अमरावती

मनपा क्षेत्र में कोरोना वैक्सीन का काम बेहतरीन

टीके का एक भी डोज नहीं हो रहा बेकार

अमरावती/दि.25 – कोरोना टीकाकरण अभियान को वैक्सीन की कमी के कारण गति नहीं मिल पा रही है. टीकाकरण केंद्रों से लोगों को निराश होकर लौटना पड़ रहा है. ऐसे में टीके के एक-एक डोज का सदुपयोग करना जरुरी हो गया है. अमरावती जिले में अब भी टीके की बर्बादी का प्रमाण 4 प्रतिशत से अधिक है. लेकिन मनपा क्षेत्र में बेहतरीन काम हुआ है. यहां पर वेक्सीन की एक भी डोज बेकार नहीं हुई है.
जानकारी के अनुसार अमरावती मनपा को अब तक वैक्सीन के कुल 1 लाख 47 हजार 300 खुराक जिला प्रशासन व्दारा उपलब्ध करायी गई है. इनमें से सोमवार की शाम तक कुल 1 लाख 45 हजार 600 नागरिकों को टीके लगाये जा चुके हैं. 1700 डोज मंगलवार के लिेय शेष है. इस तरह अमरावती में अब तक कुल 4 लाख 7 हजार टीके लगाये गये हैं. इसके लिये 4 लाख 23 हजार डोज का उपयोग किया गया है. इस तरह जिले के ग्रामीण क्षेत्र में करीब 4 प्रतिशत डोज निरस्त हुए हैं. शहर व ग्रामीण क्षेत्र के आंकड़े एकत्रित तौर पर देखे जाने पर टीकों की बर्बादी का प्रमाण 4 प्रतिशत के आसपास है. संपूर्ण आंकड़े बेहतर इसलिए नजर आ रहे हैं, क्योंकि शहरी क्षेत्र में टीके के बर्बाद होने का मामला नहीं देखा गया है.
मनपा स्वास्थ्य विभाग व्दारा दी गई जानकारी के अनुसार रोजाना जिन 11 केंद्रों पर टीके दिये जाते हैं, वहां यह बात सुनिश्चित की जाती है कि वॉयल खुलने से पहले 10 लाभार्थी कतार में होने चाहिए. इससे कम की स्थिति में वॉयल को नहीं खोला जाता. इससे तय समय में वॉयल का उपयोग होता है और टीके को बर्बाद होने से बचाया जाता है.

इस तरह होता है नियोजन

शहर में कुल 11 केंद्र है. इनमें से चार केंद्रों पर टीका उपलब्ध रहने की स्थिति में 300 लाभार्थियों को डोज दिये जाते हैं. जबकि 7 केंद्रों पर प्रत्येकी 200 लाभार्थियों को टीका लगाया जाता है. इस दौरान विशेष परिचारिकाओं को ही टीका लगाने की अनुमति दी जाती है. जिन नर्सों को पूरी तरह जानकारी नहीं है, उन्हें टीकाकरण से दूर रखा जा रहा है. इससे भी टीके का संपूर्ण उपयोग करने में मदद मिल रही है.

अमरावती मनपा की स्थिति बेहतर

टीके के उपयोग को लेकर अमरावती मनपा की स्थिति विदर्भ के अन्य शहरों से काफी बेहतर है. वहीं राज्य में भी अमरावती मनपा तीसरे स्थान पर है. मनपा प्रशासन व्दारा प्रत्येक केंद्र पर एक वक्त में केवल 100 डोज भेेजे जाते हैं. 100 डोज खत्म होने के बाद ही अगली खेप पहुंचाई जाती है ताकि प्रत्येक डोज का हिसाब रखा जा सके.

सब कुछ परिचारिकाओं की सतर्कता पर निर्भर

टीके की एक-एक डोज को सुरक्षित रखने में हमें जो सफलता प्राप्त हुई है, उसमें टीका लगाने वाली परिचारिकाओं की भूमिका काफी अहम है. टीका देते समय छोटी सी गलती भी डोज को बर्बाद होने का कारण बन जाती है. ऐसे में सब कुछ परिचारिकाओं की सतर्कता पर निर्भर करता है. और हमारी परिचारिकाओं ने इस बात को सुनिश्चित भी किया है.
– डॉ. विशाल काले, मनपा स्वास्थ्य अधिकारी

Related Articles

Back to top button