अमरावतीमहाराष्ट्रमुख्य समाचार

आरटीओ अधिकारियों की गिरफ्तारी पर अदालत ने जतायी नाराजगी

कोर्ट ने नवी मुंबई पुलिस को लगाई कडी फटकार

* अमरावती के तीनों आरटीओ अधिकारियों को जमानत
अमरावती/दि.17 – दूसरे राज्यों से चोरी कर लाये गये ट्रकों की फर्जी दस्तावेजों के जरिए पासिंग करने के साथ ही विक्री करने के मामले में नवी मुंबई पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये गये अमरावती आरटीओ कार्यालय के सहायक प्रादेशिक परिवहन अधिकारी सिद्धार्थ ठोके, मोटर वाहन निरीक्षक गणेश वरुठे एवं सहायक परिवजन अधिकारी भाग्यश्री पाटिल को मुंबई की जिला व सत्र अदालत ने जमानत देना मंजूर किया है. साथ ही इन तीनों अधिकारियों की गिरफ्तारी को गैर कानूनी बताते हुए नवी मुंबई पुलिस को कडी फटकार भी लगाई है. जिसके चलते इस मामले में नवी मुंबई पुलिस की दिक्कतें बढती नजर आ रही है.
इस संदर्भ में विधि सूत्रों के जरिए मिली जानकारी के अनुसार 14 मई 2024 को दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भादंवि की धारा 211, 220, 166, 409, 107, 109 व 120 (ब) अंतर्गत पुलिस उपायुक्त अमित काले सहित 6 पुलिस अधिकारियों व नागपुर से प्रकाशित होने वाले एक अखबार के संवाददाता को अदालत की अवमानना व अन्य कार्रवाई की कानूनी नोटीस इन तीनों आरटीओं अधिकारियों द्वारा जारी की गई है.
इसके अलावा मुंबई के जिला व सत्र न्यायाधीश पी. ए. साने द्वारा इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा गया कि, चोरी के वाहनों का पंजीयन पहले ही अरुणाचल प्रदेश में किया गया था तथा इन वाहनों का महाराष्ट्र में ऑनलाइन प्रक्रिया के जरिए पुनर्पंजीयन किया गया. जिसके चलते इसमें अमरावती के आरटीओ अधिकारियों की कोई गलती नहीं मानी जा सकती. साथ ही आरटीओ अधिकारी उन वाहनों के मालिक भी नहीं है और आरटीओ अधिकारियों ने कोई दस्तावेज भी तैयार नहीं किये है. जिसकी वजह से उन अधिकारियों के खिलाफ वाहन चोरी की धारा 413 व झूठे दस्तावेजों की धारा 467 के तहत अपराध दर्ज करना पूरी तरह से गलत और गैरकानूनी है. इसी आधार पर अदालत ने गिरफ्तार किये गये आरटीओ अधिकारियों को जमानत देना मंजूर किया है.

* नवी मुंबई पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का नहीं किया पालन
नवी मुंबई पुलिस ने 30 अप्रैल को अमरावती में आरटीओ अधिकारियों को हिरासत में लेते समय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अर्नेशकुमार विरुद्ध स्टेट ऑफ बिहार (2014) 8 एससीसी 273 मामले में जारी किये गये आदेश व निर्देशों का भी उल्लंघन किया है. परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति न लेते हुए फौजदारी प्रक्रिया संहिता की धारा 197 यानि सीआरपीसी 197 का भी उल्लंघन होने की बात बेलापुर के प्रथम श्रेणी न्यायाधीश ने 1 मई 2024 को जारी अपने आदेश में स्पष्ट की है. जिसके चलते दोषी रहने वाले जांच पुलिस अधिकारी एवं पुलिस आयुक्त तक के सभी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट अवमानना अधिनियम 1971 की धारा 2 (ब) व 12, भादंवि की धारा 166, 220, 409, 120 (ब), 107 व 34 तथा महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की धारा 142 (2) व 147 के अंतर्गत कार्रवाई व सजा का प्रावधान हो सकता है.

* 7 लोगों के खिलाफ कार्रवाई हेतु जारी की गई नोटीस
आरटीओ अधिकारियों की गैर कानूनी तरीके से गिरफ्तारी करते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई करने और उनकी बदनामी करने के मामले में अदालत ने 24 मई को नवी मुंबई के पुलिस आयुक्त मिलिंद भारंबे, पुलिस उपनिरीक्षक प्रताप देशमुख, वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक शशिकांत चाकेकर, अपराध शाखा के सहायक पुलिस आयुक्त अजय कुमार लोडने, पुलिस उपायुक्त अमित काले व अपर पुलिस आयुक्त दीपक साकोरे सहित नागपुर से प्रकाशित होने वाले अखबार के प्रतिनिधि के नाम नोटीस जारी की है. परिवहन अधिकारी उदय पाटिल के वकील एड. अभिषेक मिश्रा ने इस नोटीस के अनुसार दीवानी व फौजदारी कोर्ट अवमानना कार्रवाई हेतु धारा 2 (ब) (क) व 12 अंतर्गत अदालत में याचिका दाखिल की है.

Related Articles

Back to top button