अमरावती

श्री शिवाजी शिक्षण संस्था की प्रगति के शिल्पकार

हर्षवर्धन देशमुख

अमरावती दी 13- श्री शिवाजी शिक्षण संस्था के 91 वर्ष के कार्यों में अनेक नामवंत अध्यक्षों ने इस संस्था का कारभार सफलतापूर्वक संभालते हुए संस्था को नई ऊंचाई देने का प्रयास किया है. परन्तु गत 6 वर्ष में हर्षवर्धन देशमुख के कार्यकाल में जिस तेजी से संस्था ने शैक्षणिक, संशोधकीय, आर्थिक एवं भौतिक विकास का ध्येय साधा है, इसके लिए हर्षवर्धन उर्फ भैयासाहेब देशमुख की संस्था के प्रति प्रामाणिकता, विकास की दिव्य दृष्टि एवं कर्तव्यतत्परता का महत्व सर्वाधिक है. भैयासाहब के राजकीय जीवन एवं श्री शिवाजी शिक्षण संस्था के आज तक के कार्यकाल पर नजर डालने पर उन्होंने मंत्री रहते किसानों के हित के लिए किए गए काम हो या फिर श्री शिवाजी शिक्षण संस्था के माध्यम से किसी की भी आंखों को स्पष्ट दिखाई देने वाला संस्था की प्रगति का चढ़ता आलेख हो, इस बारे में कोर्ई भी आक्षेप नहीं ले सकेगा. शिवसंस्था के अध्यक्ष पद पर दूसरी बार आजीवन सभासद का विश्वासमत जीतकर उन्होंने संस्था की प्रगति का आलेख ऐसा ही ऊंचा उठाने का ध्येय रख काम शुरु रखा है. किसी समय अलग-अलग दिक्कतों का सामना करने वाली श्री शिवाजी सिक्षण संस्था आज एक अलग ही शीखर पर है. इसका श्रेय सही मायने में किसी को देना हो तो वे भैयासाहब को ही देना होगा.
श्री शिवाजी शिक्षण संस्था के उनके अध्यक्ष पद के कुल कार्यों पर नजर डालने पर संस्था ने गत 6 वर्ष में अनेक महत्वपूर्ण उद्दिष्ट साध्य किये हैं. संस्था की शैक्षणिक प्रगति का आलेख इस कार्यकाल में दैदिप्यमान ऐसा ही है. इसमें श्री शिवाजी विज्ञान महाविद्यालय ने देश के पहले 200 महाविद्यालयों में हासिल किए स्थान हो या संस्था के अनेक महाविद्यालयों ने नेक में प्राप्त की उच्चतम श्रेणी हो. इन सबके पीेछे सभी महाविद्यालयों को उत्तम दर्जा प्राप्त करने के लिए आवश्यक सभी मदद संस्था के माध्यम से करने, महाविद्यालयों में अनेक मुलभूत भौतिक सुविधाओं का विकास करना, शैक्षणिक दर्जा ऊंचा उठाने, संशोधन के क्षेत्र में महाविद्यालय के कामं का आलेख बढ़ाना, महाविद्यालय में प्राध्यापकों की भर्ती करना, अनेक महाविद्यालयों में युजीसी या अन्य संस्थाओं मार्फत विकास योजना चलाकर सुविधाओं का लाभ संस्था को दिलवाना यह काम करने के लिए बड़े व्हिजन की दृष्टि चाहिए. अपने राजकीय अनुभव का, शैक्षणिक अंग का एवं प्रशासकीय आयुध का इस्तेमाल कर भैयासाहेब ने यह सब करवाया, यह बताने के लिए मुझे किसी का भी आधार लेने की आवश्यकता नहीं, क्योंकि उनका चलता-बोलता चित्र ही हम सबके सामने हैं.
विगत 6 वर्षों के श्री शिवाजी शिक्षण संस्था के विकास की ओर नजर डालने पर ध्यान में आता है कि संस्था के पीडीएमसी महाविद्यालय को पदव्युत्तर अभ्यासक्रम की जगह में लक्षणीय वृद्धि हुई है. जिसके चलते संस्था की आय भी बढ़ी है. पीडीएमसी में अमरावती शहर का सबसे बड़ा सभागृह निर्माण हुआ है. बालापुर तहसील के निंभा में नया महाविद्यालय मंजूर हुआ है. विशेष यह कि वरिष्ठ महाविद्यालयों में बड़ी संख्या में प्राध्यापकों की भर्ती, कनिष्ठ महाविद्यालयों में हुई भर्ती के साथ ही पीडीएमसी महाविद्यालय