भारत का संविधान बेहद मजबूत, यह देश नहीं टूटने देंगा
अमरावती भूषण मुजफ्फर मामू का प्रतिपादन
* पद्मश्री प्रभाकरराव वैद्य का जताया मनस्वी आभार
अमरावती/दि.18– भारत का संविधान बेहद मजबूत है, यह देश नहीं टूटने देंगा, यह विश्वास कांगे्रस के वरिष्ठ पदाधिकारी मुजफ्फर अहमद उर्फ मामू ने व्यक्त किया. मुजफ्फर मामू को श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल द्बारा अमरावती भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. मुजफ्फर मामू के सामाजिक व राजनीतिक कार्य के लिए उन्हें अमरावती भूषण पुरस्कार से नवाजा गया. एक आम व्यक्ति के कामों की दखल लेकर उसका गौरव करने के लिए मुजफ्फर मामू ने पद्मश्री प्रभाकरराव वैद्य का मनस्वी आभार मानते हुए एचवीपीएम द्बारा कौमी एकता क्षेत्र में किये जा रहे कार्यों की खुब सराहना भी की. इन दिनों देश में साम्प्रदायिक दरार पैदा करने का काम किया जा रहा है. लेकिन संविधान के रचयिता डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने 1100 विद्वानों के साथ मिलकर भारत को इतना मजबूत संविधान दिया है कि, कोई भी भारत को तोडने में कामयाब नहीं हो सकता. भारत के किसी भी हिस्से में किसी भी पार्टी की सत्ता क्यों न हो, उसे तीरंगा ही फहराना पडेगा, यही हमारे संविधान की खुबसुरती है. कौमी एकता में दरार डालने का प्रयास करने वाले लोग उनके मन्सूबों में कतई कामयाब नहीं होगे, यह विश्वास भी मुजफ्फर मामू ने व्यक्त किया.
न हिंदू की जमी है, ना मुसलमान की जमी है!
कहते है जिसे भारत वह हम सबकी जमी है!
ऐसे शब्दों में भारत की खुबी बया करते मुजफ्फर मामू ने बताया कि, उन्होंने विगत 50 वर्षों में कौमी एकता, राष्ट्रीय एकात्मता के लिए काम किया है. अधिकांश कमिटियों पर काम करते हुए उन्होंने विकास के नियोजन को आगे बढाया. अपनी अब तक की यात्रा पर प्रकाश डालते उन्होंने बताया कि, वर्तमान में उनकी उम्र 75 वर्ष है. वर्ष 1976 में उन्होंने आंतरजातिय विवाह किया. तत्कालिन 14 से अधिक मंत्री इस विवाह समारोह में शरिक हुए थे. इंदिरा गांधी के कार्यकाल में संजय गांधी द्बारा लागू पंचसूत्री अंतर्गत इस आंतरजातिय विवाह का निर्णय उन्होंने लिया था. उन्होंने अपनी जिंदगी समाजनीति व राजनीति को समर्पित की है. राजनीति में उनका प्रवेश महाविद्यालय स्तर से ही हो गया था. शिवाजी महाविद्यालय में अध्ययनरत रहते वक्त उन्होंने महाविद्यालय के चुनाव में ज्वाईंट सेक्रेटरी के रुप में जिम्मेदारी संभाली. तब उन्हें डॉ. पंजाबराव देशमुख को प्रत्यक्ष देखने का मौका मिला. उस वक्त की यादें सांझा करते मुजफ्फर मामू ने बताया कि, शिवाजी शिक्षा को प्रिन्स ऑफ बेरार द्बारा स्कूल के लिए जगह दी गई थी. जिसका उल्लेख करते हुए डॉ. पंजाबराव देशमुख ने कहा था कि, जिस समूदाय के एक व्यक्ति ने इस स्कूल के लिए जगह प्रदान की उसी स्कूल का एक छात्र उसी समाज के छात्रों का नेतृत्व कर रहा है, इसका मूझे बेहद समाधान है. मुजफ्फर मामू को लेकर यह बाते डॉ. पंजाबराव देशमुख ने कही थी. 1965 से 1972 तक वे एनएसयूआई के जनरल सेक्रेटरी रहे. यूथ कांग्रेस में विलास पवार के कार्यकाल में महाराष्ट्र प्रदेश सचिव पद की जिम्मेदारी संभाली. उस समय देश में आपातकाल लागू था. संजय गांधी के कार्यकाल में प्रदेश जनरल सेक्रेटरी के अलावा पहली बार ही स्थापित मौलाना आजाद आर्थिक अल्पसंख्यांक महामंडल में भी उन्होंने बतौर सदस्य काम किया. 2002 से 2009 तक वे इस महामंडल का हिस्सा रहे. 2006 से 2010 तक शुगर फैक्टरी वित्त समिति में भी बतौर सदस्य काम करने का मौका उन्हेें मिला. इतना ही नहीं तो अमरावती विद्यापीठ (तत्कालीन नागपुर विद्यापीठ) में लगातार 2 बार सिनेट सदस्य के रुप में काम किया. रेल्वे बोर्ड समिति में भी उन्हें बतौर सदस्य नियुक्त किया गया था. वर्ष 1972 में जब राष्ट्रीय एकता मंच के माध्यम से ईद मिलन व कौमी एकता के कार्य शुरु किये तभी से श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल से जुडने का अवसर मिला. इस दौरान उन्होंने वर्ष 1987 में हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल के सहयोग से विशेष शिबिर लिया था. संस्था में पढने वाले कश्मिरी छात्रों को सहायता करने बढाये गये इस कदम को सभी से प्रतिसाद व सराहना मिली. कांग्रेस में कार्यरत रहते वक्त कई पदों पर उन्होंने काम किया. उन्होंने बताया कि, राजीव गांधी द्बारा विशेष रुप से चयनीत रिसोर्स पर्सन ट्रेनर के रुप में उन्होंने कांग्रेस की बात आम अवाम तक पहुंचाने का काम किया. उसके बाद सोनिया गांधी द्बारा ट्रेनर्स टे्रनिंग प्रोग्राम के लिए उनका चयन किया गया था. इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में देश के कोने-कोने से आने वाले कांग्रेस पदाधिकारियों को उन्होंने पार्टी की धारा व नीतियों का प्रशिक्षण दिया. इस वक्त उन्होंने ट्रेनिंग प्रोग्राम की यादे सांझा कर बताया कि, उनके दौर में जब राजीव गांधी द्बारा खरीदे गये बोफोर्स तोफ को लेकर देश में हंगामा हो रहा था, उस वक्त उन्हें बोफोर्स तोफ को लेकर बेहद महत्वपूर्ण जानकारियां देकर इस तोफ की विशेषताएं बतायी थी. उस वक्त देश में यह पहली तोफ थी, जो फायर के बाद अपनी जगह बदल लेती है. जिससे रिपीट फायर का उसका तोफ पर कोई असर नहीं होता. ऐसी बारिकीयां संबंधित ट्रेनिंग शिबिरों में दी जाती थी, ऐसी ही जानकारियां संबंधित शिबिरों में ट्रेनर्स के माध्यम से दी जाती थी.
