अमरावती

भ्रष्टाचार व विवादों में घिरी रही मनपा, कोरोना ने बचायी लाज

गुजरते वर्ष 2020 का लेखा-जोखा

  • आर्थिक तंगी के बावजूद मनपा ने स्वास्थ्य क्षेत्र में किया शानदार काम

अमरावती/दि.31 – स्थानीय महानगरपालिका के लिए वर्ष 2020 कई कडवी-मीठी यादों व अच्छे-बुरे अनुभवों से भरा रहा. इस वर्ष में जहां एक ओर भ्रष्टाचार के मामलों और विवादों के चलते मनपा की प्रतिमा मलीन हुई, वहीं दूसरी ओर कोरोना काल के दौरान किये गये कामोें की वजह से मनपा को काफी सम्मान भी मिला. जारी वर्ष में जहां एक ओर 2.5 करोड रूपयों के निजी शौचालय घोटाले ने मनपा की तिजोरी को रिक्त किया. वहीं दूसरी ओर मनपा प्रशासन एवं पदाधिकारियों के बीच पूरे सालभर विवाद होते रहे. साथ ही अंतिम चार माह के दौरान तो मनपा अधिकारियोें व पदाधिकारियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का ही दौर चलता रहा और पूरा समय इसी में चला गया.

शौचालय घोटाला मामला

स्वच्छ भारत अभियान अंतर्गत शौचालयों के निर्माण को लेकर मनपा द्वारा बेहतरीन काम करने का दावा किया जा रहा था. लेकिन सोमवार 14 जून 2020 को आयुक्त की टेबल पर पहुंची फर्जी बिलोंवाली तीन फाईलों की वजह से यह दावा फुस्स साबित हुआ. यह फर्जी बिल करीब 74 लाख रूपये के थे. जिनकी जांच करने पर पाया गया कि, इन फर्जी बिलों पर कई मनपा अधिकारियों के हस्ताक्षर व मुहर भी मौजूद है. ऐसे में समूचे मनपा क्षेत्र में जबर्दस्त खलबली व्याप्त हो गयी. मनपा आयुक्त की समयसूचकता के चलते मनपा करीब 74 लाख रूपये के नुकसान से बच गयी. किंतु इस मामले की जांच में पता चला कि, इसी तरीके से इससे पहले मनपा की तिजोरी से 2 करोड 59 लाख रूपये साफ कर लिये गये है. ठेका कर्मियों और ठेकेदारों द्वारा आपसी मिलीभगत के साथ किये गये इस घोटाले को लेकर मनपा द्वारा पुलिस में शिकायत दर्ज करायी गयी थी. पश्चात अब तक 10 लोगोें को गिरफ्तार किया गया. हालांकि अब सभी आरोपी जमानत पर रिहा किये जा चुके है.

नियुक्ती को लेकर हुआ विवाद

वर्ष 1983 में अस्तित्व में आयी अमरावती मनपा को जारी वर्ष में सबसे बडे विवाद का सामना करना पडा, जब उपायुक्त (सामान्य) पद पर एक स्थानीय अधिकारी की नियुक्ती को लेकर मनपा अधिकारी व पदाधिकारी एक-दूसरे के खिलाफ खडे हो गये. इस पद हेतु महापौर द्वारा महेश देशमुख के नाम की सिफारिश की गई थी. जिसे निगमायुक्त रोडे ने अपने विशेष अधिकार के अंतर्गत नकार दिया था और सिस्टीम मैनेजर अमित डेंगरे को इस पद का प्रभार दिया था. इस मामले में सरकार द्वारा आमसभा के प्रस्ताव को अस्थायी रूप से निलंबित किया गया है और दोनोें ही पक्षों को अभिवेदन प्रस्तुत करने हेतु कहा गया है.

अधिकारियोें की जवाबदेही तय

मनपा में हुए कई घोटालों में अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लग पाया है. किंतु पहली बार मनपा आयुक्त ने वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर कनिष्ठ कर्मचारियों तक हर एक की जवाबदारी तय की है. जिसकी वजह से अब कोई भी यह मेरा काम नहीं है, कहकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड सकता.

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