कोरोना काल में भी बच्चे अपने माता-पिता को भूले कल हात में फोडे की तरह पालने वाले वृध्दाश्रम में
प्रतिनिधि/ दि.१५ अमरावती – कोरोना महामारी ने पूरे देशभर में कहर बरसा रखा है. ऐसी स्थिति में भी जो माता-पिता अपने हथेली की तरह पालते थे. काम के चक्कर में यहां वहां भटककर जैसे तेैस मजदूरी कमाने के बाद अपने बेटे की पेट की आग बुझाते थे. ऐसे अपने पूरे जीवन का बलिदान बच्चों के खातीर करने वाले वृध्द माता-पिता बच्चों को ही भारी लगने लगे है अब वे अपना जीवन वृध्दाश्रम में बीता रहे है. कोरोना वायरस की महामारी के वक्त भी औलाद को माता-पिता की याद नहीं आयी, ऐसी बिकट स्थिति में बच्चे उन्हें घर नहीं ले गए इस बात का दुख वृध्द माता-पिता ने नम आंखों से व्यक्त किया. * माता-पिता के लिए दरवाजा बंद कोरोना के कारण पूरे देशभर में लॉकडाउन शुरु है. कोरोना से बचने के लिए हर कोई संभव उपाय योजना कर रहा है. शिक्षा, नौकरी, व्यवसाय, घरेलु विवाद के कारण कुछ लोग अपने माता-पिता को वृध्दाश्रम में छोड देते है. सबसे ज्यादा बात यह है कि कोरोना जैसी महामारी के वक्त भी उन बच्चों ने अपने माता-पिता के लिए घर के दरवाजे नहीं खोले * हम अब यही रहेंगे कोरोना वायरस का खतरा ६० वर्ष से अधिक आयु के लोगों को ज्यादा है, ऐसी स्थिति में वृध्द लोगों का ध्यान रखना बहुत जरुरी है मगर वृध्दाश्रम में माता-पिता को छोडकर उनके बच्चे बेफिक्र है. ऐसी बिकट स्थिति में उन्हें घर लाना चाहिए, ऐसा महसूस नहीं होता. इस वजह से वृध्दाश्रम में रहने वाले वृध्द माता-पिता ने अब घर नहीं लौटने का निर्णय लिया है. * कोरोना के कारण अन्य लोगों से भी दूरी जीन बच्चों के लिए माता-पिता ने अपना पूरा जीवन नौछावर कर दिया, उन बच्चों ने माता-पिता के अंतिम दिनों में आधार लेने की बजाय वृध्दाश्रम का रास्ता दिखाया. जीवन में सूख हो या दुख वृध्दाश्रम की चार दीवार में रहने वाले वृध्द अपने आप को समझा ले रहे है. वृध्दाश्रम में भेंट देकर वहां के माता-पिता का ख्याल रखने वाले लोग भी है जो हमेशा वहां भेंट देकर कुछ न कुछ करते रहते है परंतु कोरोना की वजह से अब वे लोगों का भी आना बंद हो गया है. वृध्दाश्रम में रहने वाले वृध्द केवल आपस में एक-दूसरे का दुख बांटकर जीवन यापन कर रहे है.