अमरावती/दि. 31 – विदर्भ में बाजार में फिलहाल कपास को अधिक भाव मिल रहा है. सूत, कपडे को यूरोप, अमेरिका में अच्छी मांग होने से कपास की दर में वृध्दि हो रही है. विदर्भ के अनेक बाजार में कपास की दर प्रतिक्विंटल 9 हजार तक पहुंच गई है. परंतु कपास की आवक घट गई है.
इस बार शुरूआत से निजी बाजार में कपास को संतोषजनक भाव मिल रहा है. इस दौरान गुरूवार को शहर के निजी बाजार में कपास प्रतिक्विंटल 8 हजार 900 रूपये प्रतिक्विंटल से खरीदा गया है. निजी बाजार में कपास को मिली दर इस बार के सीजन में सर्वोच्च दर होने का कपास बाजार के सूत्रों ने बताया. इस बार भाव संतोषजनक होने पर भी कपास का उत्पादन अधिक प्रमाण में घटा है.
कपास यह विदर्भ के खरीफ की प्रमुख फसल है. इस साल खरीफ की शुरूआत में अति बारिश ने कपास को फटका बैठा है. बारिश के कारण कपास की फसल नहीं हो पाती परंतु अधिकांश क्षेेत्र में कपास पर बोंड इल्ली ने आक्रमण किया. जिसके कारण अनेक किसानों को पहली अथवा दूसरी बिनाई के बाद भी कपास निकालना पडा. अमरावती के निजी बाजार में हर दिन औसतन तीन से साढे तीन हजार क्विंटल की आवक शुरू है.
कपास को बाजार में पहली बार इतना अच्छा भाव मिल रहा है. इस भाव में और अधिक तेजी होने की संभावना है. प्रारंभ से ही कपास की दर अधिक होने से पहले दिन से किसानों को प्रति क्विंटल 7 हजार 300 रूपये कीमत दी गई है. दिवाली के बाद भाव अधिक होने से 8 हजार प्रति क्विं टल पर पहुंच गया था. इस दौरान सप्ताह के शुरूआत में इसकी कीमत अचानक बढ गई.
बेमौसम बारिश तथा बोंड इल्ली के प्रभाव के कारण उत्पादन को बडा फटका बैठा है. कॉटन एसोसिएशन ने इस बार 360 लाख टन का उत्पादन होगा, ऐसा अनुमान व्यक्त किया था. परंतु प्रत्यक्ष में 330 लाख टन तक भी यह उत्पादन नहीं हुआ. इसके अलावा देश की सूतगिरनी और कपडे उद्योग में कपास का उपयोग दिनोंदिन बढ़ रहा है.
उद्योग की बढी हुई मांग और कम आपूर्ति के कारण बाजार में कपास की दर में सुधारणा हुई. देश की सुतगिरनिया और कपड़े उद्योग के लिए कपास का उपयोग बढने से मांग हो रही हैे परंतु बाजार में आवक कम है. किसान अच्छी कीमत की अपेक्षा कम कपास बिक्री के लिए ला रहे है. ऐसी जानकारी विश्वसनीय सूत्रों से मिली.
ओमिक्रॉन के बढते प्रभाव के कारण आंतरराष्ट्रीय बाजार पेठ में कपास की मांग घटी थी तथा वैश्विक स्तर पर परिणाम स्थानीय स्तर पर सूतगिरणी पर ही हुआ था. यहां पर गिरनियों ने उत्पादन क्षमता कम की थी. जिसका परिणाम कपास के भाव पर हुआ था. परंतु अब कपास, रूई, सूत और सरकी के दर में विगत तीन दिन में आश्वासक वृध्दि दिख रही है.