* आशा वर्कर-गुट प्रवर्तक संगठना ने प्रधानमंत्री को भिजवाया ज्ञापन
अमरावती/ दि.18 – कोरोना ड्युटी के लिए जोखिम भत्ता जारी रखा जाए, वेतन नियमित समय पर भुगतान किया जाए, 45 वीं एलआईसी शिफारिशों के अनुसार नियमितिकरण, न्यूनतम वेतन, सामाजिक सुरक्षा और पेंशन दी जाए, ऐसी मांग को लेकर आशा वर्कर-गुट प्रवर्तक संगठना ने जिलाधीश के माध्यम से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन भिजवाया गया.
सौंपे ज्ञापन में उन्होंने कहा है कि, राष्ट्र के लिए शर्मनाक है कि इतने वर्षों तक निस्वार्थ समर्पित कार्य और महामारी के दौरान आशा कार्यकर्ताओं और फैसिलिटेटर्स व्दारा प्रदान की गई असाधारण सेवाओं के बावजूद हमारे जीवन को खतरे में डालते हुए हमें प्रति माह केवल 2 हजार रुपए भुगतान किया जा रहा है. जो कि न्युनतम वेतन से बहुत कम है. 2018 के बाद आसमान छूती कीमतों के बावजूद न तो इसे बढाया गया न ही विभिन्न सेवाओं के भत्ते में संशोधन किया गया. भारत सरकार 45 वें और 46 वें भारतीय श्रम सम्मेलनों की सिफारिशों के अनुसार हमारे काम को मान्यता देने और स्थायी कर्मचारियों के रुप में नियमित करने, न्यूनतम वेतन, सामाजिक सुरक्षा और पेंशन देने के लिए तैयार नहीं है. आशा कार्यकर्ता किसी भी श्रम कानून के दायरे में नहीं आती. इन सभी मतों को देखते हुए आशा वर्कर को हजार रुपए प्रति माह दी जा रही कोविड प्रोत्साहन राशि को फिर से लागू की जाए, जोखिम भत्ता भी शुरु करे, 50 लाख रुपए बहुप्रशंसित मृत्यु बीमा भुगतान कराया जाए, जैसी 8 सूत्रिय मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा गया. सिटू के अध्यक्ष सुभाष पांडे, सचिव वंदना बुरांडे समेत आशा वर्कर बडी संख्या में उपस्थित थी.