अमरावती

कपास उत्पादक किसानों को दोहरी मार

उत्पादन कम होने से दाम भी गिरे

अमरावती/दि.13 इस बार जिले में कपास की बुआई अधिक हुई, लेकिन अतिवृष्टि के कारण अन्य फसलों सहित कपास की फसलों का भी भारी नुकसान हुआ. इस नुकसान के बावजूद बची हुई फसल पर किसानों ने अथक परिश्रम किया. लेकिन अब कपास उत्पादक औसतन 30 फीसदी घटने की बात सामने आई है. पिछले वर्ष की तुलना में प्रति क्विंटल के पीछे 3 से 4 हजार रुपए कम हुए है.
भाव अभी भी आठ से साढे आठ हजार से अधिक नहीं है. दूसरी तरफ प्रति एकड 31 हजार रुपए मशक्कत खर्च हो गया है. इस कारण हुए उत्पादन से केवल मशक्कत का खर्च ही किसी तरह वसूल होता रहा तो पूरे वर्ष परिवार का पेट कैसे भरना इस चिंता में किसान है. पिछले वर्ष कपास को रिकार्ड 10 से 13 हजार प्रति क्विंटल दाम मिले. इस कारण कपास को पिछले वर्ष की तरह कम से कम 10 से 12 हजार रुपए भाव मिलेंगे इस आशा में किसानों ने कपास की बुआई की. बुआई सत्र के प्रारंभ से विविध समस्याओं का सामना करते हुए किसानों ने कपास की फसल जिंदा रखी. कपास घर भी ला लिया लेकिन अभी तक अपेक्षित भाव न मिलने से घर लाया कपास वैसा ही रखना अथवा बेच देना यह संभ्रम किसानों के सामने कायम है. जिले में इस वर्ष कपास की 2 लाख 54 हजार हेक्टयर क्षेत्र में बुआई हुई थी. लेकिन इस बार अतिवृष्टि के कारण 90 हजार हेक्टेयर क्षेत्र की कपास बाधित हुई है. इस कारण उत्पादन में भी 35 फीसदी कमी आई है. वर्तमान में शहर के निजी बाजार में कपास को 8400 रुपए के करीब प्रतिक्विंटल दाम मिल रहे है. कपास के मशक्कत खर्च और हुए उत्पादन का विचार किया तो अनेक किसानों को घटा हुआ है. इस कारण आनेवाले समय में आर्थिक व्यवहार कैसा करना यह प्रश्न किसानों के सामने है.

* आधारभूत मूल्य कानून होना आवश्यक
किसानों को सही मायने में सुरक्षित करना हो तो सरकार व्दारा एमएसपी कानून करना आवश्यक है. सरकार ने आश्वासन दिया है लेकिन अभी तक कानून नहीं लाया गया. इस कानून के मुताबिक मशक्कत खर्च का डेढ गुना भाव कृषि माल को मिलने वाला है वैसा हुआ तो किसान सुरक्षित होंगे अन्यथा किसानों का नुकसान होगा.
– अशोक सोनारकर, राज्य सचिव,
महाराष्ट्र राज्य किसान सभा

* दामवृद्धि की संभावना नहीं दिखाई देती
ुफिलहाल बाजार में आवक काफी कम है. कपास बेचना अथवा घर में रखना ऐसा संभ्रम किसानों के सामने है. जिले के बडे कपास व्यवसायियों ने इस बार कपास गांठ जमा कर नहीं रखा है. इस कारण कपास दामवृद्धि की फिलहाल संभावना दिखाई नहीं देती.
– सौरभ दीवान, कपास खरीददार

* प्रति एकड मशक्कत का खर्च इतना
बीज और बुआई खर्च 4 हजार रुपए, खाद 4600 रुपए, मशक्कत 2100 रुपए, छिडकाव 4 हजार, रखवाली 5 हजार, कटाई 5 से 6 हजार, कुल मशक्कत खर्च 31 से 32 हजार रुपए होता है. औसतन प्रति एकड 5 से 6 क्विंटल कपास का उत्पादन होता है. इस मुताबिक 45 हजार रुपए कपास की बिक्री करने के बाद मिलने वाले है. इस मशक्कत खर्च में व्यक्तिगत परिश्रम का विचार नहीं किया गया है. फिर भी ज्यादा से ज्यादा हर किसान को 12 से 14 हजार रुपए बचेंगे. इस रकम से पूरे वर्ष का नियोजन करना किसान के लिए असंभव है.

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