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चलती के दौर में मनमाना कारोबार रहा भ्रष्टाचारी जवाहरलाल दुबे का

राज्य के सचिव को दिया करता था अनेक महंगे तोहफे

* एक ‘प्रतिष्ठित’ अखबार के कार्यालय का संपूर्ण फर्निचर बनाया था
अमरावती/दि. 9 – बेनामी संपत्ति में दोषी करार दिए गए अमरावती जिला परिषद के भूतपूर्व सहायक अभियंता जवाहरलाल दुबे और उसके समस्त परिवार का चलती के दौर में मनमाना कारोबार था. भ्रष्टाचारी इस अधिकारी के साथ कुछ अमरावती के अखबार खडे हो गए थे. राजकमल चौक स्थित एक ‘प्रतिष्ठित’ अखबार के कार्यालय का भी दुबे ने फर्निचर बनाकर दिया था. साथ ही राज्य के सचिव सहित मुंबई के अधिकारियों को यह भ्रष्टाचारी अनेक महंगे तोहफे देता था. लेकिन अब वर्तमान में यही अधिकारी अब अपने बचाव के लिए भागता फिर रहा है.
दो दिन पूर्व ही बेनामी संपत्ति मामले में स्थानीय जिला न्यायाधीश (3) की अदालत में जिला परिषद के भूतपूर्व सहायक अभियंता जवाहरलाल श्रीलाल दुबे सहित उसकी पत्नी मंगलाबाई दुबे, विशाल दुबे और विश्वास दुबे सहित उनके यहां काम करनेवाले गिरीश पाटिल, सारिका चोपडे और महेंद्र गुल्हाने को सश्रम कारावास की सजा सुनाई. साथ ही न्यायालय ने अपने फैसले में दुबे परिवार को 50 लाख रुपए न्यायालय में दो माह के भीतर जमा करने के आदेश दिए. अप्रैल 1973 से जुलाई 2001 तक इस भ्रष्टाचारी अधिकारी ने सरकारी नौकरी पर रहते करोडो रुपए की बेनामी संपत्ति जुटा ली थी. एंटीकरप्शन ब्यूरो ने शिकायत मिलने के बाद और राज्य शासन के आदेश के बाद इस बेनामी संपत्ति की गहन जांच की और जुलाई 2005 में चार्जशीट अदालत में दायर की थी. चलती के दौर में जवाहरलाल दुबे राज्य के सचिव को कार गिफ्ट किया करता था. साथ ही उस समय इस भ्रष्टाचारी के साथ अमरावती के कुछ अखबार खडे हो गए थे. यहां तक की राजकमल चौक स्थित एक प्रतिष्ठित अखबार के कार्यालय का फर्निचर भी इस भ्रष्टाचारी ने खडा कर दिया था. शेल्टर करनेवाले ऐसे प्रतिष्ठित अखबार गर्त में जा गिरे. 25 साल बाद भी ऐसे अखबार शहर में अस्तित्व की लडाई लड रहे है. ऐसे अखबारो को हाथ में रख अधिकारियों के जरिए इस भ्रष्टाचारी ने उस समय अमरावती मंडल के संपादक के खिलाफ एक साथ 7 मामले दर्ज करवाए थे. लेकिन आखिरकार ऐसे भ्रष्टाचारी अधिकारी को अपने पापो की सजा भुगतनी पड रही है. अमरावती से मुंबई तक सुख्यात व कुख्यात जवाहरलाल दुबे अमरावती मंडल से लडाई के बाद अपनी पहचान के लिए संघर्षरत है. वर्तमान में अब उसके पास कुछ नहीं रहा. अमरावती मंडल हमेशा किसी के साथ नहीं रहा है. लेकिन जवाहरलाल दुबे और इन जैसे भ्रष्टाचारी जो अपनेआप को भगवान मानने लगे थे वह हमसे लडाई के बाद आज नेस्तनाबूत हो गए है. साथ ही 25 साल बाद भी शेल्टर करनेवाले वह प्रतिष्ठित अखबार वर्तमान में शहर में अस्तित्व की लडाई लड रहे है. 25 वर्ष पूर्व हमारे संपादक को एक ही समय कई अपराध करने का आरोप लगाकर षडयंत्र रचनेवाले जवाहरलाल दुबे से हमारे प्रतिस्पर्धी अखबार ने भी लाखो रुपए का मलिदा खाया. दुबे की पैसो से ही होटल खडे किए. आज यही जवाहरलाल दुबे अब अपनी जमानत करने के लिए उपरी कोर्ट में दस्तक लगाएगा. लेकिन हमारी लडाई इसी तरह जारी रहेगी.

* एक भैंस के दूध की वार्षिक आय बताता था 90 हजार रुपए
भ्रष्टाचारी जवाहरलाल दुबे ननीहाल और ससुराल का आयकर खुद ही अदा करता था और प्रतिवर्ष अपने यहां पालतु भैंस के दूध की आय 90 हजार रुपए बताता था. पद पर रहते इस भ्रष्टाचारी ने मनमाने तरिके से कामकाज चलाया और अनियमितता के चलते बेनामी संपत्ति जमा ली थी. लेकिन भ्रष्टाचारियों का अंत जैसा होता है, वैसा ही जवाहरलाल दुबे का हुआ है.

* पंचायत राज समिति को दिए जाते थे लाखो के गिफ्ट
अमरावती जिला परिषद के सिंचन विभाग में कार्यरत रहते जवाहरलाल दुबे आलाअफसरो को हथेली पर रखता था. राज्य के सचिव को वह कार गिफ्ट करता था. पंचायत राज समिति में आए लोगों को लाखो के गिफ्ट दिए जाते थे. लेकिन अब इस जवाहर दुबे के पास कुछ नहीं है. अमरावती शहर के नांदगांव पेठ रोड पर केजीएन, एसएम वर्ल्ड, इर्विन चौक स्थित भामकर कॉम्प्लेक्स का एमएस कम्प्यूटर आदि सहित जो बेनामी संपत्ति थी वह अब उसके पास कुछ नहीं रही.

* घर की प्रिंटिंग प्रेस से बनाए जाते थे बिल
चलती के दौर में जवाहरलाल दुबे का रहन-सहन काफी हाई प्रोफाईल था. एक समय था जब महावीर नगर स्थित इसके निवासस्थान पर स्विमिंग टैंक और प्रिंटिंग प्रेस हुआ करती थी. वहीं से बिल बनाए जाते थे और बिल निकालकर बेनामी संपत्ति जुटाई जाती थी.

* जिला परिषद घोटाले का मामला है न्यायप्रविष्ट
भ्रष्टाचारी जवाहरलाल दुबे को बेनामी संपत्ति के मामले में न्यायालय में दोषी करार कर सजा सुनाई है. लेकिन अमरावती जिला परिषद के करोडो रुपए के घोटाले मामले का प्रकरण अभी भी न्यायप्रविष्ठ है. 4 करोड 43 लाख 30 हजार 512 रुपए के इस घोटाला प्रकरण पर भी सभी का ध्यान केंद्रित है. देखना है, इस प्रकरण में इस भ्रष्टाचारी का क्या होता है.

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