कपास उत्पादक घाटे में, फसल पध्दती में कोई बदलाव नहीं
उत्पादन कम और खर्च ज्यादाः प्रतिक्विंटल 3200 से 2400 रुपये का नुकसान
अमरावती/दि.20– विगत खरीप हंगामी कपास के उत्पादन में बडी कमी आई है, तो खर्च में बढोत्तरी हुई है. कपास के उत्पादन खर्च प्रतिक्विंटल 10 हजार रुपये आए है तो उसकी किमत सात हजार रुपयों के आसपास मिली है. जिसके कारण किसानों को प्रतिक्विंटल 2400 से 3200 रुपये नुकसान सहन करना पडा है. नुकसान होने पर भी किसानो व्दारा फसल पध्दती न बदलते हुए फसल की पेरणी कायम रखी है.
पश्चिम विदर्भ यह प्रमुखता से कपास उत्पादक का पट्टा है. विशेषताः अमरावती व यवतमाल यह जिला कपास उत्पादक जिले के रुप में प्रसिध्द है. विगत हंगामी में अमरावती जिले में कपास की ढाई लाख हेक्टअर पर पेरणी की गई थी. विगत तीन वर्ष से कपास उत्पादन के औसत का आकडा गिरा है. इस भाग में भौगोलिक परिस्थिती व नैसर्गिंक वातावरण कपास के उत्पादन के लिए अनुकूल रहने से खरीप की खेती में कापास की बुआई को प्राधान्यता दी जाती है. कोरोना काल में कपास को मिले उच्चांकित दर बाद में मिले ही नहीं.
विगत दो हंगामी कपास को उच्चांकी दर नहीं मिले है. इस बार भी यही स्थिती नजर आ रही है. औसत 7 हजार रुपये दाम खुले बाजार में मिले है. आधारभूत दरों की तूलना में वह अपेक्षानुरुप किस्मत से रह गए. जिसके कारण किसानों के नसीब में निराशा आई है. अब हंगामी खत्म होने पर है. फिर भी जमा किए गए कपास बाजार में आने से उसे ु6800 से 7020 रुपये भाव मिल रहे है.
हुए नुकसान
वर्तमान में हंगामी खत्म होने पर आया है. बाजार में कपास की औसत 7 हजार रुपये दर मिल रहा है. हमी भाव की तुलना में नफा नुकसान की फिक्र करने पर शुष्क उत्पादकों को प्रतिक्विंटल 3200 रुपये व गीली परिस्थितियों में किसानों के लिए प्रतिक्विंटल लगभग 2400 रुपयों का नुकसान सहन करना पड रहा है.
घटते उत्पादन
विगत हंगामी में रुक रुक कर बारिश, गुलाबी बोंड इल्ली सहित अन्य किडों के प्रादुर्भाव से वापसी व बेमौसम बारिश तथा प्रतिकूल मौसम के कपास का उत्पादन घटा है. शुष्क पट्टे में एकड में तीन तो गीले परिस्थिति पट्टे में एकड में छह क्विंटल उत्पादन की औसत आई है. फसल बचाने के लिए किए गए खर्च के कारण कपास के उत्पादन में खर्च में बढोत्तरी हुई है.