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बुआई से बिनने तक का भी खर्चा निकलने की उम्मीदें कम
चांदूर बाजार प्रतिनिधि/दि.३० – तहसील में प्रति वर्ष पारंपारिक पध्दति से सोयाबीन का उत्पादन करने वाले किसानों ने इस वर्ष बडे पैेमाने पर कपास का उत्पादन किया, लेकिन अब खूले बाजार में कपास के भाव गिरने से बुआई से लेकर बिनने तक का खर्चा निकलने की उम्मीदें कम नजर आने से किसान उत्पादक चिंतित नजर आ रहे है. वहीं निजी बाजार में कपास को प्रति क्विंटल 5200 रुपए भाव मिल रहा है.
यहां बता दें कि इस वर्ष कपास के दामों में इजाफा होगा, यहीं उम्मीद अनेक किसानों को थी. जिसके चलते किसानों ने अपने घर में कपास संग्रहीत रखा. जरुरतमंद किसानों ने जो दाम मिले उसी भाव में कपास की बिक्री शुरु की है. चांदूर बाजार तहसील यह बेहतर कपास के लिए जानी जाती है. इस क्षेत्र में कपास लंबे धागे का उगता है. बीते वर्ष सोयाबीन हाथ से निकल जाने के बाद इस वर्ष कपास के बुआई क्षेत्र में बडे पैमाने पर इजाफा हुआ है, लेकिन इस वर्ष सभी फसलों पर शुरुआती दिनों में अनेक बीमारियाेंं ने आक्रमण कर दिया. कपास फसल पर भी बीमारी का प्रकोप दिखाई दिया. कपास को बुआई से लेकर बिनने तक किसानों को भारी खर्च करना पडा फिर भी भाव 5 हजार 250 रुपए स्थीर रहने से कपास उत्पादक किसानों की चिंताएं बढ गई है. सालभर की उम्मीद पर भी पानी फिरने की संभावना नजर आ रही है.
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आर्थिक नीति बिगडी
कपास को औसतन 5 हजार 325 रुपए वहीं न्यूनतम 5 हजार 250 रुपए प्रति क्विंटल भाव मिला है. तहसील के किसानों ने चार से पांच वर्षों में बडे पैामने पर सोयाबीन का क्षेत्र बढाया है, लेकिन फसलों को योग्य दर नहीं मिल रहा था, इसलिए किसानों ने कपास का उत्पादन बढाया. बीते वर्ष 5 हजार 500 रुपए से अधिक का भाव कपास को मिला. इसके बाद भाव 6 हजार 500 तक पहुंच गया, लेकिन अब बाजार में कपास के भाव गिर गए है. इस वर्ष कपास चुनने के लिए मजदूरों ने भी अपने दर बढाने से कपास उत्पादक किसानों को उत्पादन कम व खर्च ज्यादा काना पडने से खेतीबाडी का बजट गडबडा गया है.