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* अखाद्य बर्फ की हो धडल्ले से बिक्री
अमरावती /दि. 18– गर्मी का मौसम शुरु होते ही अब शहर के प्रमुख चौक-चौराहों व रास्तों पर रसवंतीयां एवं शितपेयो की दुकाने सजती दिखाई देने लगी है. जहां पर बर्फ का प्रयोग करते हुए गन्ने के रस व अन्य शितपेयों को ग्राहकों की मांग पर उपलब्ध कराया जाता है. परंतु ऐसे प्रतिष्ठानों में प्रयुक्त किए जानेवाले बर्फ की शुद्धता व खाद्य योग्य रहने का मसला हमेशा से ही सवालों के घेरे में रहता है. क्योंकि ऐसे प्रतिष्ठानों द्वारा शितपेयों का निर्माण करते समय प्रयोग में लाए जानेवाला बर्फ अखाद्य श्रेणी वाला होता है. जिसे केवल औद्योगिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु प्रयोग में लाया जा सकता है. इस तरह के बर्फ का सेवन करने से स्वास्थ को लेकर कई तरह की समस्याएं पैदा होती है और इस तरह के बर्फ से बने शितपेयों का सेवन करने की वजह से गला खराब होने के साथ ही सर्दी-खांसी की समस्या भी पैदा हो सकती है.
* गर्मी में बढ जाता है बर्फ डले शितपेयों का प्रयोग
गर्मी के मौसम दौरान धूप की तपिश बढ जाने पर सूखे पडे गले को ठंडा करने हेतु कई लोग रसवंतीयों को पहुंचते है और गन्ने के रस में बर्फ डालकर मंगवाते है. ताकि गले सहित पेट को ठंडक मिले. परंतु रसवंतीयों द्वारा प्रयोग में लाया जानेवाला बर्फ साथसुथरा व सेवन योग्य है या नहीं इसकी ओर कभी कोई ध्यान ही नहीं दिया जाता.
* बिना बर्फवाला रस मांगा
कई लोग गन्ने के रस में बर्फ नहीं डालने की बात कहते है. रस में बर्फ डालने रस का प्रमाण कम हो जाता है. वहीं बिना बर्फ की ऑर्डर रहने पर ग्राहक को ज्यादा रस देने में आता है. जिसके चलते बर्फवाले रस की तुलना में बिना बर्फवाला रस महंगे दामों पर बेचा जाता है.
* कई रसवंतीवालों के पास अनुमति ही नहीं
गर्मी का मौसम शुरु होते ही कई स्थानों पर सडक किनारे रसवंती गृह सजने शुरु हो जातो है. परंतु ज्यादातर रसवंतीयों के पास अन्न व औषधि प्रशासन की अनुमति ही नहीं रहती. वहीं भले ही ज्यूस सेंटर व आईस्क्रिम पार्लर के पास अनुमति होती है. परंतु ऐसे प्रतिष्ठानों की जांच-पडताल भी एफडीए द्वारा कभी-कभार ही की जाती है.
* बर्फ की शुद्धता जाचना जरुरी
कई रसवंती संचालकों को यही पता नहीं होता कि, कौनसा बर्फ खानेयोग्य होता है और कौनसा बर्फ अखाद्य होता है. ऐसे में वे किसी भी तरह के बर्फ का अपनी रसवंतीयों में प्रयोग करते है. साथ ही साथ ज्यादातर रसवसंतीयों बर्फ को जूट से बने बोरे में लपेटकर रखा जाता है और उसे जंग लगी लोहे की सलाख से फोडा जाता है. जिसे देखते हुए सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि, इस तरह का बर्फ कितना शुद्ध रहता होगा. हैरानीवाली बात यह भी है कि, एफडीए द्वारा शहर में लगनेवाली रसवंतीयों तथा सडकों के किनारे लगनेवाली गन्ने की रस की गाडियों पर रहनेवाले बर्फ की कोई जांच-पडताल नहीं की जाती.
* शहर के सभी जूस सेंटरों द्वारा एफडीए से लाईसेंस हासिल किए जाते है. साथ ही अन्न व औषधि प्रशासन द्वारा भी खाद्यपेय पदार्थों को लेकर नियमित जांच-पडताल की जाती है. यदि उपभोक्ताओं को खाद्यपेय पदार्थों के संदर्भ में कोई समस्या व दिक्कत है तो उन्होंने इसे लेकर एफडीए कार्यालय में शिकायत दर्ज करवानी चाहिए.
– भाऊराव चव्हाण
सहआयुक्त, एफडीए.