ढाई हजार लीटर से घटी दूध की आवक
अमरावती/प्रतिनिधि दि.३ – दुग्ध उत्पादक किसानों व्दारा संकलित किया गया दूध पंजीकृत दूध उत्पादित संघ मार्फत शासकीय दूध योजना को आपूर्ति करते हैं. ठंड के दिनों में 4 हजार लीटर तक गई आपूर्ति बारिश के दिनों में 1200 से 1500 लीटर पर आने के साथ ही इसमें करीब ढाई हजार लीटर से कम हुआ है.
कोरोना काल में नागरिकों की ओर से दूध की मांग बढ़ने से असंगठित दुग्ध व्यवसायियों व्दारा नागरिकों को दूध की आपूर्ति होेने की बात सामने आयी है. लॉकडाऊन में होटल, चाय की कँटीन व दूध से अन्य दुग्धजन्य पदार्थ तैयार करना बंद था. इस कारण किसानों व्दारा उत्पादित किये दूध न लिये जाने से उन्होंने शासकीय योजना की ओर दौड़ लगाई थी. मात्र, अब बाहर होटल, चाय की कँटीन पर दूध की मांग बढ़ी है. इस तुलना में गर्मी व बारिश के दिनों में नैसर्गिक रुप से दूध की आवक कम हुई है. फिलहाल किसानों को 3.5 फॅट व 8.5 एनएसएफ (सॉलिड नोट फॅट) के लिये 25 रुपए प्रति लिटर की दर शासकीय दूध विकास योजना से दिये जा रहे हैं.
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दूध पाउडर भंडारा जिले में
शासकीय दूध योजना में किसानों के पास से लिये गए दूध पर प्रक्रिया कर आरए ब्रांड से पकेट बंद दूध की 38 रुपए लिटर से मार्केट में बिक्री की जाती है वहीं जिले की दूध की मांग पूर्ण होने के बाद शेष हजारों लीटर अतिरिक्त दूध भंडारा जिला दूध उत्पादक संघ की ओर से पाउडर में रुपांतरित करने के लिए भेजा जाता है.
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इस मौसम में बढ़ती है आवक
मार्च से अगस्त महीने तक नैसर्गिक रुप से दूध की आवक घटने से इस समय 1200 से 1500 लीटर आवक किसानों की ओर से होती है. लेकिन अक्तूबर से फरवरी दरमियान साढ़े तीन से चार हजार लीटर दूध की आवक होने की बात अधिकारी ने कही.
इन दिनों में नैसर्गिक रुप से दूध की आवक कम होती है. जिसके अनुसार अब ढाई हजार लीटर आवक कम हुई है. मात्र अक्तूबर से फरवरी तक चार हजार लीटर की आवक होती है.अब मांग बढ़ने पर भी असंगठित दूध उत्पादित व्यवसायियों से वह पूरी होती है.
– जी.पी. सोनोने, जिला दुग्धविकास अधिकारी, अमरावती