अमरावती

कपास के दाम में ‘सेबी’ के कारण गिरावट

वायदा बाजार के सौदों पर पाबंदी

अमरावती/दि.23- ‘सेबी’ व्दारा वायदा बाजार से कपास को न छोडते हुए 1 जनवरी 2023 और उसके बाद के सौदों पर पाबंदी लगा दी. इस कारण संदर्भ मूल्य मिलना बंद होने से देश के कपास उत्पादकों सहित व्यापारियों में संभ्रम निर्माण हो गया. दूसरी तरफ कपास के दाम में गिरावट आने से किसानों को प्रतिक्विंटल 600 से 800 रुपए का नुकसान उठाना पड रहा हैं.
देश के कपडा उद्योग को कम दाम में कपास चाहिए रहने से उन्होंने कपास के दाम नियंत्रण में लाने के लिए कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के माध्यम से केंद्र सरकार पर दबाव निर्माण किया था. इसके लिए कपास और सूत की किल्लत रहने का हवाला दिया गया था. इसी दबाव के कारण सितंबर व अक्तूबर 2022 के कार्यकाल में कपास पर 11 प्रतिशत आयत शुल्क रद्द करने का निर्णय केंद्र सरकार ने लिया था. उस अवधि में कपडा उद्योजकों ने 20 लाख कपास और सूत का आयात कर माल जमा किया. इस माल के कारण कपास के दाम शुरुआत से दबाव में रहे. जनवरी से मूल्यवृद्धि होने के संकेत मिलते ही ‘सेबी’ ने कपास के जनवरी और उसके बाद के सौदों पर पाबंदी लगा दी. इस कारण संदर्भ कीमत मिलना और वायदा ‘रोल ओवर’ बंद हो गया. भविष्य के दाम बाबत अनुमान लगाना असंभव हो गया. इस कारण कपास के दाम प्रति क्विंटल 600 से 800 रुपए कम हो गए.

* पाबंदी न लगाते बदलाव करना संभव
‘सेबी’ के मुंबई स्थित कार्यालय में 27 अगस्त 2022 को बैठक संपन्न हुई. वायदा बाजार में कुछ महत्व के बदलाव करना और इसके लिए 30 दिनों का समय लगेगा ऐसा इस बैठक में कहा गया. कपास के सौदों पर 1 जनवरी 2023 से पाबंदी लगाने का निर्णय भी लिया गया. पाबंदी न लगाते हुए महत्व के बदलाव सेबी को विशेष तिथि से लागू करते आ सकते थे.

* टेक्सटाइल व गारमेंट लॉबी का दबाव
पिछले सत्र में कपास प्रतिक्विंटल 9 हजार रुपए तक जाते ही टेक्सटाइल व गारमेंट लॉबी ने कपास के दाम कम करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव लाया. उसी समय सेबी ने कोई भी निर्णय नहीं लिया था. इस वर्ष इस सौदे पर पाबंदी लगाने का निर्णय लिया गया ऐसा विशेषज्ञों ने कहा.

* कृषि माल के वायदा पर पाबंदी लगाना गलत
कृषि माल के वायदा पर पाबंदी लगाना यह कृति सेबी के मुख्य उद्देश्यों को नुकसान पहुंचाने वाली है. सेबी व्दारा वायदा बाजार का संवर्धन और निवेश का संरक्षण करने के लिए नियमन करना चाहिए. पाबंदी नहीं लगाना चाहिए. केंद्र सरकार सेबी का इस्तेमाल कृषि माल का भाव गिराने के लिए कर रही है.
– ललीत बहाले,
अध्यक्ष शेतकरी संगठना महाराष्ट्र

 

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