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बच्चों को दिया अवार्ड का श्रेय

मिलिए आदर्श शाला की आदर्श मुख्याध्यापिका से

* स्नेहल विरुलकर का कहना
* 3 जनवरी को मुंबई में होना है सम्मान
अमरावती/दि.30- महाराष्ट्र सरकार व्दारा घोषित क्रांतिज्योति सावित्री माई फुले राज्य शिक्षक गुणगौरव पुरस्कार वर्तमान और पूर्व विद्यार्थियों की देन है. उन्ही की बदौलत आदर्श शिक्षिका पुरस्कार प्राप्त होने की विनम्र प्रतिक्रिया स्नेहल राजू विरुलकर ने दी. अवार्ड घोषित होने से अमरावती मंडल उन्हें बधाई देने पहुंचा था. उस समय शाला का वार्षिकोत्सव चल रहा था. इस बीच उन्होंने अमरावती मंडल से बधाई स्वीकार की और संक्षिप्त बातचीत की.
अपनी बात को स्नेहल विरुलकर ने समझाकर बतलाया. उन्होंने कहा कि, मराठी शाला होने के बावजूद अपने नाम को आदर्श विद्यालय ने सार्थक किया हैं. विद्यालय के स्वर्ण जयंती महोत्सव में उन्होंने पूर्व विद्यार्थियों को भी आमंत्रित किया था. यह विद्यार्थी आज अनेक बडे पदों पर कार्यरत है. विद्यालय के लिए कुछ करने की उनमें भावना जागी. विद्यार्थियों ने स्कूल में विविध सुविधाएं बढाने लगभग 12 लाख रुपए प्रदान किए. एचएम हिरुलकर के अनुसार यह उपक्रम राज्यस्तर के पुरस्कार चयन समिति को प्रभावित कर गया. उन्हें इसी के ऑउट ऑफ अंक मिले. जिसके आधार पर 1 लाख रुपए का पुरस्कार आगामी 3 जनवरी को मुंबई में समारोहपूर्वक प्रदान किया जाएगा.
* मेज, टेबल और सौर ऊर्जा
मुख्याध्यापिका के रुप में गत 6 वर्षो से कार्यरत स्नेहल विरुलकर ने बताया कि, पूर्व विद्यार्थियों के योगदान से शाला में डेस्क, बेंच लिए गए, सौर ऊर्जा के पैनल लगाए गए. उसी प्रकार रंगरोगन और आरओ वॉटर की भी व्यवस्था शाला में हो गई है. रंग-बिरंगे मेज और टेबल छोटे बच्चों को खासे आकर्षित करते हैं. बच्चों की सुरक्षा की खातिर पूरी शाला में सीसीटीवी भी स्थापित किए गए हैं.
* 33 वर्षो से अध्यापन
आदर्श अध्यापिका पुरस्कार से सम्मानित होने जा रही स्नेहल विरुलकर ने बताया कि, वे 33 वर्षो से अध्यापन कर रही हैं. उनके यजमान राजू गुलाबराव विरुलकर भी जिला परिषद शाला में अध्यापक के रुप में कार्यरत हैं. दोनों की बेटी सायली मशहूर आर्किटेक्ट के रुप में अपनी कंपनी पॉज एण्ड प्ले चला रही हैं. पुत्र चिंतामणि डाटा साइंटिस्ट के रुप में बडी कंपनी परसिस्टंट में काम कर रहा हैं.
* मनपा की तीन शालाएं संभाली
खापर्डे बगीचा स्थित आदर्श शाला में कक्षा 1 से लेकर 10वीं तक छात्र-छात्राएं के जीवन में शिक्षा का उजियारा करने वाली स्नेहल विरुलकर ने बताया कि, शाला के संचालन के कारण उन्हें मनपा की तीन शालाओं की जिम्मेदारी दी गई थी. हमालपुरा की दो शालाएं और एक शाला नं. 19. इन शालाओं में समय-समय पर जाकर उन्होंने उचित मार्गदर्शन किया. जिससे शाला की गुणवत्ता बढी. इस बारे में और पूछने पर स्नेहलताई ने बताया कि, चित्रकला और अन्य अध्यापकों के साथ ही कक्षा 9-10वीं के विद्यार्थियों को सामाजिक कार्य के अनुभव अंतर्गत वे उक्त मनपा शालाओं में भेजती जो वहां के विद्यार्थियों को व्यवहार और अन्य बातें सिखलातें. बता दें कि आदर्श शाला में 40 शिक्षक और 10 शिक्षकेत्तर कर्मचारी हैं. स्नेहल गर्व से बताती है कि मराठी शाला रहने पर भी उनकी स्कूल में प्रवेश के लिए होड रहती है. 20 जून को ही प्रवेश फुल हो जाते हैं.

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