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अमरावती के टेक्सटाईल पार्क को औरंगाबाद ले जाने का षडयंत्र

पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख का सनसनीखेज आरोप

* पत्रवार्ता में दी जानकारी, बोले : अमरावती के भविष्य के साथ हो रहा खिलवाड
* भारत डायनामिक्स प्रकल्प के भी हैदराबाद चले जाने की दी जानकारी
अमरावती/दि.26– केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन द्वारा पिछले आम बजट के समय देश में प्रधानमंत्री मित्र योजना अंतर्गत देश में सात राज्यों में एक-एक ऐसे कुल 7 टेक्सटाईल पार्क शुरू करना प्रस्तावित किया गया था. जिसके लिए 15 मार्च तक सभी राज्यों से प्रस्ताव आमंत्रित किये गये थे और महाराष्ट्र से केवल अमरावती का ही नाम टेक्सटाईल पार्क के लिए तत्कालीन महाविकास आघाडी सरकार द्वारा भेजा गया था और 23 मार्च को केंद्रीय वस्त्रोद्योग मंत्रालय द्वारा इसे लेकर एक प्रस्तावित सूची भी जारी की गई थी. जिसमें महाराष्ट्र से केवल अमरावती का ही नाम था. परंतू राज्य में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद राज्य के नये मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने केंद्रीय वित्त मंत्री से दिल्ली में मुलाकात करते हुए टेक्सटाईल पार्क के लिए औरंगाबाद का नाम प्रस्तावित किया और प्रस्ताव हेतु तय की गई अंतिम तिथी मार्च माह में बीत जाने के बावजूद जुलाई माह में टेक्सटाईल पार्क हेतु अमरावती के साथ-साथ औरंगाबाद का नाम भी जोडा गया. जिसका सीधा मतलब है कि, अमरावती के हिस्से में आनेवाला टेक्सटाईल पार्क अब सीधे-सीधे औरंगाबाद के हिस्से में देने की तैयारियां चल रही है. इस आशय का सनसनीखेज आरोप पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख द्वारा लगाया गया.
आज इस संदर्भ में जानकारी देने हेतु बुलाई गई पत्रवार्ता में पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने कहा कि, पीएम मित्र योजना अंतर्गत साकार किये जानेवाले मेगा टेक्सटाईल पार्क के लिए नांदगांव पेठ की पंचतारांकित एमआयडीसी सहित आसपास के परिसर में करीब 1 हजार एकड जमीन के भूमि अधिग्रहण व भूसंपादन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और कई भूमि मालिकों को इस बारे में नोटीस भी जारी कर दी गई है, जो अब जमीन का मुआवजा मिलने की प्रतीक्षा कर रहे है. किंतु वहीं दूसरी ओर राज्य के नये मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बडे ही आश्चर्यजनक ढंग से इस प्रोजेक्ट के लिए अब अमरावती के साथ-साथ औरंगाबाद का नाम भी जोड दिया है. जबकि इससे पहले यह लगभग तय था कि, यह मेगा प्रोजेक्ट अमरावती में ही साकार होने जा रहा है. डॉ. देशमुख के मुताबिक एक हजार एकडवाले क्षेत्रफल में इस प्रकल्प के साकार होने पर एक लाख लोगों को प्रत्यक्ष तथा दो लाख लोगोें को अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार उपलब्ध होंगे. ऐसे में यदि यह प्रकल्प अमरावती की बजाय कहीं ओर स्थलांतरित होता है, तो इसे अमरावती के भविष्य के साथ सीधे तौर पर खिलवाड माना जा सकता है. जिसे कदापि बर्दाश्त नहीं किया जा सकता और इसे लेकर सभी जनप्रतिनिधियों ने अपनी-अपनी विचारधाराओं और मतभेदों को परे रखते हुए एकसाथ आकर आवाज उठानी चाहिए.
