१५ त्यौहारों पर कोरोना का लगा ग्रहण
नवरात्रि, दशहरा, दिपावली पर भी मंंडरा रहा कोरोना का संकट
अमरावती प्रतिनिधि/दि.८ – बीते जनवरी-फरवरी माह से संपूर्ण देश मेें कोरोना के धीरे-धीरे एन्ट्री हुई और मार्च माह में कोरोना ने गति पकड़ ली. अन्य देशों के समान भारत की स्थिति न बिगड़े इसके लिए मार्च माह से ही पूरे देश में राष्ट्र स्तर पर लॉकडाऊन घोषित किया गया है. इससे सभी व्यवसाय, उद्योग, शासकीय, निजी कार्यालय सहित सभी जगह पर ताले लग गये. मंदिर और धार्मिक संस्थाएं भी इससे दूर नहीं रहे. कोरोना की दहशत इतनी हावी हो गई कि लोगों को घरों में बंदिस्त होना पड़ा. त्यौहारों की रौनक भी फीकी पड़ गई. शादी समारोह के उत्साह पर भी वीरानी छा गई. न बैंड बाजा न रैली न डीजे, न भोजन के लिए लगनेवाली कतारे और मंदिरों के सामने भक्तों की भीड़ को कोरोना के ग्रहण ने निगल लिया. वर्ष २०२० में होली और होली का दहन ही लोग मना पाए. इसके बाद अब तक १५ त्यौहार कोरोना की आग में भस्म हो गये. वहीं इस बार नवरात्रि,दशहरा, दीपावली पर भी कोरोना का संकट नजर आ रहा है. यहां बता दे कि होली के बाद त्यौहारों की पूरी तरह से ग्रहण ही लगे है. राम नवमी २ अप्रैल को थी. लेकिन इस बार केवल घरों में ही मनाई गई. मंदिरों में न झूला नहीं झूला और न ही भक्तों की भीड़ रही. इसके बाद ८ अप्रैल को आयी हनुमान जयंती पर भी सन्नाटा सा ही देखने को मिला. १४ अप्रैल डॉ. बाबा साहब आंबेडकर की जयंती पर भी इर्विन चौक में वीरानी नजर आयी. जिलेभर में भी कोई सामाजिक उपक्रम नहीं चलाए गये. २५ अप्रैल को शिव जयंती भी सुनी-सुनी बीत गई. २५ मई को रमजान ईद के त्यौहार पर भी कोरोना का साया मंडराया. केवल इबादत पर ही मुस्लिम बंधुओं को संतोष माना गया. श्रावण मास में उत्साह और चेतना निर्माण होती है. लेकिन इस बार श्रावण मास पर भी कोरोना का साया नजर आया. रक्षाबंधन,जन्माष्टमी, आजादी का पर्व, दहीहांडी, उत्सव पर भी पूरी तरह से पानी फिर गया. इतिहास में कई पहलीबार विघ्नहर्ता का आगमन बगैर ढोल ताशे के हुआ. विघ्नहर्ता शांति से आए और शांति से ही विसर्जित हो गये. इतना ही नहीं तो घर-घर में ज्येष्ठा गौरी का भी पूजन सादगीपूर्ण तरीेके से मनाया गया. फिलहाल पितृ पक्ष चल रहा है. इसके बाद अश्विन अधिक मास आयेगा. १७ अक्टूबर को घटस्थापना के बाद नवरात्रोत्सव आरंभ होगा. २५ अक्टूबर को विजया दशमी यानी दशहरा होगा. वहीं १४ नवंबर को दीपावली का त्यौहार होगा. लेकिन कोरोना की लगातार एन्ट्री से इन त्यौहारों पर भी वीरानी छाने की प्रबल संभावना बढ़ गई है.