अमरावती

लगातार चार गाय व एक बैल की मृत्यु

पशु वैद्यकीय अधिकारी कह रहे है धीरज रखो

अमरावती/दि. २९– खेत में जोडधंधा करने के लिए किसानों के पीछे बड़ी समस्या खडी हो गई है. उनके गाय बैल के उपचार के लिए इतना सारा वेतन लेने वाले पशुओं के डॉक्टर भी समय पर और उनका अच्छी तरह उपचार नहीं करते, ऐसे में किसानों की परेशानी दिन ब दिन बढती जा रही है.
उदाहरण के लिए एक बार फिर सामने आया पशुधन का व्यवसाय करनेवाले किसानों को पशु वैद्यकीय यंत्रणा ने किसानों को संकट में डाल दिया है. मरने की स्थिति में पहुंची गाय बैल पर पशु वैद्यकीय अच्छी तरह उपचार नहीं करते. ऐसा ही अनुभव विजय पथ नगर मार्ग पर उमेश बनसोड इस युवा किसान को आया है.
उमेश माणिकराव बनसोड ऐसा इस किसान का नाम है. शिक्षा प्रशिक्षण होने के बाद भी नौकरी नहीं मिलती. यदि रोजगार करे तो भरपूर पूंजी नहीं रहती. इसलिए अत्यंत मेहनत का पशुपालन का व्यवसाय करने की उसने सोची. उसमें भी उनका गोधन कौन बचायेगा, ऐसी सवाल खडा हो गया. उसने पालकमंत्री से जिलाधिकारी और प्रादेशिक आयुक्त से जिला पशुसंवर्धन अधिकारी सभी को पत्र देकर गोधन बचाने का प्रयास किया. विगत माह में उमेश की तीन गाय और एक बैल की मृत्यु हो गई. तीसरी गाय मरी तब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ. जिसके कारण उसका पोस्टमार्टम कर उसके कारण की खोज करने का प्रयास किया. गाय के पेट में प्लॉस्टिक पन्नी दिखाई देने से डॉक्टरों ने उसका मृत्यु होने की वजह बताई. इस दौरान गाय के साथ अन्य गोधन के रक्त की जांच की गई. यह रक्त नमूना अकोला के प्रयोगशाला में भेजा गया. जिसमें एक और खतरे की बात सामने आयी कि उमेश के सभी पशुधन पॉजिटीव फॉर अनाप्लाज्मा है उस पर कोई उपचार नहीं किया जा सकता. जिसे मवेशी अधिक समय तक जिन्दा रहना मुश्किल है. जिसके कारण उमेश पूरी तरह से निराश हो गया. अत्यंत मेहनत से खडा किया उसका रोजगार वह भी डूब गया.

पालकमंत्री महोदय न्याय दे…
टोलेगंज इमारती, लाखों रूपये वेतन लेनेवाले डॉक्टर्स औषधी के लिए शासन की निधि परंतु फिर भी गोधन क्यों नहीं बचाते. ऐसा सवाल खडा हुआ है. इस दौरान यह प्रकरण पालकमंत्री और जिलाधिकारी के परिसर तक पहुंचा है. जिसके कारण शासन-प्रशासन की प्रमुख यह दो महिला पदाधिकारी और अधिकारी इस संबंध में क्या निर्णय लेते है, इस ओर मेरा ध्यान लगा है.
उमेश बनसोड, युवा पशुपालक

पशु वैद्यकीय अधिकारी कहते है बीमारी ठीक होगी ही
उमेश बनसोड के गोधन के रक्त नमने पॉजिटीव फॉर अ‍ॅनाप्लाज्मा होने पर उस पर उपाय है. इस बीमारी के कारण रक्त तैयार होने की क्रिया धीमी होती है. यह सच है कि आगे यह बीमारी अनियमितता की ओर होती है. परंतु उपचार के अंत में गोधन को बचाया जा सकता है. यह सच है.
डॉ. राजीव खेरडे, सर्व पशुचिकित्सालय

 

Related Articles

Back to top button