इस पत्रवार्ता में पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख ने यह भी कहा कि, अमरावती में बडे पैमाने पर कपास का उत्पादन होता है. इस बात के मद्देनजर ही उनके कार्यकाल दौरान नांदगांव पेठ की पंचतारांकित एमआयडीसी में टेक्सटाईल पार्क की शुरूआत हुई थी. जहां पर आज कई विश्वविख्यात ब्राण्डवाली कंपनियों द्वारा अपने कारखाने चलाये जा रहे है. यदि इसी टेक्सटाईल पार्क के आसपास पीएम मित्र योजना अंतर्गत मेगा टेक्सटाईल पार्क साकार किया जाता है, तो क्षेत्र में टेक्सटाईल क्रांति आ सकती है. साथ ही यहां के कपास उत्पादकों के वाकई ‘अच्छे दिन’ आ सकते है, क्योंकि अमरावती के साथ ही पूरे विदर्भ क्षेत्र में बडे पैमाने पर कपास का उत्पादन होता है और यहां टेक्सटाईल उद्योग के लिए प्रचूर मात्रा में कच्चा माल उपलब्ध है. डॉ. देशमुख ने यह भी बताया कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘फाईव्ह एफ’ की संकल्पना को सामने रखते हुए पीएम मित्र योजना तैयार की है. जिसके तहत ‘फार्म टू फाईबर टू फैक्ट्री टू फैशन टू फॉरेन’ का समावेश किया गया है. यानी खेतों में उत्पादित कपास से धागे का निर्माण करते हुए कपडे की निर्मिती और उससे मौजूदा चलन में रहनेवाले फैशन यानी वस्त्रों का उत्पादन करने के साथ ही इन वस्त्रों का विदेशोें में निर्यात करने की योजना पर काम किया जायेगा. ऐसे में यह प्रकल्प अमरावती के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है. क्योंकि यहां पर कपास उत्पादन के साथ-साथ कपडा व गारमेंट उद्योग पहले से ही स्थापित है, जो थोडे ही प्रयासों से वैश्विक स्तर पर भी पहुंच सकता है, लेकिन इन तमाम बातोें की अनदेखी करते हुए राज्य की नई सरकार द्वारा नियमबाह्य तरीके से इस प्रोजेक्ट हेतु अमरावती के साथ-साथ औरंगाबाद का नाम प्रस्तावित किया गया है. चूंकि हर राज्य में केवल एक ही मेगा टेक्सटाईल पार्क दिया जाना है. ऐसे में जिस तरह से मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस प्रोजेक्ट के लिए औरंगाबाद का नाम आगे बढाया है. उसे देखते हुए पूरा अंदेशा है कि, यह प्रोजेक्ट अमरावती की बजाय औरंगाबाद में शुरू करने की पूरी तैयारी मौजूदा सरकार द्वारा कर ली गई है.
* फडणवीस की नियत पर संदेह नहीं, परंतु वजन कम दिख रहा है
राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इससे पहले राज्य का मुख्यमंत्री रहते समय नांदगांव पेठ की पंचतारांकित एमआयडीसी व टेक्सटाईल पार्क को शुरू किया था और उन्हें अमरावती व नागपुर के विकास हेतु समर्पित माना जाता है. इस ओर ध्यान दिलाये जाने पर पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख ने कहा कि, वे देवेंद्र फडणवीस के साथ पिछली सरकार में काम कर चुके है और विदर्भ के विकास को लेकर फडणवीस की नियत पर बिल्कुल भी संदेह नहीं किया जा सकता. लेकिन इस समय साफ तौर पर दिखाई दे रहा है कि, अमरावती के प्रस्तावित मेगा टेक्सटाईल पार्क को लेकर फडणवीस का राजनीतिक वजन थोडा कम पड रहा है. इस पत्रवार्ता में पूर्व महापौर मिलींद चिमोटे व विलास इंगोले, कांग्रेस शहराध्यक्ष बबलू शेखावत, प्रदेश उपाध्यक्ष भैय्या पवार, प्रदेश सचिव किशोर बोरकर, प्रदेश प्रवक्ता एड. दिलीप एडतकर तथा पूर्व स्थायी सभापति बालू भूयार भी उपस्थित थे.
* दोनों सांसदों ने अपनी ‘पॉवर’ का प्रयोग करना चाहिए
इस पत्रवार्ता में पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख ने कहा कि, इस समय अमरावती जिले के दोनों सांसद केंद्रीय सत्ता में रहनेवाली पार्टी के बेहद करीबी है. ऐसे में उन्हें चाहिए कि, वे अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार के समक्ष मेगा टेक्सटाईल पार्क अमरावती में ही मंजूर किये जाने का मुद्दा उठाये, ताकि अमरावती में खेती-किसानी व रोजगार के साथ ही व्यापार-व्यवसाय व निर्यात के लिए अच्छे-खासे अवसर उपलब्ध हो सके. इस समय किसी का भी नाम लिये बगैर डॉ. सुनील देशमुख ने कहा कि, हनुमान चालीसा पढने और दंगे करवाने से अगर हमारे बडे नेताओं को फुरसत मिल गई हो, तो अब उन्होंने अमरावती शहर सहित जिले के विकास को लेकर कुछ प्रयास करने चाहिए.
