अमरावतीविदर्भ

ठेके पर नियुक्त डॉक्टरों को पांच माह से नहीं मिला कोरोना प्रोत्साहन भत्ता

समान काम-समान वेतन नीति भी लागू नहीं

अमरावती जहां एक ओर राज्य सरकार एवं मनपा की सेवा में कोरोना काल के दौरान काम करनेवाले एमबीबीएस डॉक्टरों को ६० हजार से ८० हजार रूपये प्रतिमाह वेतन स्वास्थ्य विभाग द्वारा अदा किया जा रहा है, वहीं राष्ट्रीय बाल कार्यक्रम अंतर्गत सालोंसाल से ठेके पर काम करनेवाले बीएएमएस डॉक्टरों को विगत पांच माह के दौरान कोरोना कालीन प्रोत्साहन भत्ता भी नहीं दिया गया. यह सीधे-सीधे समान काम-समान वेतन नीति का उल्लंघन है. इस आशय का आरोप राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के वैद्यकीय अधिकारी डॉ. प्रवीण औगड तथा आरबीएसके संगठन प्रमुख डॉ. गजदत्त चव्हाण द्वारा लगाया गया है.

इस संदर्भ में जारी किये गये परिपत्रक में डॉ. औगड व डॉ. चव्हाण ने कहा कि, केंद्र सरकार के बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में वर्ष २००८ से शालेय विद्यार्थियों एवं अंगणवाडी के बच्चों की स्वास्थ्य जांच हेतु आयुर्वेदिक डॉक्टरों को ११-११ महिने के करार के तहत ठेका पध्दति से नियुक्त किया गया था. जिसका प्रतिवर्ष नूतनीकरण किया जाता है. शुरूआत में १२ हजार रूपये प्रतिमाह के वेतन पर नियुक्त इन डॉक्टरों को आज दस वर्ष बाद २२ हजार रूपये वेतन दिया जाता है. वहीं वर्ष २०१३ व २०१९ में नियुक्त किये गये डॉक्टरों को क्रमश: १५ हजार व २८ हजार रूपये प्रतिमाह वेतन पर काम पर रखा गया. जिसके चलते विगत दस वर्षों से काम करने के बाद २२ हजार रूपये वेतन प्राप्त करनेवाले डॉक्टरों में जबर्दस्त असंतोष व्याप्त है.

वहीं दूसरी ओर विगत पांच माह के दौरान कोरोना काल में काम करनेवाले डॉक्टरों को २५ हजार रूपये तक कोरोना प्रोत्साहन भत्ता देने का निर्णय स्वास्थ्य विभाग द्वारा लिया गया था. qकतु पांच माह से ठेका पध्दति पर काम कर रहे डॉक्टरों को इस भत्ते का लाभ नहीं मिला. बल्कि इस दौरान अस्थायी तौर पर कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज हेतु प्रतिमाह ६० से ८० हजार रूपये मानधन पर काम करनेवाले डॉक्टरों को यह भत्ता भी दिया जा रहा है. यह सीधे-सीधे डॉक्टरोें के साथ भेदभावपूर्ण नीति है और विगत लंबे समय से सेवा प्रदान कर रहे आयुर्वेदिक डॉक्टरों के साथ अन्याय है. जिसे तत्काल दूर किया जाना चाहिए, ऐसी मांग भी इस परिपत्रक के जरिये की गई है.

Related Articles

Back to top button