में हुई भर्ती के कारण संस्था के आजीवन सभासदों के अनेक परिवार, वहीं बहुजन समाज के अनेक युवकों को बड़ा रोजगार भैयासाहब की सर्वोत्तम कामगिरी के कारण उपलब्ध हुआ है. संस्था से संबंधित अनेक कोर्ट केसेस को भी विराम देते हुए कई केसेस में संस्था की जीत हुई है. भैयासाहब के नेतृत्व गुणों की पहचान संस्था के आजीवन सभासदों को होने के कारण ही उन्हें दूसरी बार भारी वोटों से विजयी करते हुए आजीवन सभासदों ने उन्हें संस्था के अध्यक्ष पद की कमान सौंपी है. भैयासाहेब ओआज भी संस्था का विचार, भाऊसाहेब का आदर्श एवं बहुजन समाज के कल्याण हेतु सिर्फ संस्था के हित का ही कार्य करते हैं. भाऊसाहेब द्वारा निर्माण की गई इस संस्था को यशोशिखर पर ले जाने का सपना है और इसके लिए मैं अहोरात्र काम कर रहा हूं, ऐसा भैयासाहेब हमेशा ही कहते हैं.
ंमेरा विश्व भले ही अलग हो फिर भी शिव परिवार में हमेशा आना-जाना लगे रहने से, उस पर शिक्षा क्षेत्र में काम करने के कारण कला विद्यापीठ हो या शिवाजी शिक्षण संस्था इसका अभ्यास करना ही पड़ा. शिवाजी संस्था के अनेक घटकों से चर्चा करने पर और प्रत्यक्ष अनेक काम होते देखने के बाद सही मायने मं संस्था के विकास की ऊंचाई बढ़ाते समय हर्षवर्धन देशमुख के कार्यों की महत्ता मुझे समझ में आयी. श्री शिवाजी शिक्षण संस्था आज सभी बातों में आगे हैं. अनेक नये प्रकल्पों पर संस्था काम कर रही है. भाऊसाहेब का जन्मस्थान पापल में नया कृषि महाविद्यालय स्थापित करने के लिए भैयासाहेब के नेतृत्व में संपूर्ण कार्यकारिणी काम कर रही है. भाऊसाहेब ने जो विश्व कृषि प्रदर्शनी दिल्ली में लगाई उसी की तर्ज पर अमरावती में एक भव्य कृषि प्रदर्शनी का आयोजन करने हेतु शिवधनुष्य भैयासाहेब ने उठाया है. आगामी समय में विश्वस्तर पर शिव संस्था की दखल ली जाएगी, इसमें अब कोई शंका नहीं रही.
युवक बिरादरी समान एक बड़ी सामाजिक संस्था का संचालक इस नाते से मैंने संस्था के साथ भैयासाहेब के सहकार्य से काम किया है. देश में सामाजिक समरसता का विधायक विचार आज के छोटे बच्चों में और युवा पीढ़ी में निर्माण करने के लिए संस्था के माध्यम से अनेक उपक्रमों को गति देने का कार्य भैयासाहेब ने किया है. सिर्फ व्यक्त के रुप में विचार न करते हुए संस्था या विचार के रुप में एखाद बात की ओर देखने की बड़ी दृष्टि भैयासाहेब के पास है. आज भी देश में शुरु विघातक बातों के कारण भैयासाहेब का मन सुन्न होता है. संविधानिक विचार, सामाजिक समरसता, महापुरुषों के योगदान की याद आने वाली पीढ़ी को देने के लिए भैयासाहब शिवसंस्था के माध्यम से काम कर रहे हैं. शिवाजी शिक्षण संस्था को बाबासाहेब घारफलकर, रावसाहेब इंगोले, दादासाहेब कालमेघ, वसंतराव धोत्रे समान महान व्यक्तित्व का नेतृत्व मिला है. उस पर अब उनके विचारों पर चलते हुए शिवाजी शिक्षण संस्था का कायापलट करने का काम हर्षवर्धन देशमुख कर रहे हैं. उनके विचार और कार्यों को मेरा सलाम है. भैयासाहेब के जन्मदिन पर उनका अभिष्टचिंतन करते हुए उनके हाथों से संस्था की उत्तरोत्तर प्रगति होती रहे, यही शुभकामना करता हूं.
ृ-गौरव नीलकंठ इंगले, अमरावती

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