अमरावतीमहाराष्ट्र

नमक और शक्कर का सेवन करें कंजूसी

भारतीयों के लिए आईसीएमआर ने जारी किये नये दिशा-निर्देश

नई दिल्ली/दि.10– आहार का स्वास्थ्य के साथ सीधा संबंध रहने के चलते क्या खाया जाये और क्या नहीं. साथ ही कितना खाया जाये यह अपने आपमें काफी महत्वपूर्ण सवाल होते है. ऐसे में बदलती जीवनशैली के दौरान आदतों व आहार पद्धति में हुए बदलावों को देखते हुए भारतीय वैद्यकीय संशोधन परिषद यानि आईसीएमआर ने भारतीयों के लिए आहार को लेकर नये मार्गदर्शकतत्व जारी किये है. जिसके तहत आहार में नमक व शक्कर का प्रमाण कम करने के साथ ही प्रक्रिया किये गये खाद्य पदार्थ तथा मसल्सयुक्त शरीर हेतु लिए जाने वाले प्रोटीन सप्लीमेंट के सेवन को टालने की सलाह दी गई है.

* 17 मुद्दों का समावेश
– आईसीएमआर के अख्तियार के कार्यरत राष्ट्रीय पोषण संस्था (एनआईएन) हैदराबाद द्वारा संशोधित मार्गदर्शक तत्व जारी.
– आईसीएमआर-एनआईएन की संचालक डॉ. हेमलता आर. के नेतृत्व में विशेषज्ञों ने तैयार किया मसौदा.
– अत्यावश्यक पोषकतत्वों की जरुरत पूर्ण करने सहित असंसर्गजन्य रोगों को प्रतिबंधित करना प्रमुख उद्देश्य.
– मार्गदर्शक तत्वों में कुल 17 मुद्दों का समावेश.

* यह है प्रमुख मुद्दें
– प्रोटीन पॉवडर का दीर्घकाल तक बडे पैमाने में सेवन किये जाने से हड्डियों व मूत्रपिंड का नुकसान होने का खतरा होता है.
– कुल उर्जा की तुलना में शक्कर का प्रमाण 5 फीसद से कम होना चाहिए.
– संतुलित आहार के तहत तृण व भरड धान्य के जरिए 45 फीसद से अधिक कैलरी का सेवन नहीं किया जाना चाहिए.
– कडधान्य, द्विदल धान्य व मांस के जरिए मिलने वाली 15 फीसद कैलरी पर्याप्त.
– शेष कैलरी, काजू, सब्जी, फल व दूध के जरिए मिलनी चाहिए.
– चरबी का कुल सेवन 30 फीसद उर्जा से कम या बराबर होना चाहिए.

* पोषक आहार के अभाव में स्वास्थ्य की हानि
– देश में कुल बीमारियों में से 56.4 फीसद बीमारियां पोषक आहार के अभाव की वजह से.
– पोषक आहार व व्यायाम के चलते हृदयविकार व उच्च रक्तदाब का प्रमाण घटाना संभव.
– साथ ही टाईप-2 के मधुमेह को भी 80 फीसद तक घटाना संभव.
– निरोगी जीवनशैली के जरिए अकाल मौत के प्रमाण को कम करना संभव.
– शक्कर व चरबी की अधिक मात्रा रहने वाले एवं प्रक्रिया किये गये खाद्य पदार्थों का अतिसेवन करने, कम शारीरिक गतिविधि करने एवं पोषक आहार का अभाव रहने के चलते मोटापे का खतरा संभव.

* एनआईएन का निरीक्षण
– कडधान्य व मांस की मर्यादित उपलब्धता एवं अधिक कीमतों के चलते देश की बडी जनसंख्या तृणधान्य पर निर्भर.
– परिणाम स्वरुप आवश्यक मायक्रोन्यूट्रीयन्स (आवश्यक अमिनो एसिड व फैटी एसिड) तथा सुक्ष्म पोषक घटकों का सेवन कम.
– अत्यावश्यक पोषक घटकों के कम सेवन की वजह से चयापचय क्रिया गडबडाने के साथ ही छोटी उम्र में ही मधुमेह से संबंधित बीमारियां होने का खतरा.

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