अमरावती

कोरोना के चलते तीन बच्चे हुए अनाथ

तीनों के माता-पिता की महामारी में मौत

  • महामारी में 6 बच्चों ने मां खोयी, 41 के पिता के मौत

  • टास्क फोर्स ने सौंपी जिलाधीश को रिपोर्ट

  • जिला प्रशासन ने योग्य पालन-पोषण के दिये निर्देश

अमरावती/दि.26 – इस समय कोविड की संक्रामक महामारी के चलते अमरावती शहर सहित जिले में 1 हजार 300 से अधिक लोगोें की मौत हो चुकी है. जिनमें कई महिलाओं व पुरूषों का समावेश रहा. ये मृतक किसी के मां-बाप, अथवा भाई-बहन भी रहे होंगे. इस बात के मद्देनजर प्रशासन द्वारा टास्क फोर्स गठित करते हुए इस बात की जांच करनी शुरू की गई कि, कोविड की संक्रामक महामारी के दौरान माता-पिता अथवा दोनों में से किसी एक को खो देनेवाले बच्चों की संख्या कितनी है, इस पडताल के बाद पता चला है कि, अमरावती जिले में मातृ-पितृ छत्र खो देनेवाले कुल 51 बच्चे है. जिनमें से 3 बच्चों ने इस महामारी काल के दौरान अपने माता-पिता दोनों को खो दिया है और वे पूरी तरह से अनाथ हो गये है. वहीं 6 बच्चे ऐसे है, जिन्होंने इस दौरान अपनी माता और 41 बच्चे ऐसे है, जिन्होंने इस दौरान अपने पिता को खो दिया है. इस आशय की रिपोर्ट टास्क फोर्स द्वारा जिलाधीश शैलेश नवाल को सौंपी गयी है. जिसके बाद जिला प्रशासन द्वारा इन बच्चों के यथायोग्य पालन-पोषण हेतु तमाम आवश्यक कदम उठाये जा रहे है.
जानकारी के मुताबिक जिला बालकल्याण अधिकारी भूषण भडांगे के नेतृत्ववाले पथक द्वारा इन बच्चों की खोजबीन की गई, जो फिलहाल अपने दादा-दादी, चाचा-चाची व मामा-मामी के पास रह रहे है. पूरी तरह अनाथ हुए तीन बच्चे अपने दादा-दादी के पास पूरी तरह से सुरक्षित बताये गये है. ऐसी जानकारी देते हुए बालकल्याण अधिकारी भडांगे ने बताया कि, यदि कोई रिश्तेदार इन बच्चों की देखभाल के लिए तैयार नहीं होता, तो उन्हें रूख्मिनी नगर अथवा साई नगर के बाल संगोपन गृह में रखा जायेगा. साथ ही न्यायाधीशों की बाल समिती के निर्देशानुसार इन बच्चों की देखरेख और पालन-पोषण का काम करनेवाली संस्थाओं द्वारा इन बच्चों को उनके न्यायिक व संवैधानिक अधिकार प्रदान किये जायेंगे.

ऐसे लगाया गया बच्चों का पता

जिलाधीश के निर्देशानुसार प्रत्येक गांव में ग्राम समिती तथा अंगनवाडी सेविकाओं द्वारा घर-घर जाकर भेंट देते हुए 50 वर्ष से अधिक आयुवाले व्यक्तियों की मृत्यु के संदर्भ में जानकारी जमा की गई. जिसके बाद संबंधित परिवारों से बालकल्याण अधिकारी कार्यालय द्वारा संपर्क करते हुए उस परिवार में रहनेवाले सभी बच्चे फिलहाल सुरक्षित है अथवा नहीं तथा उनकी देखभाल कौन कर रहा है, इसके बारे में जानकारी हासिल की. साथ ही जिन बच्चों की देखभाल के लिए कोई भी उपलब्ध नहीं है, उन बच्चों को बाल संगोपन गृह में रखा जा रहा है.

प्रति माह दस हजार रूपयों की सहायता

कोविड संक्रमण की वजह से जिन बच्चों के माता या पिता अथवा दोनों की मौत हो गई है, ऐसे बच्चों को सरकार की ओर से प्रति माह 1 हजार 100 रूपये की आर्थिक मदद दी जायेगी और यह सहायता बच्चों की आयु 18 वर्ष पूर्ण होने तक मिलती रहेगी. इस हेतु मृत अभिभावकों का मृत्यु प्रमाणपत्र, बच्चों का निवासी प्रमाणपत्र, छायाचित्र, आधारकार्ड, तहसीलदार का प्रमाणपत्र व बैंक खाता क्रमांक आदि प्रस्तुत करना होगा. हालांकि इस समय कोविड संक्रमण काल के दौरान अपना मातृ-पितृ छत्र खो चुके सभी बच्चे अपने रिश्तेदारों के पास सुरक्षित बताये गये है. ऐसे में इसे लेकर प्रस्ताव बाद में तैयार किया जायेगा, ऐसी जानकारी दी गई है.

  • कोविड संक्रमण की वजह से 51 बच्चे अपने अभिभावकोें को खो चुके है. टास्क फोर्स द्वारा इन बच्चों की खोज की गई है. साथ ही इन बच्चों के यथायोग्य संगोपन की जिम्मेदारी भी उठायी जायेगी.
    – जिलाधीश शैलेश नवाल
  • – माता-पिता खो देनेवाले बच्चे – 3
    – माता खो चुके बच्चे – 6
    – पिता खो चुके बच्चे – 41

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