अमरावती

किसान आत्महत्याओं पर भारी रही कोरोना मौतें

जिले में सालभर दौरान 295 किसान आत्महत्या

  • कोरोना सालभर में लील गया 423 जिंदगिया

अमरावती प्रतिनिधि/दि.7 – जिले में आसमानी व सुलतानी संकटो की वजह से बीते एक साल के दौरान 295 किसानों ने आत्महत्या करते हुए मौत को गले लगाया है. किंतु इस बार कोरोना संक्रमण की वजह से होनेवाली मौतें किसान आत्महत्याओं पर भारी रही. क्योंकि विगत दस माह के दौरान कोरोना की संक्रामक बीमारी की वजह से 423 लोगों की मौते हुई. यानी किसान आत्महत्या एवं कोरोना संक्रमण की वजह से बीते एक वर्ष के दौरान अमरावती जिले में 798 लोगो की जाने गयी है. जिससे अमरावती जिले की चिंता बढती दिखाई दे रही है.
उल्लेखनीय है कि राज्य में विगत दो वर्षों के दौरान सर्वाधिक किसान आत्महत्याएं अमरावती जिले में घटित हुई है और इस दौरान किसान आत्महत्याओ को रोकने हेतु जिला प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाये गये. ऐसे में किसान आत्महत्याओें के आंकडे लगातार बढते ही जा रहे है. प्रतिकूल मौसम की वजह से लगातार हो रही फसलोें की बर्बादी, अकाल, प्राकृतिक आपदा एवं अत्यल्प उत्पादन के साथ ही कृषि उत्पादों को बाजार में मिलनेवाला अत्यल्प दाम और इन सबके बीच सिरपर साहूकारोें व निजी बैंकों के लगातार बढते कर्ज व ब्याज की वजह से किसान परेशान हो चले है और निराशा का शिकार होते हुए आत्मघाती कदम उठा रहे है. वर्ष 2020 में ऐसे ही निराशा व चिंता का शिकार होकर अमरावती जिले में 295 किसानों ने आत्महत्या कर ली. ऐसा करते हुए इन किसानों ने खुद को तो दुनिया की तमाम झंझटों से मुक्त कर लिया, लेकिन अपने पीछे छूट जानेवाले लोगों की मुश्किलें बढा दी. क्योेंकि उनके पश्चात अब कर्ज का बोझ उनके वारिसदारों पर आ गया है. वहीं किसान आत्महत्या के बाद सरकार की ओर से केवल 1 लाख रूपये की सहायता मिलती है. जिसमें 30 हजार रूपये नकद एवं 70 हजार रूपये का बॉन्ड दिया जाता है. वर्ष 2009 से अब तक इस सहायता राशि में सरकार की ओर से कोई वृध्दि भी नहीं की गई है.
वहीं दूसरी ओर अप्रैल माह से अमरावती जिले में कोरोना संकट ने पांव फैलाना शुरू किया. इस नौ माह की कालावधि के दौरान अब तक 23 हजार से अधिक लोग कोविड संक्रमित पाये जा चुके है. जिनमें से अब तक 423 लोगोें की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, कोरोना एवं किसान आत्महत्याओें की वजह से बीते एक वर्ष के दौरान अमरावती जिले में 798 लोगोें को नाहक अपनी जान गवानी पडी.

  • बैठकों के लिए जिला प्रशासन गंभीर नहीं

किसान आत्महत्या से संबंधित मामलों में सहायता राशि को मंजूरी देने हेतु जिलाधीश की अध्यक्षता में एक समिती कार्य करती है. जिसमें जनप्रतिनिधियों के साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों का समावेश रहता है, लेकिन इस समिती की बैठक चार-चार महिने नहीं होती. जिससे मुआवजा वितरण से संबंधित मामले प्रलंबित रहते है और किसानोें के उत्तराधिकारियों को सरकारी सहायता राशि मिलने में विलंब का सामना करना पडता है.

  • ‘कॉमबिड’ की वजह से बढी कोरोना मौतें

जिले में कोरोना की वजह से अब तक जितनी भी मौते हुई है, उसमें से 80 प्रतिशत मरीज बीपी, शुगर व हृदयरोग जैसी विभिन्न बीमारियोें से पीडित थे. ऐसा स्वास्थ्य विभाग द्वारा किये गये डेथ ऑडिट में स्पष्ट हुआ है. इसके अलावा लक्षण दिखाई देने के बावजूद इलाज में देरी अथवा लापरवाही करते है. इस वजह से भी कई मौत का शिकार हुए है.

  • जिले में किसान आत्महत्या व कोरोना मौतो की संख्या

महिना           किसान आत्महत्या               कोरोना मृत्यु
जनवरी                      24                                      00
फरवरी                       27                                      00
मार्च                           14                                      00
अप्रैल                         13                                      07
मई                             29                                      08
जुन                            29                                      09
जुलाई                        31                                      37
अगस्त                      25                                      70
सितंबर                     30                                      156
अक्तूबर                     31                                       77
नवंबर                      25                                       13
दिसंबर                    17                                        04

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