* उद्योजकों का तो रेड कार्पेट बिछाकर स्वागत होना चाहिए
इस समय जब पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख का ध्यान इस ओर दिलाया गया कि, नांदगांव पेठ एमआयडीसी सहित टेक्सटाईल पार्क में अपने कारखाने चलानेवाले कई उद्योजक स्थानीय राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों द्वारा की जाती प्रताडना से काफी तंग आ चुके है और उन्होंने यहां पर अपने कारखाने तो शुरू किये है, लेकिन अब तक अपना प्रस्तावित निवेश पूरा नहीं किया है. साथ ही इसमें से कई उद्योजक तो अपने यूनिट को अन्यत्र स्थलांतरित करने के बारे में भी सोच रहे है, तो इस पर पूर्व पालकमंत्री डॉ. देशमुख का कहना रहा कि, ऐसी कुछ बातें उनके कान पर भी आयी है और यह एक बेहद गलत परंपरा है. अगर कोई बडा उद्योग हमारे शहर या जिले में आता है, तो उससे पूरे क्षेत्र की तकदीर बदल सकती है. इस बात को हमारे नेताओं और राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों ने समझना चाहिए. साथ ही अपने व्यक्तिगत स्वार्थों को परे रखते हुए ऐसे उद्योजकों का रेड कार्पेट बिछाकर स्वागत किया जाना चाहिए, ताकि वे हमारे यहां अधिक से अधिक निवेश करे और उन्हें देखकर अन्य औद्योगिक ईकाईयां भी हमारे यहां आने के लिए प्रेरित हो. तभी हमारे क्षेत्र का औद्योगिक विकास हो पायेगा.
* बीडीएल प्रोजेक्ट भी है खतरे में
इस पत्रवार्ता में पूर्व विधायक डॉ. देशमुख ने यह भी बताया कि, वर्ष 2011 में तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभाताई पाटील के प्रयासों से अमरावती में भारत डायनामिक्स लिमिटेड का मिसाईल कारखाना मंजुर किया गया था. जिसके लिए 536 हेक्टेयर जमीन संपादित करने के साथ ही करीब 450 करोड रूपयों की लागत से पूरे परिसर में सुरक्षा दीवार भी बनाई गई थी. लेकिन इसके बाद इस प्रोजेक्ट को लेकर मामला एक कदम भी आगे नहीं बढा. वहीं अब केंद्र सरकार ने रक्षा क्षेत्र में निजी भागीदारी को मंजुरी दी है और देश के सबसे बडे औद्योगिक घराने को मिसाईल उत्पादन की अनुमति दी गई है. इस औद्योगिक घराने द्वारा अमरावती की बजाय हैदराबाद में अपनी ईकाई लगाने में रूचि दर्शाई गई, तो केंद्र सरकार ने अमरावती की बजाय बीडीएल कारखाने के दूसरे चरण को हैदराबाद में शुरू भी कर दिया. वही अमरावती में बीडीएल कारखाने का प्रस्ताव अधर में लटका पडा है.
* बेलोरा विमानतल व रेल्वे वैगन कारखाना भी उपेक्षा व अनदेखी का शिकार
इस समय पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने यह भी कहा कि, अमरावती शहर का चेहरा-मोहरा बदल देने की ताकत रखनेवाले बेलोरा विमानतल और बडनेरा रेल्वे वैगन फैक्ट्री का काम भी विगत लंबे समय से अधर में अटका पडा है. जिन्हें पूरा करने को लेकर कोई राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाई नहीं देती. इस राजनीतिक उदासिनता के चलते अमरावती शहर सहित जिले का बडे पैमाने पर नुकसान हो रहा है. ऐसे में बेहद जरूरी है कि, सभी राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधी व पदाधिकारी एकसाथ आकर सर्वदलिय बैठक करे तथा विकास के मुद्दे को लेकर एकसाथ आगे बढे.

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