अमरावती

कोरोना : रंग-पिचकारी कारोबार हुआ बेरंग

व्यापारियों को लागत निकलाना हुआ मुश्किल, लॉकडाउन को देखते हुए व्यवसायियों ने कम ही माल मंगाया है

  • 5 से 6 करोड रुपए का सीजन में होता था व्यवसाय

  • इस वर्ष 40 से 50 प्रतिशत तक ही बिक्री की उम्मीद

नागपुर/दि.22 – लॉकडाउन के चलते बाजार आंशिक रुप से बंद है. सोमवार 29 मार्च को होली है. होली के लिए रंग, पिचकारी और मुखोैटे आदि की मांग बढ जाती है. रंग और पिचकारी की बिक्री साल में एक बार होली के दौरान होती है. सीजन में कुल मिलाकर 5-6 करोड रुपए का व्यापार हो जाता है. इस साल भी व्यापारियों ने पिचकारियां, रंग और मुखौटे मंगाएं हैं, लेकिन सवाल यह है कि प्रशासन की ओर से मार्केट शुरु रखने का समय 5 बजे तक कर दिया है. जिसके चलते कारोबारियों को चिंता सताने लगी है कि सीमित समयावधि में कितनी बिक्री हो पाएगी. व्यापारियों का कहना है कि होली का त्यौहार सिर्फ आठ दिन पर आ पहुंचा है और इतने कम दिनों और कम समय में बिक्री का आंकडा 40 से 50 प्रतिशत के ऊपर नहीं जा पाएगा. इतना ही नहीं तो शहर में बाहरी ग्राहकों का भी आवागमन बंद है. कई ग्राहक दूसरे शहरों से माल खरीद रहे हैं. ऐसे में व्यापार का प्रतिशत घटने की आशंका जताई जा रही है.

मोबाईल गेम और कार्टून कैरेक्टर की पिचकारियां

व्यापारी अजय संघवी ने बताया कि महानगर के होली बाजार में एक से बढकर एक पिचकारियां बच्चों को लुभाने लगी हैं. इनमें पबजी, डोरेमॉन, लाइट वाली बंदूक, स्पाइडर मैन, छोटा भीम, बोतल पिचकारी, फव्वारा पिचकारी, स्पे्र आदि वैरायटी में पिचकारियां उपलब्ध है.

मुखौटे की रहेगी कमी

जनरल मर्चेट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष पंकज पडिया ने बताया कि आजकल पिचकारियों का निर्माण भारत में ही होेने लगा है, लेकिन होली में लगाए जाने वाले मुखौटों का आयात बडी मात्रा में चीन से होता है. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण इस साल चीन से माल नहीं आ पाया हेै. कुछ सामान का निर्माण भारत में हुआ है, लेकिन वह पर्याप्त नहीं है. इसलिए इस साल मुखौटे आदि की कमी रहेगी. भालू, भूत, शेर आदि के मुखौटे बाजार में बिक्री के उपलब्ध है.

व्यापारियों ने कम मंगाया माल

कोेरोना संक्रमण के चलते इस साल लोग रंग का उपयोग कम करेंगे. ऐसे में व्यापारियों ने भी रंग और गुलाल कम ही मंगाया है. हाथरस (उत्तर प्रदेश) से व्यापारी रंग और गुलाल मंगाते हैं. उसी प्रकार शहर में भी थोडी मात्रा में गुलाल का उत्पादन किया जाता है.

दस प्रतिशत तक बढे दाम

व्यापारियों ने बताया कि प्लास्टिक की कीमत बढने के कारण इस साल पिचकारियों के दाम में 10 से 15 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है. पिछले साल 100 रुपए में खरीदी गई पिचकारी इस साल 110 रुपए में खरीदनी पडेगी.

चीन के आइटम की मांग

इस बार चीन की पिचकारियां और रंग गुलाल बच्चों के लिए बाजार में नहीं है. होली पर चीन की पिचकारी, कई फ्लेवर में स्प्रे और रंगों की मांग रहती है. सस्ते होने के कारण इनकी बिक्री ज्यादा होती है. लेकिन इस साल चीन की पिचकारी, मुखौटे, स्प्रे आदि नहीं मंगवाए गए है. इस बार बाजार में देसी पिचकारियां खूब आई हेैं. इसके साथ ही हर्बल कलर भी ऐसे आए हैं, जो पाउडर जैसे हैं. यह पानी में जल्द घुल जाएंगे.

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