अमरावतीमहाराष्ट्र

जिनिंग में कपास का स्टॉक हाऊसफुल

सीसीआई की खरीदी हुई धीमी, कपास उत्पादक किसानों की चिंता बढी

अमरावती/दि. 5- सीसीआई द्वारा जिले में दो माह से कपास की खरीदी हो रही है. इसके लिए उन्होंने स्थानीय जिनिंग के साथ करार किया. लेकिन यहां सरकी की आवक नियमित नहीं होती और कपास का स्टॉक भी हाऊसफुल हो गया है. ऐसे में कपास खरीदी को धीमी कर नया फॉर्मूला सीसीआई ने निकाला है, इस कारण किसान परेशान है.
इस बार कपास के औसतन उत्पादन में कमी आई है. ऐसी परिस्थिति में मांग बढकर कपास की मूल्यवृद्धि होगी, ऐसी किसानों को अपेक्षा थी. प्रत्यक्ष में चार माह में खुले बाजार में 7521 रुपए गारंटी भाव भी किसानों को नहीं मिले. इस कारण दुविधा में फंसे कुछ किसानों ने मिले उस भाव से कपास की बिक्री की और कुछ किसानों ने मूल्यवृद्धि की प्रतीक्षा में कपास का भंडार कर रखा. इसके अलावा कुछ किसानों ने सीसीआई को कपास बेचा. कपास को गारंटी भाव का संरक्षण मिलने के लिए केंद्र शासन की तरफ से सीसीआई द्वारा दो माह से कपास की खरीदी शुरु की गई है. इसके लिए उन्होंने स्थानीय जिनिंग प्रेसिंग के साथ करार किया है. जिनिंग में स्टॉक बढ गया है. इसके अलावा गांठ और सरकी का भी स्टॉक बढने से कपास भंडारन के लिए जगह कम पड रही है.

* सीसीआई का अमरावती में कार्यालय नहीं
केंद्र शासन की एजेंसी वाले सीसीआई का अमरावती जिले में कार्यालय नहीं है. अकोला में विभागीय कार्यालय है. यहां के अधिकारी और कर्मचारियों को किसी जिले से जैसे कोई लेना-देना नहीं है. कर्मचारी यह सहायक महाव्यवस्थापक की तरफ उंगली उठाते है. लेकिन वे प्रतिसाद नहीं देते. इस कारण जिले में कितनी कपास खरीदी हुई, इसकी अधिकृत जानकारी सामने नहीं आ रही है.

* खानदेश और मराठवाडा की खरीदी बंद
जिनिंग में कपास का माल भरपूर है. इसके अलावा गांठ और सरकी रखने जिनिंग में जगह न रहने से खानदेश और मराठवाडा का कपास खरीदी केंद्र वर्तमान स्थिति में बंद किया गया है. इस तुलना में विदर्भ के केंद्र शुरु रहे तो भी खरीदी धीमी गति से हो रही है. ऐसे में सीसीआई को दिया राज्य का कपास खरीदी का टार्गेट लगभग पूरा होने से टालमटोल करते रहने का किसानों का आरोप है.

* भंडार पर जोर
सीसीआई द्वारा दो सप्ताह से कपास का ग्रेड कम कर 7421 रुपए प्रति क्विंटल भाव दिए जा रहे है. इसके अलावा जिनिंग में गलाई पर भाव निर्भर रहने का असर किसानों को हो रहा है. इस कारण मूल्यवृद्धि की प्रतीक्षा में कपास का भंडारन किया जा रहा है.

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