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जामोद /दि.18 – ग्रीष्मकाल की तीव्रता बढने के पूर्व ही सतपुडा पहाडी पर भारी मात्रा में आग लगने का प्रमाण बढा है. 15 फरवरी को कुवरदेव परिसर के निकट भीषण आग लग गई. इस कारण लाखों की वनसंपदा के साथ ही अनेक वन्यजीव भी खतरे में आ गये है. जंगल में लगी इस आग के कारण सतपुडा पहाडी के मूल्यवान पेड नष्ट हो रहे है. रात के अंधेरे में जलने वाले जंगल का प्रकाश काफी लंबी दूरी तक दिखाई दे रहा है. इस कारण खेती और वन्यजीव संवर्धन को बडा खतरा निर्माण हो गया है. जामोद राउंड के जंगल में वन कर्मचारी गश्त न लगाते रहने का आरोप किया जा रहा है. वनपाल और अधिकारी हफ्ता वसूली के लिए ही बाजार में दिखाई देते है. बाकी समय जंगल की तरफ अनदेखी करते है, ऐसा स्थानीय नागरिकों का आरोप है. डिंक को काफी भाव रहने से सतपुडा के सालई का डिंक जमा कर व्यापारी उसे डिंक तस्करों को अवैध मार्ग से बेचने का गोरखधंधा कर रहे है.