनों तक उत्साह के साथ मनाया जाता है. रोजाना शाम को मंदिर के पास इकट्ठा होकर कांटे जमा किए जाते है और देर रात तक मानकर समाज के पुरुष व युवक कांटों के ढेर से लिपटकर अपने बदन से काटे को तोडने का प्रयास करते है इसे देखने के लिए सैकडों की भीड उमडती है.
हर साल की तरह इस साल भी शिरगांव कस्बा में मानकर समाज व्दारा यह पर्व मनाया गया. जिसमें मानकर समाज के युवाओं से लेकर बुजुर्ग इस परंपरा में शामिल हुए. मानकर समाज के अनुसार यह लोग आदिवासी समुदाय से तालुक रखते है किंतु उन्हें सरकार व्दारा किसी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध नहीं करवायी गई और ना ही मानकर समाज को आदिवासी समाज से जोडा जा रहा है और उन्हें आदिवासियो का दर्जा भी नहीं दिया गया. जिससे यह समाज कानूनी लडाई लड रहा है.