* ग्रामीण इलाकों के पालक योजना बाबत अनभिज्ञ
अमरावती/दि.22– राज्य के शालेय शिक्षण विभाग की तरफ से ग्रामीण व बहुल इलाकों के विद्यार्थियों ने शिक्षा लेनी चाहिए. इसके लिए विविध उपक्रम चलाए जा रहे हैं. कक्षा पहली से दसवीं के विद्यार्थियों को नि:शुल्क शिक्षण दिया जाता है. लेकिन अनेक पालक अनभिज्ञ रहने से नि:शुल्क शिक्षण की तरफ अनदेखी दिखाई देती है. इस कारण पाल्यों के शिक्षा का खर्च बढा है.
गांव से कुछ दूरी पर स्थित शहर व बडे गांव के अंग्रेजी माध्यम की शाला में शुल्क अदा कर अपने पाल्यों को पढाने का प्रयास वर्तमान में पालक कर रहे हैं. ईबीसी विद्यार्थियों को शिक्षा में सहूलीयत है. लेकिन कुछ पालक इस ओर अनदेखी करते हैं. नि:शुल्क शिक्षण की तरफ प्रवेश नहीं तो शुल्क लेकर प्रवेश की जाने वाली अंग्रेजी माध्यम की कॉनवेंट में सीटें फुल हो जाती है. कुल मिलाकर शिक्षा बाबत विदारत स्थिति है. ‘प्रवेश फुल’ ऐसे फलक भी चर्चित शालाओं के प्रवेशव्दार पर लगते है. शैक्षणिक सुविधा मिलने के लिए कागजपत्र समय पर उपलब्ध हुए तो, यह सुविधा मिल सकती है. ईबीसी फार्म भरकर कक्षा पहली से दसवीं के विद्यार्थियों को नि:शुल्क शिक्षा मिलती है. शासन का शाला का शुल्क माफ होता है, लेकिन अनेक पालक ईबीसी सहूलियत का फार्म भरते दिखाई नहीं देते. शिक्षण शुल्क में सहूलीयत मिलने के लिए ईबीसी फार्म भरना पडता है. पिछडा वर्गीयों को अन्य भी फार्म भरने पडते हैं. जिले में करीबन ढाई हजार शाला है. लेकिन शुल्क माफी की प्रस्ताव की संख्या 250 से अधिक है.
* सूचना और प्रस्ताव मांगे
शैक्षणिक योजना संदर्भ में मुख्याध्यापक, केंद्र प्रमुख, शिक्षण विस्तार अधिकारी की बैठक में चर्चा की जाती है. शिक्षा शुल्क सहूलीयत, ईबीसी सुविधा बाबत जानकारी व प्रस्ताव प्रस्तुत करने की सूचना दी जाती है. पालकों की तरफ से आवश्यक दस्तावेज समय पर उपलब्ध न होने से विलंब होता है.
* शाला प्रस्ताव क्यों नहीं भेजता?
शिक्षण में सहूलीयत के लिए प्रस्ताव पंचायत समिति और जिला परिषद कार्यालय में भेजने की तरफ अनदेखी होती है. शाला स्तर से इसमें विलंब होता है.
* पहली से दसवीं के विद्यार्थी एक लाख
अमरावती जिले में सभी शालाओं को मिलाकर 1 लाख से अधिक विद्यार्थी प्रवेशित है. इसमें से शिक्षा शुल्क माफी का आवेदन प्रस्तुत करने वाले विद्यार्थियों की संख्या करीबन 10 प्रतिशत रहने की जानकारी है.
* इस कारण नि:शुल्क शिक्षा की अनदेखी
शासन की योजना के तहत मिलने वाला शुल्क काफी कम है. इस कारण अनेक पालक आवेदन नहीं करते. प्रस्ताव मंजूर हुआ तो भी शासन की तरफ से प्रशासन के पास निधि समय पर उपलब्ध होने में विलंब होता है. पिछले 10-12 साल से शुल्क माफी की रकम उतनी ही है. इस कारण आवेदन प्रस्तुत करने बाबत उदासीनता दिखाई देती है. योजना को लेकर जनजागरण आवश्यक है.