बगैर ई-निविदा करोडों के दिये ठेके
टायगर संरक्षण से जुडे कार्यों को लेकर संचालक मंडल की लापरवाही
अमरावती/दि.19 – मेलघाट टायगर प्रोजेक्ट अंतर्गत गुगामल वन्यजीव विभाग में ई-निविदा निकाले बगैर ही करोडों रुपए के कामों के ठेके दे दिये गए है. खासबात यह है कि मेलघाट टायगर प्रोजेक्ट के सदस्य सचिव के आदेशों को कार्यकारी संचालकों ने धता बताया है. यह कार्य बीना किसी प्रक्रिया के कैसे शुरु किये गए, इस बात को लेकर टायगर प्रोजेक्ट अंतर्गत ही सवाल उठने लगे है.
डॉ.श्यामप्रकाश मुखर्जी वन विभाग योजना अंतर्गत वन्य प्राणियों को होने वाले नुकसान पर नियंत्रण पाने के लिए गुगामल वन्यजीव विभाग में तारुबांधा व हरिसाल परिक्षेत्र में सुरक्षा बंदी का कार्य शुरु किया गया था. इस कार्य की लागत 1 करोड 50 लाख 83 हजार रुपए आंकी गई थी. ठेका जारी करने से पहले ई-निविदा प्रक्रिया जरुरी रहने के बावजूद उसे पूरा नहीं किया गया. इसके तहत चिखलदरा, तारुबांधा, हरिसाल और ढाकणा परिक्षेत्र में संरक्षण तथा सडक के निर्माण कार्य किये गए. इस पर 8 लाख 86 हजार 320 रुपए खर्च किये गए. इस मामले में सदस्य सचिव मेलघाट टायगर प्रोजेक्ट अमरावती व्दारा त्रुटी निकालते हुए बिलों को नामंजूर किया. इसके बाद भी इन्हें वन परिक्षेत्र में जून 2020 में सडक मरम्मत के नाम पर 27 लाख 65 हजार रुपए का कार्य किया गया. विशेष बात यह है कि इसके लिए भी निविदा नहीं जारी की गई. इसके बाद भी सदस्य सचिव के आदेश को नजरअंदाज करते हुए वन विभाग की ओर से बिलों का भुगतान कर दिया गया.
सदस्य सचिव ने रोका था बिल
वर्ष 2018-19में प्रकृतिक संवर्धन व पशु संवर्धन अंतर्गत 23 लाख 65 हजार 738 रुपए, आदिवासी टीएसपी के तहत 3 लाख 91 हजार 517 रुपए व 2019-20 में 37 लाख 20 हजार 197 रुपए उपलब्ध कराए गए. इस पूरी राशि का खर्च पूर्व नियोजित नहीं था. इसलिए इन कार्यों को शुरु करने से पहले ई-निविदा जारी करना बंधनकारक है. ई-निविदा न होने के कारण सदस्य सचिव ने उन बिलों पर रोक लगाई थी.