अमरावती/दि.16 – मूत्र विसर्जन के जरिये शरीर की तमाम अशुध्दियों को बाहर निकालने का काम मूत्र पिंड यानी किडनी द्वारा किया जाता है. स्वस्थ जीवन के लिए किडनी द्वारा योग्य पध्दति से कार्य किया जाना बेहद जरूरी है. किंतु यदि जरूरी सतर्कता न बरती जाये, तो किडनी संबंधी बीमारियां व समस्याएं उत्पन्न हो सकती है. जिसे जीवन काफी तकलीफदेह भी हो सकता है. साथ ही किडनी संबंधी विकारों से ग्रस्त रहनेवाले लोग यदि कोविड संक्रमण की चपेट में आते है, तो यह उनके लिए और भी अधिक नुकसानदेह साबित हो सकता है. ऐसी जानकारी सामने आयी है. अब तक माना जा रहा था कि, कोविड संक्रमण की चपेट में आनेवाले लोगों के फेफडों पर ही परिणाम होता है, किंतु अब पता चला है कि, सौम्य समस्या रहनेवाले मरीजों की किडनी पर भी कोविड वायरस विपरित परिणाम करता है. कोविड संक्रमित होने से पहले किडनी संबंधी सामान्य समस्या रहनेवाले मरीजों के कोविड मुक्त हो जाने के बावजूद उनकी किडनी की समस्याएं बनी रहती है, जो अपने आप में काफी चिंताजनक बात है.
अमरावती स्थित दो किडनी विशेषज्ञों के पास इलाज करवानेवाले जिन किडनी मरीजों में कोविड वायरस का संक्रमण हुआ, उनमें से 50 फीसदी से अधिक मरीजों की मौत होने की सनसनीखेज जानकारी सामने आयी है. किडनी विशेषज्ञों के मुताबिक उन संक्रमितों पर कोरोना संबंधी इलाज करते समय किडनी संबंधी इलाज पर ध्यान ही नहीं दिया गया.
किडनी का मरीज पॉजीटीव आने पर…
– घबराये बिल्कुल भी नहीं, लेकिन कोविड का इलाज करनेवाले डॉक्टर को अपनी किडनी हिस्ट्री के बारे में जरूर बताये.
– जिस कोविड अस्पताल में इलाज हेतु भरती हो रहे है, वहां ऑक्सिजन व आयसीयू के साथ ही डायलिसीस की सुविधा उपलब्ध है अथवा नहीं, इसकी जानकारी पहले ही प्राप्त कर लें.
– इस जानकारी को हासिल करने के बाद ही संबंधित कोविड अस्पताल में अपने किडनी की बीमारी से पीडित और कोविड संक्रमित मरीज को उस अस्पताल में भरती कराये.
कन्सलटंट तय करेंगे स्टेरॉयड का प्रमाण
इससे पहले की कोविड संक्रमण लहर में बडे पैमाने पर मरीजों को स्टेरॉयड दिये गये. जिसके विपरित परिणाम भी दिखाई दिये. ऐसे में अब मरीज को स्टेरॉयड देना है अथवा नहीं, यह फैमिली डॉक्टर की बजाय कोविड कन्सलटंट द्वारा तय किया जायेगा. मरीज को निश्चित तौर पर किडनी संबंधी क्या समस्या है, यह बात यदि मरीज अथवा उसके परिजन नहीं बता सकें, तो संबंधित कन्सलटंट द्वारा ही उस मरीज का किडनी संबंधी इलाज करनेवाले डॉक्टर से बातचीत करते हुए स्टेरॉयड के बारे में निर्णय लिया जा सकता है.
यह करें…
– किडनी की समस्या से जूझ रहा मरीज यदि कोविड पॉजीटीव पाया जाता है, तो सबसे पहले उस मरीज का इलाज करनेवाले किडनी विशेषज्ञ डॉक्टर को इसकी जानकारी दी जाये.
– जिस कोविड अस्पताल में डायलिसीस की सुविधा उपलब्ध है, वहां इलाज के इलाज के लिए मरीज को भरती किया जाये.
– घबराये नहीं, बल्कि अन्य बीमारियां रहनेवालों की तुलना में ज्यादा अधिक सतर्क रहे.
ये ना करे…
– किडनी संबंधी दिक्कतों के साथ ही कोविड पॉजीटीव पाये जाने पर बिल्कुल भी पैनिक न हो.
– किडनी विशेषज्ञ सहित कोविड का इलाज करनेवाले डॉक्टरों से अपनी बीमारियों के बारे में कुछ भी न छिपाये.
– किसी भी स्थिति में डायलिसीस में खंड न पडने दे.
यदि किडनी संबंधी समस्या से जूझ रहा कोई मरीज कोविड संक्रमण की चपेट में आता है, तो संबंधित मरीज को और अधिक सजग व सतर्क रहना चाहिए. ऐसे मरीजों ने कोविड का इलाज जारी रहने के दौरान भी डायलिसीस नियमित रूप से करवाना चाहिए. अन्य लोगों की तुलना में किडनी की बीमारियों से संबंधित मरीजों का कोविड संक्रमित होना कहीं अधिक चिंता का विषय है. किंतु आवश्यक सतर्कता बरतते हुए इस पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है.
– डॉ. अविनाश चौधरी (डीएम)
किडनी विशेषज्ञ, अमरावती.