अमरावती

केवल 400 रूपये रोज पर काम कर रहे कोरोना योध्दा

ठेका नियुक्त कर्मियों को बेहद कम वेतन में करना पड रहा काम

  • संक्रमित मरीजों सहित संक्रमण की वजह से मृत शवों को संभालने का करते है काम

अमरावती/दि.27 – जिला सरकारी अस्पताल तथा सुपर स्पेशालीटी अस्पताल में कोविड संक्रमणवाले हालात को देखते हुए ठेका पध्दति पर 225 वॉर्ड बॉय की भरती की गई है. जिन्हें सप्ताह के सातों दिन रोजाना करीब 6 से 7 घंटे का काम करना होता है. जिस समय कोविड संक्रमण के भय और अपनी जान के खतरे को देखते हुए रक्त संबंध रहनेवाले रिश्तेदार संक्रमितों से दूर भाग रहे है. वहीं दूसरी ओर ठेके पर नियुक्त वॉर्डबॉय द्वारा पूरे समर्पित भाव के साथ कोविड संक्रमित मरीजों का ख्याल रखा जा रहा है. कोविड संक्रमित मरीजों की समर्पित भाव से सेवा करने के साथ-साथ संक्रमण की वजह से मौत का शिकार होनेवाले मरीजों के शवों को पैक करने और उन्हें अंतिम संस्कार करने हेतु ले जाने का काम भी इन्हीं ठेका कर्मियों द्वारा किया जाता है. जिसकी ऐवज में उन्हें रोजाना केवल 400 रूपये का मानधन अदा किया जाता है, जो महंगाई के इस दौरान में बेहद अत्यल्प है.
बता दें कि, इस समय कोविड संक्रमण की वजह से सभी कोविड अस्पतालों में अच्छीखासी संख्या में मरीज भरती है और इस संसर्गजन्य बीमारी को नियंत्रित करने हेतु सरकार एवं प्रशासन द्वारा विभिन्न उपाय योजनाओं पर अमल किया जा रहा है. मास्क, सैनिटाईजर व सोशल डिस्टंसिंग के नियमों का पालन नहीं करने पर हजारों लोगों के कोविड संक्रमित होने के उदाहरण हमारी आंखों के सामने है. कोविड संक्रमण की चपेट में आने के बाद खून का रिश्ता रहनेवाले परिजन एवं रिश्तेदार भी कोविड संक्रमित मरीज के पास जाने से घबराते है. ऐसे में इन मरीजों की देखभाल करने की पूरी जिम्मेदारी डॉक्टरों, नर्स व वॉर्डबॉय पर होती है. इसमें भी वॉर्डबॉय ही कोविड संक्रमित मरीजों के सबसे अधिक संपर्क में आते है. मरीजों को भोजन कराना, ऑक्सिजन लगाना, वॉर्ड की साफसफाई करना, यदि किसी मरीज की मौत हो जाती है, तो उसके शव को पलंग से उठाकर बॉडबैग में पैक करना, साथ ही शव को रूग्णवाहिका के जरिये अंतिम संस्कार हेतु ले जाना आदि सभी काम वॉर्डबॉय द्वारा ही किये जाते है. इस भयंकर महामारी के दौरान अपने प्राणों की फिक्र किये बिना इन वॉर्डबॉय द्वारा कोविड संक्रमित मरीजों की देखभाल और सेवा की जा रही है. इस दौरान उन्हें 6 से 7 घंटे पीपीई किट पहनकर रहना पडता है. इस अवधि के दौरान वे कुछ खा-पी नहीं सकते. साथ ही दीर्घशंका व लघुशंका से भी निवृत्त नहीं हो सकते. किंतु इतना सबकुछ करने के बावजूद उन्हें इसकी ऐवज में बेहद अत्यल्प वेतन मिलता है. साथ ही यदि इस दौरान उन्हें कुछ हो गया, तो परिवार की जिम्मेदारी कौन उठायेगा, यह भी अपने आप में बडी चिंता का विषय है. किंतु बावजूद इसके अपना और अपने परिवार का पेट पालन हेतु भी यह काम कर रहे है. इसमें भी यह विशेष उल्लेखनीय है कि, ठेके पर नियुक्त इन कर्मचारियों की नियुक्ति तो 12 हजार रूपये प्रति माह के वेतन पर हुई, किंतु हकीकत में उनके हाथ में केवल 11 हजार रूपये ही आते है. इसकी वजह से भी वॉर्डबॉय का काम करनेवाले कर्मचारियों में काफी हद तक नाराजगी है और वे खुद को सेवा में स्थायी तौर पर शामिल किये जाने की मांग कर रहे है.

समूचित वेतन और स्थायी नौकरी दी जाये

– कम वेतन में जान की बाजी लगाकर काम करना पडता है. अत: सरकार ने वेतन बढाना चाहिए और पूरा वेतन अदा करना चाहिए.
– सप्ताह में एक बार भी अवकाश नहीं दिया जाता और रोजाना 6 से 7 घंटे काम करना पडता है. जिससे अच्छी-खासी परेशानी और थकान का सामना करना पडता है.
– अपने जान की बाजी लगाकर संक्रमण काल के दौरान काम करनेवाले स्वास्थ्य कर्मियों को किसी भी तरह की कोई सुरक्षा नहीं दी गई है. ऐसे में यदि उनकी जान जाती है, तो इसकी जवाबदारी कौन लेगा, यह सबसे बडा सवाल है.
– संक्रमण काल के दौरान समर्पित भाव से काम करनेवाले स्वास्थ्य कर्मियों को सरकार द्वारा उनकी सेवा को देखते हुए स्थायी तौर पर सेवा में शामिल किया जाना चाहिए.

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