केवल कागजों पर हो रही कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, कैसे रूकेंगा कोरोना
स्वास्थ्य महकमे द्वारा हाईरिस्क मरीजों की नहीं की जा रही जांच, लगातार बढ रही संक्रमितों की संख्या
अमरावती / प्रतिनिधि दि.1 – जिले में विगत 1 जनवरी से अब तक 15 हजार के आसपास नये कोरोना संक्रमित मरीज पाये जा चुके है. रोजाना ही कोरोना को लेकर विस्फोटक आंकडे सामने आ रहे है. लेकिन इसके बावजूद कोरोना संक्रमित मरीजों के संपर्क में आनेवाले लोगों सहित हाईरिस्क मरीजों की जांच करना और उनके सैम्पल जांच हेतु भिजवाना शायद स्वास्थ्य महकमा भूल गया है. कुल मिलाकर कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग अब केवल कागजों पर ही हो रही है. ऐसे में कोरोना संक्रमण की चेन को कैसे तोडा जाये, यह अपने आप में एक बडा सवाल है.
इस संदर्भ में कोरोना संक्रमित पाये गये कुछ मरीजों के परिजनों से बातचीत करने पर पता चला कि, उनसे अब तक स्वास्थ्य महकमे के किसी कर्मचारी द्वारा कोई संपर्क नहीं किया गया है. जिसकी वजह से सैनिटाईजेशन व कंटेनमेंट झोन जैसी बातें काफी दूर रह गयी है. इस समय कहीं पर भी किसी भी तरह का कोई सर्वेक्षण नहीं किया जा रहा. साथ ही आशा व एएनएम पथक भी दिखाई नहीं दे रहे. किसी भी कार्यालय में पल्स ऑक्सिमीटर व थर्मल स्क्रिनींग नहीं हो रही. साथ ही मास्क और सोशल डिस्टंसिंग के नियमों का भी पालन कडाई के साथ नहीं हो रहा. ऐसे में स्वास्थ्य महकमे द्वारा पूरी स्थिति के लिए नागरिकों को जिम्मेदार बताते हुए अपना पल्ला झाडा जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि, कोरोना संक्रमण की स्थिति को नियंत्रित करने हेतु अधिक से अधिक कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग करने का आदेश खुद राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा दिया गया था. जिसमें कहा गया था कि, कोरोना संक्रमित पाये जानेवाले व्यक्ति के सीधे संपर्क में आनेवाले कम से कम 20 लोगों को खोजा जाये. इसके अलावा राज्य के स्वास्थ्य संचालक ने प्रत्येक जिले में रोजाना 4 हजार कोविड टेस्ट करने का टार्गेट तय किया है. लेकिन इस समय प्रत्येक मरीज के पीछे केवल दो से तीन टेस्टिंग हो रही है. वहीं स्वास्थ्य महकमे द्वारा जिले में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग का प्रमाण 10 रहने का दावा करते हुए खुद का बचाव किया जा रहा है, लेकिन रोजाना घोषित होनेवाले कोरोना संक्रमितों के आंकडे स्वास्थ्य महकमे की पोल खोल रहे है. कहा जा सकता है कि, स्वास्थ्य महकमे में आपसी समन्वय का जबर्दस्त अभाव है. शुरूआती दौर में प्रत्येक मरीज के संपर्क में आनेवाले लोगों की जांच की जाती थी और आशा पथक द्वारा उस व्यक्ति के घर जाकर स्वास्थ्य जांच की जाती थी, लेकिन अब इन तमाम बातों को खुद स्वास्थ्य महकमा भुला चुका है. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, कोरोना के संक्रमण को कैसे रोका जा सकेगा.
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बिना लक्षणवाले मरीज ज्यादा खतरनाक
जिले में 80 फीसद मरीज एसिम्टोमैटिक व सौम्य लक्षणवाले है. ऐसे मरीजों द्वारा होम आयसोलेशन के नियमों का कडाईपूर्वक पालन नहीं किया जाता. ऐसे मरीज आयेसोलेशन काल के दौरान भी प्रतिबंधात्मक नियमों का पालन किये बिना अपने घरों से बाहर घुमते है. ऐसे में अन्य लोगों के कोविड संक्रमित होने की बडे पैमाने पर संभावना होती है. यहीं वजह है कि, जिले में कोरोना का संक्रमण बडी तेज गति से फैलने लगा और हालात इतने भयावह हो गये कि, जिले में पहले आठ दिन का लॉकडाउन लगाते हुए उसे अगले आठ दिन के लिए आगे बढाया गया. जिसकी वजह से इन दिनों आम जनजीवन बुरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है.