मक्के का बुआई क्षेत्र बढा, किसान होंगे मालामाल
इथेनॉल निती से मक्का उत्पादकों को होगा फायदा
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अमरावती /दि. 17– पशु खाद्य एवं चारे के लिए अमरावती जिले में इस वर्ष रबी सीजन दौरान 2842 हेक्टेअर क्षेत्र में मक्के की बुआई किए जाने की जानकारी कृषि विभाग से प्राप्त हुई है. वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार ने इंधन में 20 फीसद इथेनॉल मिश्रण के उद्देश्य को साध्य करने हेतु मक्के से इथेनॉल की निर्मिती को प्रोत्साहन दिया है. जिससे किसानों को भी अच्छा-खासा फायदा हो रहा है. ऐसे में किसान भी मक्के की बुआई को लेकर रुची दर्शा रहे है.
बता दें कि, जानवरों के खाद्य हेतु मक्के की फसल को सालभर उगाया जाता है और यह किसी भी तरह की जमीन में उगनेवाली फसल है. कुछ क्षेत्रों में मक्के की भाकरी यानी रोटी भी बडे चाव से खायी जाती है. वहीं अब मक्के की फसल से बडे पैमाने पर इथेनॉल की निर्मिती की जा रही है और सरकार ने इंधन के तौर पर प्रयुक्त होनेवाले पेट्रोल में 20 फीसद इथेनॉल का मिश्रण करने को अपनी मंजूरी भी दी है. जिसके चलते इथेनॉल की खपत बढ गई है. जिसे हासिल करने हेतु मक्के की पैदावार बढना बेहद जरुरी हो चला है. इस लिहाज से अब किसानों के लिए मक्के की फसल ‘कैश क्रॉप’ साबित हो रही है.
* मक्के का बुआई क्षेत्र कितना
जिले में कुल 2842 हेक्टेअर क्षेत्र में मक्के की बुआई की गई है. जिसमें से सर्वाधिक 2197 हेक्टेअर क्षेत्र अकेले धारणी तहसील में ही है. इसके अलावा वरुड में 353 हेक्टेअर, चिखलदरा में 122 हेक्टेअर व मोर्शी तहसील में 105 हेक्टेअर क्षेत्र में मक्के की बुआई किए जाने की जानकारी कृषि विभाग द्वारा दी गई है.
* इथेनॉल निर्मिती के लिए बढी मांग
मक्के का आटा तैयार करते हुए उसे अन्य घटक के साथ मिलाकर उसमें खमीर उठाया जाता है. जिसके बाद इस घोल से इथेनॉल तैयार किया जाता है. चूंकि, इन दिनों इथेनॉल की जरुरत व मांग काफी अधिक बढ गई है. जिसके चलते मक्के की मांग में भी अच्छा-खासा इजाफा हुआ है.
* अन्य फसलों पर कोई परिणाम नहीं
मक्के की फसल के चलते अन्य किसी भी फसल पर कोई परिणाम नहीं होता. जिसके चलते पशु खाद्य के तौर पर किसानों द्वारा मक्के की बुआई की जाती है. जिससे चारे की किल्लत भी महसूस नहीं होती.
* पशु खाद्य के तौर पर प्रयोग
दुग्ध व्यवसाय व कुक्कुट पालन में मक्के का प्रयोग पशु खाद्य के तौर पर सर्वाधिक होता है. जिसके चलते पशुपालन व कुक्कुट पालन करनेवाले किसानों द्वारा बडे पैमाने पर मक्के की बुआई की जाती है. साथ ही बाजार में भी मक्के की मांग रहने के चलते किसानों द्वारा मक्के की पैदावार कर उसकी बिक्री की जाती है.
* सिंचाई की सुविधा रहनेवाले क्षेत्रों में हरे चारे के लिए मक्के की बुआई की जाती है और कृषि विभाग द्वारा भी मक्के की पैदावार हेतु किसानों को प्रोत्साहित किया जाता है. बाजार में अच्छी-खासी मांग रहने के चलते किसानों को मक्के की उपज की ऐवज में अच्छा-खासा पैसा मिलता है. जिसे उन्हें अच्छी आय होकर उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधरती है.
– वरुण देशमुख
कृषि उपसंचालक.