मुजफ्फर मामू ने ही राष्ट्रीय एकता मंच के बैनर तले शहर के पठान चौक में 15 अगस्त व 26 जनवरी को ध्वजारोहण की परंपरा शुरु की. तत्कालीन जिलाधिकारी भगवान सहाय व पुलिस अधीक्षक भाल की उपस्थिति में 26 जनवरी पर्व पर ध्वजारोहण किया गया. तब से यह परंपरा अविरत शुरु है. अब तक के 31 वर्षों में पठान चौक पर 62 ध्वजारोहण समारोह का आयोजन किया जा चुका है. उसी प्रकार राष्ट्रीय एकता मंच व पुलिस आयुक्तालय के संयुक्त तत्वावधान में हर वर्ष ईद के मौके पर ईद मिलन समारोह का आयोजन किया जाता है. अब तक 33 ईद मिलन समारोह का आयोजन राष्ट्रीय एकता मंच व पुलिस आयुक्तालय के संयुक्त तत्वावधान में किया गया है. मंच के सेके्रटरी सुरेश रतावा इस आयोजन में अहम रोल निभाते है. उन्होंने बताया कि, समाजनीति व राजनीति के अलावा पत्रकारिता क्षेत्र में काम किया. भारत की आन-बान, भारत वंदना, आवाज ए भारत ऐसे कुल 5 अखबारों के माध्यम से समाज के विविध विषयों को मजबूत मंच उपलब्ध करवाने का प्रयास किया, जो अभ भी निरंतर जारी है. उन्होंने बताया कि, कांग्रेस में प्रमुख पदों पर काम करते वक्त उनकी कई नेताओं से नजदिकीयां रही. उनमें पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी, उसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री स्व. विलासराव देशमुख, गोविंदराव आदीक, अहमद पटेल, पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभाताई पाटील, शहर के प्रथम महापौर देविसिंह शेखावत, पृथ्वीराज चव्हाण, बालासाहेब थोरात जैसे नेताओं के साथ काम करने का मौका मिला. इस वक्त उन्होंने बताया कि, महानगरपालिका के वर्ष 1992 में हुए प्रथम मनपा चुनाव में मुस्लिम युनाटेट फ्रंट के 5 पार्षदों की मदद से ही देविसिंह शेखावत शहर के प्रथम महापौर निर्वाचित हुए थे. इस चुनाव में मुजफ्फर मामू के साथ वजिर पटेल, जफर कुरैशी, अमिर पहलवान आदि ने कांग्रेस का टीकट मांगा था. लेकिन उन्हें टीकट नहीं मिलने से मुस्लिम यूनाटेट फ्रंट बनाकर चुनाव लढना पडा. इसके बाद भी उनके फ्रंट ने शहर के प्रथम महापौर के चुनाव में कांग्रेस के देविसिंह शेखावत का साथ देकर अपनी निष्ठा जाहीर की थी. अपने अब तक के राजनीतिक यात्रा में एमएलसी बनने की इच्छा पूरी नहीं होने का मलाल भी उन्हें है. उन्होंने बताया कि, यदि सत्ता में पहुंचा जाये, तो समाज के लिए कई कार्य किये जा सकते है. विभिन्न योजनाओं पर अमल कराया जा सकता है. हालांकि उन्हें एमएलसी पद दिया जाए, उसके लिए विशेष शिष्ट मंडल ने सोनिया गांधी से भी भेंट की थी. लेकिन किसी अन्य को यह मौका दिया गया और उनकी एमएलसी बनने की इच्छा अधूरी ही रह गई. इसके बाद भी उन्हें कांग्रेस से कोई शिकायत नहीं है, बल्कि कांग्रेस को फिर से पूर्ण मजबूती के साथ उभरने के लिए सभी नेताओं से साथ आकर काम करने की अपील वे करते है. इस दौरान उन्होंने अपने अब तक के सफर पर प्रकाश डालते हुए सभी के सहयोग से यहा तक पहुंचे है. आगे भी समाजनीति की यात्रा चलती रहेगी. जिंदगी भले ही अंतिम पडाव पर है, लेकिन हार नहीं मानी है ऐसा मुजफ्फर मामू का कहना रहा.