अमरावती

शहर में मोबाईल से मेडिकलवालों तक पहुंच रहा कोरोना

मोबाईल पर दिखाई जा रही डॉक्टरों की पुरानी पर्चियां

प्रतिनिधि/दि.२७ अमरावती – इस समय शहर में हर ओर कोरोना के संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है. जिसके चलते लोगबाग सर्दी, खांसी व बूखार जैसी बीमारियों से पीडित होने के बावजूद अपनी स्वास्थ जांच कराने हेतु निजी अस्पतालों व क्लिनिक में जाना टाल रहे है. जिसके चलते सभी निजी अस्पताल व क्लिनिक खाली पडे नजर आ रहे है. वहीं दूसरी ओर शहर की सभी मेडिकल दूकानों में ग्राहकों की जबर्दस्त भीडभाड है. यह दोनों दृश्य अपने आप में विरोधाभासी कहे जा सकते है. इस संदर्भ में पडताल करने पर पता चला कि, सर्दी, खांसी व बूखार सहित अन्य बीमारियों से पीडित लोगबाग अपने पास मौजूद डॉक्टरों की पूरानी पर्चियों का सहारा लेकर मेडिकल दूकानों से दवाईयां प्राप्त कर रहे है. वहीं कई लोगों ने इन पूरानी पर्चियों के फोटो अपने मोबाईल कैमरे से खींच रखी है और मेडिकल शॉप में सोशल डिस्टंसिंग का पालन करने के नाम पर मेडिकल ग्राहकों द्वारा मेडिकलवालों को अपने मोबाईल हैण्डसेट थमाये जाते है, लेकिन यहीं मोबाईल हैण्डसेट अब कोरोना संक्रमण को फैलाने में कारगर साबित हो रहे है. जिसके चलते कई मेडिकल दूकानों में काम करनेवाले लोगबाग कोरोना संक्रमण का शिकार हो रहे है. यहां यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि, इस तरह डॉक्टरों की पुरानी पर्चियों के जरिये दवाईयों की बिक्री करना भी एक तरह से नियमबाह्य व गैरकानूनी ‘प्रैक्टिस‘ है, कींतु इन दिनों शहर में यह ‘प्रैक्टिस‘ जमकर चल रही है. जिसकी ओर औषध प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है. ज्ञात रहे कि, सर्दी, खांसी जैसी बीमारियों के लिए दिए जानेवाले कई कफसीरप का कुछ लोगोें द्वारा नशे के लिए भी प्रयोग किया जाता है. लॉकडाउन काल के दौरान लंबे समय तक अमरावती शहर में देशी-विदेशी शराब की दूकाने बंद थी. साथ ही इस समय प्रत्येक शनिवार व रविवार को जनता कफ्र्यू के दौरान शराब की दूकानों को बंद रखा जा रहा है. ऐसे में कई लोगोें द्वारा मेडिकल दूकानों से कफसीरप प्राप्त कर अपने नशे की तलब को दूर किया जा रहा है. * बगैर पर्ची दवा बिक्री पर प्रशासन का ध्यान नहीं है यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, शहर में जहां एक ओर बडे धडल्ले के साथ बिना डॉक्टरों की पर्ची के दवाईयों की बिक्री हो रही है. वहीं दूसरी ओर औषधी प्रशासन विभाग द्वारा ऐसे मामलों में कार्रवाई करने को लेकर काफी कोताही बरती हा रहीं है. शहर में अब तक इस तरह के इक्का-दूक्का मामलों में ही कार्रवाई हुई है. ऐसे में यह बेहद जरूरी हो गया है कि, ऐसी गलत प्रैक्टिस पर समय रहते अंकूश लगाया जाये.

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